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अकाउंटिंग एक ऐसी फील्ड है जिसमें किसी भी स्ट्रीम का स्टूडेंट कॅरियर को ऊंचाइयां दे सकता है. अगर किसी ने कॉमर्स से पढाई की है तो कोर्स करना आसान हो जाता है, लेकिन इस फील्ड में कुछ ऐसे भी जॉब्स हैं जहां कॉमर्स स्टूडेंट की ही डिमांड है. यदि आप धर्य और कठिन परिश्रम करने में सक्षम हैं, तो इस प्रोफेशन में आपके लिए काफी अच्छे अवसर हैं. क्या हैं भविष्य में संभावनाएं.. जिस तरह भारत में विदेशी कंपनियों की आमद बढी है, कॉमर्स के लोगों के लिए स्कोप भी बढ़ गये हैं. लेकिन इस फील्ड में कॉमर्स के अलावा भी अन्य स्ट्रीम के स्टूडेंट सीए, आईसीडब्ल्यू के अलावा अकाउंटिंग से जुडे शॅार्ट टर्म कोर्स करके अच्छा रोजगार हासिल कर सकते हैं.
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सीए : जैक ऑफ ऑल ट्रेड्स
सीए में वह सब है, जो आज का युवा नौकरी से चाहता है. कॉमर्स के किसी भी विद्यार्थी से आप पूछ लीजिए कि आगे क्या करोगे, शत्प्रतिशत का जवाब बस एक ही होगा, सीए बनेंगे. विद्यार्थियों का यह सपना ही सीए को प्राथमिकता सूची में प्रारंभिक कुछ स्थानों में ही शामिल करा देता है. यह जॉब वेतन के नजरिए से भी स्वर्णिम माना जाता है. मैनेजमेंट कोर्सो के बढते प्रभाव के बाद भी सीए का क्रेज किसी भी सूरत में कम नहीं हुआ है. हां यहां यह जरूर है कि सीए का कंपटीशन कठिन है और इसमें सफल होने के लिए अच्छी तैयारी की जरूरत होती है, लेकिन अगर अच्छा फल चाहिए तो मेहनत तो करनी ही पडेगी. अगर आप नजर डालेंगे तो पाएंगे कि आज साधारण घरों के बहुत से छात्र सीए बन गए हैं. जेनिथ अकादमी के कोऑर्डिनेटर अशोक तिवारी का कहना है कि चार्टर्ड अकाउंटेंसी का कोर्स करने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता बारहवीं उत्तीर्ण होने के साथ सीपीटी एग्जाम उत्तीर्ण करना जरूरी होता है. हालांकि स्टूडेंट दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद रजिस्टेशन करा सकता है, लेकिन 10+2 उत्तीर्ण होने के बाद ही एग्जाम दे सकता है. ऐसे कैंडिडेट्स जो कामर्स से 55 प्रतिशत अंकों के साथ और बिना कॉमर्स के 60 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हैं, उन्हें सीपीटी एग्जाम नहीं देना होगा.
सीएस: पैसे के साथ रुतबा
आज लोगों के सामने कॅरियर के कई विकल्प हैं. लेकिन अधिक वेतन दिलाने वाले कॅरियर कम ही हैं, जो हैं भी उनके तकनीकी ज्ञान के लिए पैसा अधिक खर्च होता है. आर्थिक कारणों से हर किसी के लिए यह संभव नहीं है कि वह अपने बच्चों को ऐसा कोर्स करा सकें,लेकिन सीएस की पढाई में अधिक पैसा खर्च नहीं होता है और रेगुलर क्लास भी करना अनिवार्य नहीं है. आप घर पर रहकर भी पढाई कर सकते हैं. दूर-दराज में रहने वाले छात्र ई-लर्निग के माध्यम से कंपनी सेक्रेटरी फाउंडेशन प्रोग्राम कर सकते हैं. इस कोर्स का महत्व अन्य कोर्सो से कम नहीं है.
