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[Multimedia and Animation] क्रिएटिविटी का क्रेज

नई इबारत नई मंजिल
नई इबारत नई मंजिल
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इस आलेख को तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय(मुरादाबाद) के सहयोग से जारी किया गया है. तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय की वेबसाइट है: http://tmu.ac.in


सडकों पर मुंह से आग उगलता गॉडजिला, पृथ्वी पर घूमते दूसरे ग्रह के अजीबोगरीब प्राणी एलियंस, ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों पर रेंगता स्पाइडरमैन, राक्षसों से लडते हनुमान व गणेश और बच्चों को लुभाता जंबो! ये सभी पात्र और इनके कारनामे ग्राफिक्स और विजुअल इफेक्ट्स की बदौलत ही स्क्रीन पर हम सभी को अचंभित करते दिखते हैं। एनिमेशन और मल्टीमीडिया का प्रभाव सिर्फ सिनेमा में ही नहीं, बल्कि एडवरटाइजिंग, टीवी मीडिया, एजुकेशन, गेम आदि क्षेत्रों में भी खूब कमाल दिखा रहा है।


मल्टीमीडिया और एनिमेशन


टेक्स्ट, एनिमेशन, ग्राफिक्स, साउंड, वीडियो आदि का मिलाजुला रूप है-मल्टीमीडिया। दूसरे शब्दों में, ऑडियो-वीडियो मैटीरियल को खूबसूरती से पेश करना ही मल्टीमीडिया का काम है। इसी का एक प्रमुख अंग है एनिमेशन, जिसमें डिजाइन, ड्राइंग-ग्राफिक्स, लेआउट और फोटोग्राफी को खूबसूरती से एक सूत्र में पिरोया जाता है।

संभावनाएं


बीपीओ की तरह एनिमेशन एवं विजुअल इफेक्ट्स के क्षेत्र में भी भारतीय प्रोफेशनल्स की तूती पूरी दुनिया में बोल रही है। यही कारण है कि यहां कनाडा, अमेरिका, सिंगापुर आदि कई देशों से एनिमेशन प्रोजेक्ट बडी संख्या में मिल रहे हैं। दिल्ली स्थित प्रान्स मीडिया के निखिल प्राण का कहना है कि यहां प्रत्येक साल बनने वाली ऐसी फिल्मों की संख्या अन्य देशों की अपेक्षा कहीं अधिक है, जिनमें एनिमेशन या विजुअल इफेक्ट्स का अधिकाधिक इस्तेमाल होता है। ऐसी फिल्में 20 फीसदी सालाना की दर से बढ रही हैं। फिलहाल एनिमेटेड फिल्मों के अतिरिक्त गेमिंग का भी बाजार उछाल पर है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय एनिमेशन इंडस्ट्री ट्रेंड प्रोफेशनलों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है। अगले पांच वर्षो में 2 लाख मल्टीमीडिया प्रोफेशनलों की जरूरत होगी। नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर ऐंड सर्विसेज कंपनीज (नैस्कॉम) की ताजा स्टडी के अनुसार, ग्लोबल एनिमेशन इंडस्ट्री वर्ष 2010 के आखिर तक 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी। इसमें भारतीय भागीदारी करीब 95 करोड अमेरिकी डॉलर की होगी। एनिमेशन इंडस्ट्री का विकास 15 फीसदी सालाना की दर से हो रहा है। व‌र्ल्डवाइड गेमिंग मार्केट के इस वर्ष के आखिर तक करीब 12 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

किस तरह के हैं कोर्स


बैचलर इन मल्टीमीडिया

बैचलर इन एनिमेशन

बैचलर इन डिजिटिल मीडिया

बैचलर इन गेम्स एंड इंट्रैक्टिव मीडिया डिजाइन

बैचलर इन विजुअल कम्युनिकेशन

डिप्लोमा इन मल्टीमीडिया ऐंड एनिमेशन

ग्राफिक डिजाइनिंग


गेको एनिमेशन के परेश मेहता कहते हैं कि ग्राफिक डिजाइनिंग में मूल रूप से टेक्स्ट और ग्राफिकल एलीमेंट का प्रयोग किया जाता है। इसका मुख्य कार्य पेज एवं अन्य प्रोग्राम को आकर्षक और सुंदर बनाने का होता है। ग्राफिक डिजाइन वह आर्ट है, जिसमें टेक्स्ट और ग्राफिक के द्वारा कोई न कोई संदेश लोगों तक प्रभावी तरीके से पहुंचाया जाता है। यह संदेश ग्राफिक्स, लोगो, ब्रोशर, न्यूज लेटर, पोस्टर या फिर किसी भी रूप में हो सकता है। ग्राफिक डिजाइनिंग के लिए ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लेवॅल पर कई कोर्स कराए जाते हैं। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइनिंग के 4 वर्षीय ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए 10+2 पास होना जरूरी है। इसके बाद प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू से गुजरना होता है। वहीं ढाई वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम इन डिजाइन के लिए ग्रेजुएट ऑफ बीएफए, अप्लाइड आर्ट, इंटीरियर डिजाइन या फिर ग्राफिक डिजाइन में प्रवेश परीक्षा+इंटरव्यू पास करना होता है।

