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लोकतंत्र में मीडिया के महत्व को दरकिनार नहीं कर सकते। आज अभिव्यक्ति की आजादी को मीडिया नए आयाम दे रहा है। यह ऐसा मंच है जिसके जरिए अलग-अलग संस्कृतियों, विचारों, अवधारणाओं को एक-दूसरे से परिचित होने का सुअवसर मिलता है। आज ग्लोबलाइजेशन के दौर में ये चीजें और भी प्रासांगिक हो चली हैं। देखा भी जा रहा है कि सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक हर लिहाज से मीडिया को दुनियाभर में प्रमुखता मिली है। इन सबके चलते आज मीडिया खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जॉब अपॉर्चुनिटी बहुत बढ़ चुकी है। इन अवसरों को अपने पक्ष में कैश कराने के लिए आवश्यक है कि आप सही मीडिया इंस्टीट्यूट का चयन करें और एडमिशन से पूर्व उसके प्लेसमेट रिकॉर्ड लेकर इंफ्रस्ट्रक्चर की पूरी पड़ताल करें।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अवसर
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कॅरियर के लिहाज से नया क्षेत्र है लेकिन जब से इस सेक्टर ने रफ्तार पकड़ी है। यहां इंट्री लेने वाले युवाओं की संख्या भी बढ़ी है। इन सबको देखते हुए देश में बड़ी संख्या में प्रोफेशनल मीडिया इंस्टीट्यूट्स की स्थापना हो रही हैं। इन इंस्टीट्यूटस में युवाओं को जॉब के लिए तो पूरी तरह तैयार किया ही जाता है, साथ ही इस क्षेत्र का व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाता है। ऐसे में यदि आप भी इस जोश, जिम्मेदारी और ग्लैमर से भरे सेक्टर में पहचान कायम करना चाहते हैं तो संस्थान के चयन में कोताही न बरतें।
प्रोफेशनल डिग्री बनी जरूरत
प्रिंट मीडिया से उलट यह ऐसा फील्ड है, जहां आपको अपनी भाषा, बात करने के अंदाज के साथ तकनीकी दक्षता के लिए भी मेहनत करनी होगी। कैमरा चलाना, विजुअल एडिटिंग जैसे काम इसी में आते हैं। इन सबको सीखने के लिए आपको किसी प्रोफेशनल मीडिया इंस्टीट्यूट का सहारा लेना होगा। देखा भी जा रहा है कि आज न्यूज चैनल, तकनीकी रूप से सक्षम व प्रोफेशनल डिग्री व डिप्लोमाधारी युवाओं को वरीयता देते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि यहां इंट्री लेने से पहले बाकायदा तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर लें।
जब करें मीडिया इंस्टीट्यूट का रुख
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तेज ग्रोथ को देखते हुए शिक्षण संस्थान तेजी से इस ओर रुख रहे हैं। स्योर जॉब व बेहतरीन पैकेज की आस में बड़ी संख्या में युवा मीडिया संस्थानों के कॉलेजों में इंट्री ले रहे हैं। इन सबके बीच ऐसी कई चीजें हैं, जिन्हें एडमिशन के समय दिमाग में रखें तो बेहतर होगा।
प्लेसमेंट रिकॉर्ड– किसी मीडिया इंस्टीट्यूट में प्रवेश लेते समय उसके पिछले प्लेसमेंट रिकॉर्ड पर गौर करें। ध्यान दें कि रिक्रूटेड छात्र प्रतिष्ठित ऑर्गेनाइजेशन में काम कर रहे हैं या जॉब के नाम पर दूसरे, तीसरे दर्जे के संस्थानों में। इसके लिए आप कॉलेज के पूर्व छात्रों से संपर्क कर सकते हैं।
इंफ्रस्ट्रक्चर– इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पैर जमाने के लिए बेहतर ट्रेनिंग की जरूरत पडती है। इसलिए मीडिया कॉलेज में दाखिले से पहले आश्वस्त हो लें कि वहां प्रशिक्षण देने लायक सारी सुविधाएं मौजूद हों। इन सुविधाओं में कॉलेज कैंपस के साथ, आधुनिक सुविधाओं से लैस स्टूडियो, वीडियो कैमरे, सम्बन्धित साफ्टवेयर आदि सभी शामिल हैं।
जानें फैकल्टी के बारे में– विशेषज्ञ मानते हैं कि आज भी इस फील्ड में व्यावहारिक ज्ञान अहम है। इसके लिए कॉलेज में योग्य व अनुभवी फैकल्टी मौजूद होना आवश्यक है। ऐसे में संस्थान में प्रवेश से पूर्व वहां की फैकल्टी, उनके एजूकेशन रिकॉर्ड कार्यानुभव,तकनीकी दक्षता की जानकारी ले लें।
मान्यता की करें पडताल– यह ठीक है कि आज इस क्षेत्र में अकूत संभावनाएं मौजूद हैं लेकिन बहुत से मीडिया संस्थान इस सेक्टर में आई बूम का गलत फायदा उठा रहे हैं। देखा गया है कि कई मीडिया इंस्टीट्यूट बगैर किसी मान्यता व जरूरी पंजीकरण के संचालित हो रहे हैं। ऐसे में आवश्यक है कि एडमिशन के पूर्व सम्बन्धित कॉलेज की मान्यता, रजिस्ट्रेशन उनके कोर्सेज आदि के बारे में अवगत हो लें।
सेमिनार, आउटडोर एक्टिविटीज पर भी दें ध्यान
सेमिनार, आउटडोर एक्टिविटीज भी इंस्टीट्यूट चयन का बड़ा मापदंड है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे व्यावहारिक क्षेत्र में तो ये और भी खास हो जाते हैं। इंस्टीट्यूट एक सेमेस्टर में कितने सेमिनार आयोजित करता है? रिपोर्टिग, कवरेज आदि के लिए छात्रों को फील्ड पर भेजा जाता है? कौन-कौन से लोग गेस्ट फैकल्टी के तौर पर संस्थान आते हैं? आदि सभी के बारे में आपको पूरी जानकारी करनी होगी।
अहम है इंटर्नशिप– इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बारीकियां सीखने के लिए अहम है कि प्रशिक्षण बाद किसी न्यूज चैनल में इंटर्नशिप की जाए। छात्रों के लिए इंटर्नशिप का इंतजाम करना कॉलेज की ही जिम्मेदारी में आता है। ऐसे में प्रवेश से पूर्व इस बावत जानकारी कर लें तो बेहतर होगा। ये सभी जानकारियां आपके मीडिया इंस्टीट्यूट चयन की राह आसान करेंगा।
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