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Career in Sculpture-बनें एक सफल मूर्तिकार

नई इबारत नई मंजिल
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Sculptures 3धरती पर आने के साथ ही मनुष्यों ने अपने विचारों एवं भावनाओं को दूसरों तक पहुंचाने के लिए कम्युनिकेशन (Communication) के विभिन्न साधनों का प्रयोग किया है। यह कम्युनिकेशन केवल भाषा के माध्यम से ही नहीं किया जाता रहा है बल्कि इसके लिए कला का भी भरपूर उपयोग किया गया है। कला बिना शब्दों के ही बहुत कुछ कह देती है। मूर्तिकला इन्हीं में से एक है। इसमें व्यक्ति औजारों से अपनी कल्पनाओं को पत्थरों, लकडी, प्लास्टर ऑफ पेरिस (Plaster of Paris), मिट्टी आदि पर उकेरने का काम करता है।


इतिहास का आइना

पाषाण काल हो या सिंधु घाटी सभ्यता, इन सबमें मूर्ति निर्माण का प्रचलन था। उस काल की प्रतिमाएं आज भी हमें उस समय की सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्थिति की जानकारियां देती हैं। भारत ही नहीं विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताओं में मूर्तिकला (Sculpture) को विशेष महत्व दिया गया था। मूर्तियां (Sculptures) वास्तव में आने वाली कई पीढियों को पहले के समाज की वस्तुस्थिति से भली-भांति अवगत कराने का काम करती रही हैं।


प्राचीन व्यवसाय

अच्छे मूर्तिकारों (Sculptors) के लिए कभी भी रोजगार की कमी नहीं रही है। वेद, उपनिषद एवं पुराणों आदि सभी में मूर्तियों के निर्माण, उपयोग एवं महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। बौद्घ एवं जैन काल हो या फिर मौर्य, गुप्त एवं राजपूत काल- सभी में अच्छे मूर्तिकारों (Sculptors) की मांग रही है। इतिहास में इस तरह के कई प्रमाण मौजूद हैं, जिनसे पता चलता है कि राजा-महाराजा दूर-दूर के देशों से मूर्तिकारों को विशेष रचनाओं के लिए आमंत्रित करते थे। इस कला में निपुण लोगों को अच्छे वेतन पर राजदरबारों में रखा जाता था।


व्यावसायिक पक्ष

भारतीय मूर्तिकला (Indian Sculpture) की विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान है। इसकी सर्वाधिक अनूठी बात उसका आध्यात्मिकता (Spirituality) से ओत-प्रोत होना है। ग्रीक-रोमन मूर्तिकला (Greek – Roman Sculpture) में जहां मांसलता (Musculature) के दर्शन होते हैं वहीं भारतीय मूर्तिकला में आध्यात्मिकता स्पष्ट रूप से झलकती नजर आती है। अजंता-एलोरा (Ajanta – Ellora), कोणार्क, खजुराहो (Khajuraho), दिलवाडा, हम्पी आदि के स्मारक (Memorial) इसका जीता-जागता सबूत हैं। ये आज भी हमें अपने प्राचीन स्वर्णिम अतीत की याद दिलाते हैं। इन कलाकृतियों (Artifacts) को देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में विदेशी पर्यटक (Foreign Tourists) भारत आते हैं। अपने देश में निर्मित मूर्तियां बहुत अच्छी कीमत पर विदेशों में बिकती हैं। इस चीज को देखते हुए विदेश में मूर्तियों का व्यापार करने वालों को अच्छे भारतीय मूर्तिकारों (Indian Sculptors) की तलाश रहती है। भारत में भी लोगों का शो पीस आइटमों के प्रति आकर्षण बढ रहा है। हर वर्ग के लोग इन्हें अपने ड्राइंग रूम में जगह दे रहे हैं। इन स्थितियों में इस फील्ड में रोजगार की संभावनाएं बढना स्वाभाविक है।


Sculptures 2कोर्स  (Course)

मूर्तिकला में भविष्य बनाने के लिए कई तरह के कोर्स किए जा सकते हैं। डिप्लोमा से लेकर मास्टर्स डिग्री तक के कोर्स उपलब्ध हैं। बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (Bachelor of Fine Arts) में इसे विषय के रूप में चुना जा सकता है। इसमें बीएफए करने के बाद एमएफए (Master of Fine Arts) भी किया जा सकता है। अधिकतर संस्थानों में बीएफए कोर्स की अवधि चार वर्ष निर्धारित है, वहीं इस कोर्स के बाद किए जाने वाले एमएफए की अवधि दो वर्ष है।


योग्यता (Education Qualification)

बीएफए मूर्तिकला में प्रवेश के लिए स्टूडेंट के पास 12वीं या उसके समकक्ष की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता (Minimum Academic Qualification) होनी अनिवार्य है। इसका प्रशिक्षण देने वाले अधिकतर संस्थानों में प्रवेश के लिए 12वीं में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक होना आवश्यक है।


प्रमुख संस्थान (Main Institute)

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी

राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर

कॉलेज ऑफ आर्ट्स, नई दिल्ली

इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा

जे.जे.कॉलेज ऑफ आर्ट्स, मुंबई

फाइन आर्ट्स कॉलेज, इंदौर


व्यक्तिगत गुण  (Personal Qualities)

इस फील्ड में केवल वही सफल हो सकते हैं, जिनमें कला के प्रति संवेदनशीलता तो होती ही है साथ ही साथ जो पुरातन और नवीन विचारों के मध्य अच्छी तरह से सामंजस्य भी स्थापित कर लेते हैं। इस फील्ड में सारा खेल सोच और प्रस्तुतीकरण के बीच तालमेल का ही है।


अवसर (Opportunities)

एक मूर्तिकार एग्जिबीशन आर्टिस्ट, गैलरी डायरेक्टर (Gallery Director), इंस्टॉलेशन आर्टिस्ट (Installation Artist), विजिटिंग आर्टिस्ट (Visiting Artist), आर्ट एसोसिएशन डायरेक्टर, आर्ट सप्लाई कंसल्टेंट आदि के रूप में काम कर सकता है, साथ ही वह इससे संबंधित संस्थानों में प्रशिक्षक भी बन सकता है।


सेंटर फॉर कल्चरल रिर्सोसेज ऐंड ट्रेनिंग-सीसीआरटी (Centre for Cultural Resources and Training) की योजना राष्ट्रीय स्तर की है। यदि आप इसके लिए योग्य हैं, तो आवेदन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए ccrt india.gov.in पर लॉग-ऑन कर सकते हैं।


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