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किसी भी संस्था या कंपनी को उपयोगिता और प्रतियोगिता में बने रहने के लिए अनुसंधान एवं विकास (Research And Development) को अपनाना जरूरी होता है, बात चाहे उपभोक्ता वस्तुओं, सूचना प्रौद्योगिकी, मेडिसिन या रक्षा क्षेत्र की हो अथवा सामाजिक उत्थान की। यही कारण है कि इस सेक्टर में कॅरियर के बेहतर स्कोप हैं।
क्यों है जरूरी
सिद्धांत, अभ्यास और प्रयोग। ये चीजें हर क्षेत्र में किए जाने वाले अनुसंधान के अनुसार तय होती हैं, क्योंकि अनुसंधान विज्ञान भी है और शिल्प भी। इसमें एक तरफ संबंधित क्षेत्र के सिद्धांतों की सही और पुख्ता जानकारी अपेक्षित है, वहीं दूसरी तरफ प्रायोगिक और व्यावहारिक पहलू भी समान महत्व रखता है।
नवीनतम प्रौद्योगिकी (Latest Technology) की खोज कर अपनी महत्ता और गुणवत्ता बनाने की दिशा में प्रयासरत रहना होता है। यही कारण है कि हर कंपनी या संगठन में आर एंड डी विभाग होता है और पूरे बजट का एक निश्चित हिस्सा इस मद में खर्च किया जाता है। रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामाजिक विकास और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में इसकी काफी जरूरत पडती है।
डिफेंस (Defence)
रक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान की विशेष भूमिका है। विश्व के अन्य देशों की रक्षा तैयारी से मुकाबला करने के लिए नए उपकरणों और हथियारों का निर्माण करना होता है। हमारे देश में इस कार्य के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन-डीआरडीओ (Defence Research and Development Organisation) है। डीआरडीओ में साइंटिस्टों की नियुक्ति आरएसी (Recruitment Assessment Centre) द्वारा किया जाता है। फेलोशिप के माध्यम से भी इसमें एंट्री होती है।
योग्यता (Qualification)
स्नातक स्तर से लेकर पीएचडीधारी भिन्न-भिन्न संस्थानों में रिसर्च के लिए नियुक्त हो सकते हैं। इसमें एंट्री के लिए मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालयों से प्रथम श्रेणी में बीई, मैकेनिकल, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की डिग्री जरूरी है।
आईटी (Information Technology)
भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती में सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) का हिस्सा काफी महत्वपूर्ण है। इसमें अनुसंधान की संभावना भी है और जरूरत भी। इंजीनियर्स और कंप्यूटर विशेषज्ञ सामान्यत: व्यावहारिक अनुसंधान में जुटे रहते हैं। इंजीनियर्स डिजाइन तैयार करते हैं, निर्माण करते हैं और इस राह में आई मुश्किलों का हल ढूंढते हैं। वहीं कंप्यूटर वैज्ञानिक, प्रोग्रामर्स, सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स रिसर्च के माध्यम से कंप्यूटर की नई प्रोद्योगिकी (New Technology) विकसित करते हैं, प्रोग्रामिंग, लैंग्वेज, ऑपरेटिंग सिस्टम तैयार करते हैं।
एंट्री (Entry)
आईटी क्षेत्र में एक एक शोधार्थी के रूप में कॅरियर बनाने के लिए किसी भी उम्मीदवार को डाटाबेस सिस्टम, नॉलेज मैनेजमेंट, बिजनेस इंटेलिजेंस विषयों की जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे तकनीकी तौर पर किसी भी समस्या का आकलन कर सकेंऔर उन्हें हल करने तक पहुंच सकें। जो उम्मीदवार आईटी में रिसर्च करना चाहते हैं, उन्हें कंप्यूटर साइंस या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी होना चाहिए।