कार्य क्षेत्र


एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में ग्राफिक डिजाइनरों की जरूरत होती है। लाइव स्टेज शो, ब्रांड प्रमोशन, एग्जीबिशन से लेकर शादी समारोह तक में ग्राफिक डिजाइनर की काफी मांग है। स्टेज डिजाइनिंग, सजावट आदि की व्यवस्था करने के लिए भी अच्छे ग्राफिक डिजाइनर की जरूरत पडती है। क्रॉनिकल पब्लिकेशन के अमरेंद्र कुमार कहते हैं कि बुक पब्लिशिंग का काम आज काफी बढ गया है। अगर कोई किताब आकर्षक तरीके से डिजाइन किया गया है, हर किसी की नजर उस पर पडेगी। पब्लिशिंग इंडस्ट्री में हो रही बढोत्तरी से कवर डिजाइन का महत्व काफी बढ गया है।

आवश्यक योग्यता


ग्राफिक डिजाइन, विजुअल इफेक्ट्स (मल्टीमीडिया और एनिमेशन) में बैचलर डिग्री और डिप्लोमा स्तर के कई कोर्स उपलब्ध हैं। इनमें दाखिले के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से बारहवीं पास होना जरूरी है। इस कोर्स में पीजी प्रोग्राम में दाखिले के लिए किसी भी स्ट्रीम में बैचलर डिग्री आवश्यक है।

जरूरी स्किल


इस क्षेत्र में कामयाबी पाने के लिए सबसे जरूरी है-क्रिएटिविटी। इसके अतिरिक्त, ग्राफिक्स में रुचि, कम्प्यूटर की जानकारी, अच्छी पर्सनैल्टी, फ्लेक्सिबिलिटी, मैथेमेटिकल ऐंड एनालिटिकल स्किल्स, कम्युनिकेशन स्किल, कलात्मक अभिरुचि भी जरूरी है।

विजुअल इफेक्ट्स के कोर्स


विजुअल इफेक्ट्स में पारंगत होने के लिए 12वीं के बाद बीएससी इन मल्टीमीडिया भी किया जा सकता है। इस कोर्स की अवधि तीन साल है। इसके अलावा, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी उपलब्ध हैं, जिनकी अवधि 12 स 16 माह की होती है। कोर्स के तहत थ्योरी और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाती है।

आवश्यक योग्यता


गेको एकेडेमी के सीओओ परेश मेहता कहते हैं कि मल्टी मीडिया कोर्स के साथ खास बात यह है कि यह जितना आधुनिक और व्यापक है, उसके हिसाब से इस कोर्स में प्रवेश के लिए किसी बडी डिग्री की आवश्यकता नहीं होती। हां, अधिकतर संस्थान कम से कम बारहवीं पास स्टूडेंट्स को इस कोर्स में एडमिशन देते हैं। इसके लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान और क्रिएटिविटी सफलता की शर्त है।

महत्वपूर्ण संस्थान


आईआईटी मुंबई iitb.ac.in

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद nid.edu

जागरण इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड मास कम्युनिकेशन, सेक्टर-6, नोएडा व कानपुर वेबसाइट : jimmc.in

एरिना एनिमेशन एकेडमी, एफ-35 ए, साउथ एक्सटेंशन-1, नई दिल्ली, वेबसाइट: bestanimationschool.com

सीजी मंत्रा, डी-108, सेक्टर-2, नोएडा वेबसाइट : cgmantra.in

गेको एनिमेशन स्टुडियो, ई-10, दूसरा व तीसरा तल, साउथ एक्सटेंशन, पार्ट-2, नई दिल्ली वेबसाइट : geckoindia.com

प्रान्स मीडिया इंस्टीटयूट, ई-13, ग्रीन पार्क एक्सटेंशन, नई दिल्ली वेबसाइट: pran.in

एडिटव‌र्क्स स्कूल ऑफ एनिमेशन, सी-56/12, इंस्टीट्यूशनल एरिया, सेक्टर-62, नोएडा वेबसाइट: editworksindia.com

एनिटून्स, 19, कॉमर्शियल ब्लॉक, कौशांबी, गाजियाबाद वेबसाइट: anitoonsindia.com

हैं संभावनाएं अपार


नैस्कॉम एनिमेशन ऐंड गेमिंग फोरम के सलाहकार और नोएडा स्थित सीजी मंत्रा के डायरेक्टर एबीआरपी रेड्डी से खास बातचीत


क्या एनिमेशन सिर्फ एंटरटेनमेंट तक ही सीमित है?


