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कॅरियर 2012 : क्या है यह डिस्टेंस लर्निंग ?

नई इबारत नई मंजिल
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distance education

What is Distance Learning?

आज के दौर में युवा अपने प्रोफेशन में तरक्की पाना चाहते हैं। यह तरक्की आसानी से मिले और आने वाला कल भी नई उम्मीदों से भरा हो। इसके लिए जरूरी है कि उनमें एकेडमिक क्वालिफिकेशन के साथ प्रोफेशनल स्किल्स भी कूट-कूट कर भरी हों। लेकिन इसमें मुश्किल यह है कि यदि आप पहले से ही जॉब में हैं और क्वालीफिकेशन बढाना चाहते हैं तो क ाम के साथ पढाईकी दोहरी चुनौती होती है। जॉब का प्रेशर, रेगुलर क्लासेज, ऊंची-ऊंची फीस भी कम बडी चुनौतियां नहीं हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए इस तरह के कोर्सेज की कल्पना की गई, जिसमें न रेगुलर क्लास की जरूरत होती है न बडी-बडी फीस का खर्च। आप आसानी से अपना ऑफिस अंटेंड कर सकते हैं, काम निपटा सकते हैं, साथ-साथ डिग्री के हकदार भी बन जाते हैं। अगर आपका एडमिशन रेगुलर कॉलेज में नहीं हुआ है, तो आपके लिए डिस्टेंस लर्निग बेहतर कॅरियर विकल्प हो सकता है। शायद इन्हीं सब के चलते डिस्टेंस लर्निग कोर्स आज बडी जरूरत बन रहे हैं।


क्या है डिस्टेंस लर्निंग

कॉलेज में अध्ययन व अध्यापन के परंपरागत तरीकों मसलन, क्लास, अटेंडेंस, मंथली टेस्ट, क्लास नोट्स से अलग बगैर क्लास अंटेंड किए ऊंची शिक्षा व डिग्री सुनिश्चित करना आज डिस्टेंस एजूकेशन के ही चलते संभव हुआ है। कुछ समय पहले तक डिस्टेंस एजूकेशन के बारे में कम जानकारी के चलते बहुत से युवा हायर क्वालिफिकेशन से वंचित रह जाते थे। लेकिन आज यह भारतीय युवाओं की नई जरूरत बनकर उभरी है। आप किसी भी प्रोफेशन से संबधित हों। देश के किसी भी हिस्से में रहते हों, यदि आगे पढने की और बढने की चाह रखते हैं तो डिस्टेंस लर्निग आपके लिए वरदान है। आज देश के लगभग हर शहर में डिस्टेंस एजूकेशन लर्निग सेंटर हैं। जहां खुद को रजिस्टर्ड कराकर इस क्षेत्र में पहल की जा सकती है। इस क्षेत्र में बढ रहे युवाओं के रूझान देखते हुए सरकार ने भी इस ओर गंभीर प्रयास किए हैं। देश में खुली 11 ओपेन यूनीवर्सिटी छात्रों को इस क्षेत्र में लगभग हर तरह के कोर्स ऑफर करतीं हैं। इतना ही नहीं इन यूनीविर्सटीज में चलने वाले ऑनलाइन कोर्सो की मदद से आप घर बैठे पढाई कर डिग्री पा सकते हैं।


क्यों बनी आज की जरूरत

इन दिनों चल रहे जॉब्स ट्रेंड पर गौर करें तो हम पाते हैं कि युवाओं की जॉब में प्रवेश करने की औसत आयु कम हो चली है। कई बार 10+2 के बाद तो कभी स्नातक पूरा करने के पहले ही छात्र, जॉब में अपनी जगह बना लेते हैं। इस दौरान उनको बढिया पैकेज पर नौकरी तो मिल जाती है, लेकिन उनका एजूकेशनल वैल्यू एडीशन रुक जाता है। इसके अलाव कुछ स्टूडेंट्स का अच्छे कॉलेजों में एडमिशन नहीं हो पाता है, उनके लिए यह बेहतर विकल्प है। कॉरपोरट सेक्टर को ही लें तो वहां आपसी गलाकाट प्रतिस्पर्धा व दबाव के बीच कंपनियां हर लिहाज से परफेक्ट कर्मचारी ही चाहती हैं। यहां न केवल अपनी जॉब सिक्योरिटी के लिए बल्कि कंपनी के फायदे के लिए भी एम्प्लाई को अपनी क्वालिफिकेशन/ स्किल्स में वृद्धि करना जरूरी है। जिसे वे डिस्टेंस लर्निग के जरिए पूरा कर सकते हैं।


कॅरियर की राह में दमदार कोर्सेज

इन दिनों करस्पॉन्डेंस या डिस्टेंस एजूकेशन की ओर बढते युवाओं के कदम को देखते हुए देश की कई यूनिविर्सिटी इस क्षेत्र में लगभग सभी विषयों में कोर्स ऑफर करती हैं तो कुछ का अपना किसी खास विषय में स्पेशलाइजेशन भी है। इस बावत जाना पहचाना नाम बन चुका इग्नू अपने 77 से ज्यादा एकेड-मिक,प्रोफेशनल, वोकेशनल, अवेयरनेस जेनरेटिंग प्रोग्राम्स के जरिए देश के लाखों छात्रों को लाभांवित कर रहा है। इस दिशा में छात्र, अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट स्तर पर किसी भी विषय में कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं। यहां आ‌र्ट्स, कॉमर्स, साइंस तीनों ही स्ट्रीमों में डिग्री या डिप्लोमा लेवल कोर्स उपलब्ध हैं, जिनमें फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, जूलोजी, इकोनॉमिक्स, ज्योग्राफी, इंग्लिश, हिस्ट्री, सोशियोलॉजी, पॉलिटिकल साइंस, हिंदी, संस्कृत जैसे विषय अहम हैं। प्रोफेशनल कोर्सो में बी-एड, बीबीए, बी-लिब आदि छात्रों की पहली पंसद होते हैं। पीजी कोर्सेज में स्टूडेंट्स का झुकाव अमूमन एमए (हिस्ट्री, सोशियोलॉजी, पॉलिटिकल सांइस, सोशल साइंस, फिलॉसिफी, सायकोलॉजी आदि), एमएससी, एमकॉम, एमबीए की ओर रहता है।