हेल्थ सेक्टर(Health Sector)
हेल्थ सेक्टर रिसर्च पर ही आधारित है। रोज नई-नई बीमारियां होने से उन्हें हमेशा रिसर्च करने पड़ते हैं। हेल्थसेक्टर में रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट दो तरह से फिजिकल हेल्थ और सोशल साइकोलॉजिकल हेल्थ के माध्यम से होता है। एमबीबीएस, एमडी, एमएस, मास्टर्स और पीएचडीधारी हेल्थ सेक्टर (Health Sector) में रिसर्च कर सकते हैं।
सोशल वेल्फेयर (Social Welfare)
इसका क्षेत्र काफी व्यापक है। हर समाज अपने दायरे में हर वो चीज समेटे होता है, जिससे होकर वह गुजरता है। चाहे वह शिक्षा, गरीबी, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन या फिर गवर्नेस का मामला ही क्यों न हो। इन सभी विषयों में अनुसंधान की व्यापक गुंजाइश है। संबंधित क्षेत्रों में एमए, एमफिल, पीएचडी इसके लिए योग्य हैं। यदि आप लेबर ऐंड सोशल वेल्फेयर में पीएचडी हैं, तब तो वारे न्यारे।
अवसर ही अवसर(Opportunities)
शोध करने वालों के लिए हर सेक्टर में नौकरी की काफी गुंजाइश है। सरकारी क्षेत्रों के अलावा निजी क्षेत्रों में भी अवसर तलाश सकते हैं। इसके साथ ही गैर सरकारी संगठन में भी काफी अवसर हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस के अलावा बडे बडे चिकित्सा संस्थान, स्वास्थ्य एजेंसियों में रोजगार की कमी नहीं है। आईटी के क्षेत्र में उन लोगों के लिए ज्यादा बेहतर अवसर उपलब्ध हैं, जिनमें क्रिएटिविटी है।
रक्षा और अनुसंधान में प्रमुख अवसर सरकारी क्षेत्र में उपलब्ध हैं। यहां बतौर साइंटिस्ट अवसर उपलब्ध हैं, जो अनुभव के साथ-साथ किसी भी कार्यक्रम के प्रमुख की हैसियत तक ले जाते हैं।
प्रमुख संस्थान(Main Institutes)
डीआरडीओ (डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट) लखनऊ रोड, तिमारपुर, दिल्ली
सीएसआईआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) अनुसंधान भवन, 2 रफी मार्ग, नई दिल्ली
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड डेवलपमेंट स्टडीज, नई दिल्ली
इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस ऐंड रिसर्च, अरुणा आसफ अली रोड, नई दिल्ली
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, पोस्ट बाक्स नं- 8313, देवनगर, मुंबई
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स), सफदरजंग एन्कलेव, नई दिल्ली।
बेहतर स्कोप
किसी भी संस्थान के विकास के लिए अनुसंधान एंव विकास कितना अहम है?
अनुसंधान एवं विकास किसी भी संस्थान की बैक बोन होती है। कोई भी अविष्कार या एक्शन प्लान अंजाम तक पहुंचता है साइंटिफिक ऑब्जेक्टिव बेसिस के जरिए, सिर्फ अनुमान से काम को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकते। रिसर्च मेथडोलॉजी मजबूत होगी, तभी अनुसंधान हो पाएगा।
भारत में इसका कितना स्कोप है?
हिंदुस्तान में भी बहुत स्कोप है। इसकी डिमांड है और रहेगी। प्लेसमेंट भी खूब है। लेकिन हमें विकसित देशों की श्रेणी में आने के लिए इसका विस्तार करना होगा। पडोसी देश चीन में भी रिसर्च बडे पैमाने पर हो रहे हैं।
क्या रिसोर्सेज की कमी है?
रिसोर्सेज की कमी बिल्कुल नहीं है। जागरूक होने की जरुरत है। हमारे यहां पॉलिसी बनती है, लेकिन फाइलों में कैद हो जाती है। जैसे, बीते साल पैरेंट्स मेंटिनेंस बिल पास हुआ, लेकिन लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं।
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