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Jobs in Legal Services-लीगल सर्विसेज सेक्टर में है दम

नई इबारत नई मंजिल
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Jobs in Legal Servicesलीगल सर्विसेज का नाम लेते ही सबसे पहले सामने अदालत की एक तस्वीर उभरती है- अदालत में आर्डर..आर्डर करते हुए जज और जिरह करते हुए वकील। लेकिन आज के कॉरपोरेट व‌र्ल्ड में इस सर्विस का दायरा काफी बढ़ चुका है और इसीलिए इसे एक आकर्षक कॅरियर के रूप में भी देखा जा रहा है। अब यदि यह कहें कि इस सर्विस से जुड़े लोगों के लिए खुल रहे हैं संभावनाओं के असीम द्वार, तो शायद गलत नहीं होगा।


काफी है मांग

लीगल सर्विसेज सेक्टर (Legal Services Sector) में लोगों को नौकरियां भी खूब मिल रही हैं। देश में अदालतें बेशक कम हों, लेकिन मुकदमों की तादाद लगातार बढ़ती ही जा रही है और इसीलिए दिन ब दिन वकीलों की मांग भी बढ़ती जा रही है। दरअसल, एक सच यह भी है कि दुनिया भर में चल रहे वित्तीय संकट के चलते कानूनी अडचनों से निपटने के लिए भी लोग अब लीगल एक्सपर्ट की मदद लेने लगे हैं, शायद इसलिए, क्योंकि भारतीय लीगल एक्सपर्ट की फीस ब्रिटेन और अमेरिका में काम कर रहे लीगल एक्सपर्ट (Legal Expert) की तुलना में काफी कम है। यह भी एक खास वजह है कि इन दिनों लीगल एक्सपर्ट की मांग न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी लगातार बढ़ रही है।


खुलने लगे हैं रास्ते

इन दिनों शायद ही कोई ऐसी कंपनी हो, जहां लीगल एक्सपर्ट की जरूरत न होती हो! उल्लेखनीय है कि हर बड़े आर्गनाइजेशन में लीगल डिपार्टमेंट (Legal Department) होता है, जिसमें वकीलों की अपनी एक टीम होती है। खासकर, बड़ी कंपनियों में अधिग्रहण, विलय, विवाद आदि से निपटने के लिए लीगल एडवाइजर या वकील को आकर्षक सैलरी पैकेज पर ही रखा जाता है। कुछ खास क्षेत्र, जहां आपको मिल सकती है नौकरी..

1. एडवोकेट 2. जुडिशियरी

3. टीचिंग 4. आउटसोर्सिग

5. लीगल एडवाइजर

1.एडवोकेट (Advocate): एडवोकेट के लिए प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह के ऑर्गनाइजेशन में काम करने का मौका मिलता है। एडवोकेट को कानूनी विवाद आदि को सुलझाने के लिए रखा जाता है। बड़ी कंपनियों में तो जब भी कोई बडे नीतिगत फैसले लिए जाते हैं, तो पहले लीगल ओपिनियन लेने की परंपरा सी बन गई है। इसके अलावा, असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के पदों पर भी एडवोकेट्स की नियुक्तियां होती हैं।


2. जुडिशियरी (Judiciary): देखा जाए, तो अदालतों में कानूनी मामलों की संख्या लगातार बढ़ती इसलिए भी जा रही है, क्योंकि हर मामले में दोनों तरफ से मुकदमा लड़ने के लिए वकील चाहिए और इसके साथ ही चाहिए ज्यादा जजेज भी। इसे देखते हुए जुडिशियरी का विस्तार होना करीब-करीब तय है, ताकि मामलों का निपटारा समय से हो सके। जजों की भर्ती सरकार हाईकोर्ट के माध्यम से करती है।


3. टीचिंग(Teaching): इन दिनों लॉ कॉलेज की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। दरअसल, इसीलिए लॉ टीचर्स की मांग भी तेजी से बढ़ी है। इस क्षेत्र में टीचिंग आप दो आधार पर कर सकते हैं। फुल-टाइम और पार्ट-टाइम। पार्ट-टाइम में आप प्रैक्टिस और टीचिंग दोनों साथ-साथ कर सकते हैं।


4. आउटसोर्सिग (Outsourcing): लीगल क्षेत्र में अब काफी काम आउटसोर्सिग के जरिए भी होने लगा है। यहां काम अमूमन दो तरह से हो सकते हैं :

अपनी नेटवर्किग के जरिए।

आउटसोर्सिग एजेंसी के साथ जुड़कर।


5. लीगल एडवाइजर (Legal Advisor): लीगल एडवाइजर की इन दिनों खूब डिमांड देखी जा रही है। एडवाइजर  का काम भी दो स्तर पर होता है पार्ट-टाइम और फुल-टाइम। पार्ट-टाइम एडवाइजर को किसी संस्था द्वारा खास मकसद के लिए हायर किया जाता है। इसके लिए लीगल एडवाइजर को एक निश्चित राशि दी जाती है और फिर केस-टु-केस अलग से भुगतान किया जाता है।


एलपीओ ने खोला नया द्वार

पिछले कुछ समय से भारत में बीपीओ की खूब धूम देखी गई, लेकिन अब एलपीओ यानी लीगल प्रॉसेस आउटसोर्सिंग (Legal Process Outsourcing) की धूम देखी जा रही है। इस क्षेत्र से जुड़े कार्यों के लिए विदेशी कंपनियों की नजर भारत के विशाल लॉयर्स ग्रुप पर इसलिए टिकी हुई हैं, क्योंकि यहां प्रति वर्ष लगभग 80 हजार से अधिक लॉ ग्रेजुएट कॉलेज व यूनिवर्सिटीज से बाहर निकलते हैं। साथ ही, अंग्रेजी बोलने वाले लॉयर्स की संख्या भी अच्छी-खासी है।


कैसे मिलेगी एंट्री

लीगल क्षेत्र में एंट्री के लिए एलएलबी यानी बैचलर ऑफ लॉ की बुनियादी पढ़ाई जरूरी है। इसमें सिविल लॉ, कॉरपोरेट लॉ, क्रिमिनल लॉ, प्रॉपर्टी लॉ, इंटरनेशनल लॉ, फैमिली लॉ, लेबर लॉ, एडमिनिस्ट्रेशन लॉ, कॉस्टीट्यूशन लॉ आदि के बारे में पढ़ाया जाता है। यहां दो तरह के कोर्स होते हैं। पहला, किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन करने के बाद तीन वर्षीय लॉ कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है, जबकि पांच वर्षीय लॉ कोर्स में 12वीं (किसी भी स्ट्रीम) के बाद एडमिशन ले सकते हैं। लॉ में आगे की पढ़ाई के इच्छुक छात्र एलएलएम (मास्टर ऑफ लॉ) और पीएचडी/एलएलडी (डॉक्टर ऑफ लॉ) की पढ़ाई कर सकते हैं। 12वीं में कम से कम 50 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए आवेदन कर सकते हैं।


प्रमुख लॉ कॉलेज

एनएलएसआईयू, बेंगलुरु

एनएलएसएआर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद

एनएलआईयू, भोपाल

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर

कैम्पस लॉ सेंटर, दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली

एनयूजेएस, कोलकाता

सिम्बायोसिस सोसायटीज लॉ कॉलेज, पुणे

आईएलएस लॉ कॉलेज, पुणे

गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुम्बई

एमिटी लॉ स्कूल, दिल्ली

चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना

डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ

राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ पंजाब, पटियाला


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