बाजार ने बनाया जरूरतमंद

दरअसल देश की इकोनॉमी ने पिछले डेढ-दो दशक में बडी करवट ली है, जिसके चलते एक ओर देश के बाजार मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए खुले, तो दूसरी ओर देश के युवाओं के लिए नई गुंजाइशें भी पैदा हुईं। लेकिन इन बदली जरूरतों में युवाओं को बदले एजूकेशन प्रोफाइल की भी आवश्यकता पडी। पुराने माहौल में जब देश में एमबीए, बीटेक,एमसीए जैसे गिने चुने डिग्री धारकों को हाथों-हाथ लिया जाता था। आज इन डिग्रियों के बगैर जॉब मार्केट में आपका कोईनामलेवा भी नहीं मिलेगा। यही सब कारण है कि इन दिनों ज्यादा से ज्यादा युवा खुद को बाजार की जरूरत के हिसाब से ढालने में लगे हैं। इसका सकारात्मक असर इन कोर्सो की उपलब्धता पर भी पडा है।


इकोनॉमी बूस्टर साबित होता डिस्टेंस लर्निग

एसोचैेम की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले दस सालों से देश में काबिल प्रोफेशनल्स की कमी बनी हुई है, और जो युवा अलग-अलग इंडस्ट्री में काम कर भी रहे हैं वह भी वैल्यू एडीशन के अभाव में अपने सेक्टर्स के लिए उतने फायदेमंद साबित नहीं हो पा रहे हैं। गौरतलब है कि आर्थिक मंदी के बाद देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जॉब के मौके बहुत बढे हैं। मौके भुनाने के लिए आवश्यक हो चला है कि वे जॉब के अनुभव के साथ पेशेवर डिग्रियों से भी लैस हों। यहां यह बताने की बडी वजह यह है कि केवल रेगुलर प्रोफेशनल कॉलेज बडी संख्या में एजूकेशन हंग्री युवाओं के लिए अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। वैसे भी देश में इन दिनों कंप्यूटर-आईटी सेक्टर, हैवी इंडस्ट्री व दूसरी स्मॉल स्केल इंडस्ट्री में ऐसे वर्क फ्रैं डली लोगों की जरूरत है, जिनमें अपने काम से देश की अर्थव्यवस्था के पहिये को तेज करने की क्षमताएं भी हों, ऐसे में इस तरह की शिक्षा पद्यति को देश की अर्थव्यवस्था का बूस्टर कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यही कारण है कि सरकार इस तरफ काफी ध्यान दे रही है और इसे लोकप्रिय बनाने के लिए काफी पैसे भी खर्च कर रही है।


डिस्टेंस लर्निंग: डिग्री धारक नहीं रहे प्रिविलेज्ड

जॉब, अर्थव्यवस्था, आय के आकंडों के इतर शिक्षा के प्रचार प्रसार में डिस्टेस लर्निग की भूमिका देखी जाए तो हम पाएंगे कि शिक्षा क्षेत्र में दूरस्थ शिक्षा की हिस्सेदारी पिछले डेढ दो दशक से बढी है। दरअसल भारत जैसे विशाल व विविधताओं से भरे देश में शिक्षा की रौशनी हर कोने में पहुंचाना एक कठिन काम है। यह ठीक है कि हर साल की तरह इस साल भी बजट में शिक्षा क्षेत्र में आवंटन 24 फीसदी बढाकर 52,057 करोड रुपये कर दिया गया है। बावजूद इसके सच्चाईयही हैकि अभी भी रेगुलर संस्थानों के बूते सबको प्रोफशनल शिक्षा देने का सपना कोसों दूर है। इन सबके बीच दूरस्थ शिक्षा बडे पैमाने पर लोगों के बीच उच्च शिक्षा का प्रसार कर रही है। यहां से ये लोग डिग्रियां हासिल कर समाज में रेप्यूटेशन तो मेनटेन करते ही हैं, कई तरह की तकनीकी स्किल्स में माहिर होकर स्वरोजगार की राह भी खोलते हैं। डिस्टेंस लर्निग कई तरह से समाज के हर वर्ग के लिए फायदेमंद है।


सबके लिए फायदेमंद

इन कोर्सो में शामिल होने वाले ज्यादातर लोग प्रोफशनल्स ही होते हैं। अनुमान के मुताबिक इन कोर्सो में शामिल कुल छात्रों में औसतन 60 से 65 फीसदी छात्र नौकरी पेशे से जुडे होते हैं, जिनके लिए अपने बिजी शिड्यूल से समय निकाल रेगुलर कोर्स कर पाना संभव नहीं होता। डिस्टेंस कोर्स की मदद से वे अपनी पढाईपूरी कर सकते हैं।

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