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Career in Sericulture-सेरिकल्चर में उज्जवल भविष्य

नई इबारत नई मंजिल
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sericultureभारतीयपरिधानों में रेशम से बने वस्त्र लंबे अरसे से लोकप्रिय रहे हैं। तेजी से विकसित फैशन उद्योग (Fashion Industry) में भले ही बदलावों का बोलबाला है, लेकिन आज भी रेशमी परिधानों (Silk Garments) की यहां अपनी धाक है। इससे संबंधित कोर्स (Course) भी कई संस्थानों में उपलब्ध हैं, जहां से पढाई करने के बाद युवा नौकरी या स्वरोजगार (Self-employment) की तरफ रुख करते हैं। यही कारण है कि विज्ञान विषय के स्टूडेंट्स के बीच यह पाठयक्रम काफी लोकप्रिय है। रेशम उत्पादन (Silk Production) में भारत का दूसरा स्थान है। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत बडी जनसंख्या इस रोजगार (Employment) से जुडी है। यदि आपकी रुचि इस क्षेत्र में है और बेहतर कॅरियर (Career) की तलाश में हैं, तो सेरिकल्चरआपके लिए बेहतरीन कॅरियर विकल्प हो सकता है।


क्या है सेरिकल्चर (Sericulture)

कच्चे रेशम (Raw Silk) के निर्माण के लिए रेशम के कीडों का बडे पैमाने पर उत्पादन और पालन सेरिकल्चर (Sericulture) कहलाता है। इस शब्द का निर्माण ग्रीक शब्द सेरिकोस और अंग्रेजी शब्द कल्चर से हुआ है। सेरिकोस का अर्थ रेशम एवं कल्चर का संवर्धन (विकास) होता है। आज का दौर व्यापारिक दौर है और इस दौर में सेरिकल्चर का संबंध केवल रेशम के कीडों से ही संबंधित नहीं रह गया है। इसमें कई अन्य चीजों की जानकारी भी जरूरी हो गई है जैसे शहतूत की खेती और संवर्धन, कृमिकोष टेक्नोलॉजी आदि।


कोर्स एवं योग्यता  (Courses and Qualifications)

सेरिकल्चर (Sericulture) की फील्ड में जाने के लिए अंडरग्रेजुएट (Under Graduation) लेबल पर बीएससी सेरिकल्चर या बीएससी सिल्क टेक्नोलॉजी (BSc Sericulture or BSc Silk Technology) का कोर्स किया जा सकता है। इन कोर्सो के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता (Minimum Academic Qualification) विज्ञान वर्ग (पीसीबी ग्रुप) से बारहवीं पास है। अधिकतर संस्थानों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा होती है। बीएससी सेरिकल्चर या सिल्क टेक्नोलॉजी (BSc Sericulture or BSc Silk Technology) करने के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन (Post Graduation) का कोर्स भी कर सकते हैं। इसमें पोस्ट गे्रजुएट योग्यता रखने वालों को स्नातक की तुलना में अच्छे अवसर मिल सकते हैं।


पर्सनल स्किल (Personal Skills) है अहम

जिन लोगों की रुचि साइंस में है, उनके लिए यह फील्ड अच्छी साबित हो सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) के वे स्टूडेंट्स जिन्हें कृषि की जानकारी होती है, वे अपने इस ज्ञान का लाभ सेरिकल्चर (Sericulture) की फील्ड में उठा सकते हैं। किसी भी दूसरे काम की तरह इस काम में भी धर्य, समर्पण और सहनशक्ति सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते है।


sericulture 1फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स  (Future Prospects)

सेरिकल्चर (Sericulture) कुटीर उद्योग (Cottage Industry) के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र है। सरकार कई ऐसी योजनाएं चला रही है, जिससे कुटीर उद्योगों (Cottage Industries) को लाभ मिल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों का यह एक प्रमुख व्यवसाय है। अर्थव्यवस्था में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है। आप चाहें तो स्वरोजगार (Self-employment) भी कर सकते हैं। कम पूंजी में अधिक लाभ, सेरिकल्चर की विशेषता है और इस विशेषता के कारण ही अब शहरों में भी लोग इस व्यवसाय की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसकी अच्छी जानकारी हासिल करने के बाद एक कंसल्टेंट्स (Consultants) के रूप में भी आप चाहें तो काम कर सकते हैं। सेरिकल्चर की फील्ड में नौकरी और स्वरोजगार दोनों के लिए पर्याप्त अवसर हैं। इसमें तकनीकी योग्यता (Technical Qualification) हासिल कर लेने के बाद इस फील्ड में काम कर रही कंपनियों के साथ प्रोजेक्ट मैनेजर (Project Manager), असिस्टेंट डायरेक्टर (Assistant Director), रिसर्च ऑफिसर (Research Officer), मार्केटिंग ऑफिसर (Marketing Officer), सुपरवाइजर (Supervisor), लैब असिस्टेंट (Lab Assistant), फार्म टेक्नीशियन (Farm Technician) आदि के रूप में काम कर सकते हैं। जिन लोगों के पास इस क्षेत्र में काम करने का कुछ वर्ष का अनुभव है उन्हें बडी कंपनियों में अवसर आसानी से मिल जाते हैं। सेरिकल्चर (Sericulture) में प्रशिक्षित, एक शिक्षक के रूप में भी काम कर सकते हैं, इसमें एमएससी सेरिकल्चर एवं एमएससी सेरिकल्चर टेक्नोलॉजी (MSc sericulture and MSc Sericulture Technology) की योग्यता रखने वाले विद्यार्थियों को लाभ मिलता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि यदि आपकी रुचि इस क्षेत्र में है और बेहतर कॅरियर की तलाश में हैं, जहां नौकरी (Job) के साथ-साथ स्वरोजगार का भी विकल्प मिले, तो यह क्षेत्र आपके लिए सबसे बेस्ट है।


बढ रहे हैं अवसर (Opportunities)

एक अनुमान के मुताबिक, भारत में तकरीबन 40 लाख लोग रेशम उत्पादन (Silk Production) से जुडे हैं, वहीं 1.5 लाख लोग रेशम धागाकरण से। उत्पादन का 80 फीसदी अकेले हैंडलूम (Handloom) क्षेत्र द्वारा उपयोग में लाया जाता है। बाकी 20 फीसदी का उपयोग विभिन्न राज्यों के छह हजार पावरलूम (Powerloom) द्वारा। अभी तक सिल्क उत्पादन (Silk Production) में जापान और चीन का ही प्रभुत्व रहा है। ये दोनों देश मिलकर आज भी तकरीबन 50 प्रतिशत सिल्क का उत्पादन करते हैं। भारत में प्रशिक्षित युवाओं के इस क्षेत्र में आने से इसके उत्पादन में इजाफा हो रहा है। तसर एवं इरी सिल्क (Tasar or Eri Silk) के मामले में देश अग्रणीय है। कुछ ऐसे संस्थान है जहा पर आप सेरिकल्चर का कोर्स कर सकते है-


सेंट्रल सेरिकल्चररिसर्च ऐंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, मैसूर

कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, बैंगलोर

शिवाजी यूनिवर्सिटी, कोल्हापुर

दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर विश्वविद्यालय, लखनऊ

असम एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय, जोरहाट


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