विशेषज्ञों के अनुसार सीएस कॉरपोरेट जगत की रीढ है. बिना इसके किसी कंपनी की तरक्की संभव नहीं है. इस कॅरियर में चुनौतियां तो बहुत हैं लेकिन आगे बढने के रास्ते भी कई हैं. इस कारण से ही इसे भविष्य का कॅरियर कहा जाता है. कंपनी सेक्रेटरी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, सरकारी व गैर सरकारी एजेंसियों, शेयर होल्डर्स एवं सरकार के बीच एक कडी का काम करता है. इसमें वह सब कुछ है, जिसे आज का युवा हासिल करना चाहता है. अगर आप फाइन आर्ट्स छोडकर किसी भी विषय से बारहवीं पास हैं तो इस सीएस फाउंडेशन कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. कॉमर्स बैकग्राउंड के विद्यार्थी इसमें कुछ फायदे में रहते हैं. अगर आप कॉमर्स स्ट्रीम से स्नातक हैं और 55 प्रतिशत मार्क्स हैं या फिर बिदाउट कामर्स 60 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक उत्तीर्ण हैं तो फाउंडेशन की छूट है.
आईसीडब्ल्यूए : जॉब्स कम नहीं
कॉस्ट ऐंड मैनेजमेंट अकाउंटिंग प्रोफेशनल्स की भूमिका में इजाफा हो रहा है. ये प्रोफेशनल्स मैनेजमेंट की चुनौतियों का सामना करने और ऑपरेशंस को कॉस्ट इफेक्टिव बनाने की कला में निपुण होते हैं. ये इन्वेस्टमेंट प्लानिंग, प्रॉफिट प्लानिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और मैनेजेरियल निर्णय लेने का काम करते हैं. कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटिंग प्रोफेशनल बनने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा संचालित कोर्स करना होगा. इस कोर्स के तीन चरण हैं. फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और फाइनल कोर्स. किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से बारहवीं पास व्यक्ति इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं. ऐसे छात्र जिन्होंने बारहवीं की परीक्षा दी है, वे भी इस परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. अगर आप कॉमर्स से 50 प्रतिशत अंकों से स्नातक उत्तीर्ण होने के साथ मार्केटाइल लॉ, ऑडिटिंग एंड फाइनेंसियल अकाउंट का अध्ययन किया है तो फाउंडेशन नहीं करना होगा. इसके अलावा विदाउट कॉमर्स मैथ के साथ 55 प्रतिशत और विदाउट मैथ 60 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक उत्तीर्ण हैं तो भी फाउंडेशन नही करना होगा. यह कोर्स करने के बाद मैन्युफैक्चरिंग कंपनी या सर्विस सेक्टर में काम किया जा सकता है. बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस कोर्स को पूरा करने के बाद चेयरमैन सीईओ/सीएफओ, मैनेजिंग डायरेक्टर, फाइनेंस डायरेक्टर, फाइनेंस कंट्रोलर, चीफ अकाउंटेंट, कॉस्ट कंट्रोलर, मार्केटिंग मैनेजर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे हैं. आप चाहें तो इस कोर्स को करने के बाद निजी काम भी कर सकते हैं और चाहें तो एकेडेमिक फील्ड में भी जा सकते हैं.
अकाउंटिंग: जॉब्स का पिटारा
यदि आप कॉमर्स ग्रेजुएट हैं तो सरकारी एवं प्राइवेट संस्थानों में अकाउंटिंग की वैकेंसीज निकलती हैं,जिसमें केवल कॉमर्स स्ट्रीम के स्टूडेंट नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा यदि आप बारहवीं के बाद कोई ऐसा कोर्स करना चाहते हैं, जिसमें समय कम लगता हो और नौकरी आसानी से मिल जाए तो अकाउंटिंग क्षेत्र ही सबसे पहले नजर में आएगा. अकाउंटिंग की नौकरी जिम्मेदारी की नौकरी है जिसमें पाई-पाई का हिसाब रखना होता है. व्यापार के बदलते ट्रेंड ने अब अकाउंटिंग क्षेत्र को बहुत हद तक बदल दिया है. अब इसका लगभग सारा काम कम्प्यूटरों पर ही किया जा रहा है. इसके लिए कई विशेष सॉफ्टवेयर जैसे टैली आदि का भी निर्माण किया गया है. इस सॉफ्टवेयर का कोर्स करके अकाउंटिंग की फील्ड में जाना निश्चित रूप से फायदेमंद होगा. यहां इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि अकाउंटिंग से जुडे कम्प्यूटर कोर्स उन्हीं संस्थानों से करें जो बेसिक के साथ-साथ टैली आदि के लेटेस्ट वर्जन पर अभ्यास कराते हों. कम्प्यूटर का अच्छा संस्थान उसी को माना जाता है जो अपने विद्यार्थियों को भरपूर प्रैक्टिकल जानकारी देने के साथ नए और अच्छे सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराते हैं.
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