नहीं, आज एंटरटेनमेंट के अलावा एजुकेशन, मेडिसिन, उड्डयन, इंजीनियरिंग एप्लीकेशंस आदि में भी एनिमेशन का खूब इस्तेमाल हो रहा है।

भारत में इस इंडस्ट्री की आज क्या स्थिति है?


कम लागत से प्रोजेक्ट पूरा करने की खासियत के चलते भारतीय एनिमेशन स्टुडियो को पश्चिमी देशों से आउटसोर्सिग का खूब काम मिल रहा है। वे अमेरिका एवं यूरोपीय ग्राहकों के साथ प्रोजेक्ट्स के को-प्रोड्यूसर भी बन रहे हैं। क्रेस्ट एनिमेशन स्टुडियो की फिल्म अल्फा ऐंड ओमेगा इसी का एक उदाहरण है, जो जल्द ही अमेरिका में 2500 स्क्रीनों पर प्रदर्शित होने जा रही है। इस स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत अगले चार-पांच वर्षो में दुनिया का अग्रणी राष्ट्र बन सकता है।

भारत से आउटसोर्सिग कराने की खास वजह क्या है?


इसके पीछे लो कॉस्ट, मोर प्रॉफिट का सिद्धांत ही काम कर रहा है। अमेरिका में एनिमेशन व गेमिंग का खूब काम हो रहा है, लेकिन वहां किसी भी प्रोजेक्ट की लागत बहुत ज्यादा आने से उसे किसी ऐसे देश से आउटसोर्स किया जाता है, जहां निर्माण लागत तो कम हो ही, गुणवत्ता भी किसी तरह से कम न हो।

कोर्स करने के बाद कहां-कहां जॉब मिलने का स्कोप है?


एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री, वीडियो गेम कंपनी, एडवरटाइजिंग फर्म, कम्प्यूटर कंपनी आदि में रोजगार के कई विकल्प मौजूद हैं। शुरुआत ऐड इंडस्ट्री से भी कर सकते हैं। इसके अलावा, टेक्सचर आर्टिस्ट, एनिमेटर्स आदि के रूप में अपना करियर संवार सकते हैं।

इस क्षेत्र में आने वाले स्टूडेंट्स को क्या सलाह देंगे?


कोर्स चुनने से पहले आपको यह निर्णय लेना होगा कि आप ग्राफिक डिजाइनर, कला निर्देशक, एनिमेटर, मल्टीमीडिया डिजाइनर में से क्या बनना चाहते हैं? जिस क्षेत्र का चुनाव करें, उसमें अधिक से अधिक सीखने की कोशिश करें।

इस फील्ड में आने की चाहत रखने वाले स्टूडेंट में क्या काबिलियत होनी चाहिए?


उसे क्रिएटिव माइंड का होना चाहिए और अंग्रेजी तथा कम्प्यूटर की समझ होनी चाहिए। यदि उसे ग्राफिक्स व म्यूजिक की अच्छी समझ है, तो और अच्छा है।

ट्रेंड प्रोफेशनल्स को शुरुआत में कितनी सैलॅरी मिल जाती है?


किसी अच्छे संस्थान से कोर्स करने के उपरांत ट्रेंड प्रोफेशनल्स को शुरुआती दिनों में 15 से 25 हजार रुपये आसानी से मिल जाते हैं। अनुभव बढने के साथ कमाई की कोई सीमा नहीं रह जाती।

आउटसोर्सिग में अव्वल भारत


भारत से ज्यादा आउटसोर्सिग कराने के पीछे लो कॉस्ट, मोर प्रॉफिट का कॉन्सेप्ट ही काम कर रहा है। वैसे तो, अमेरिका में एनिमेशन व गेमिंग का खूब काम हो रहा है, लेकिन वहां किसी भी प्रोजेक्ट की लागत बहुत ज्यादा आने से उसे किसी ऐसे देश से आउटसोर्स किया जाता है, जहां निर्माण लागत कम तो हो ही, प्रोग्राम की गुणवत्ता भी किसी तरह से कम न हो। इस फील्ड में करियर बनाने की चाह रखने वाले युवाओं को क्रिएटिव माइंड का होना चाहिए और अंग्रेजी तथा कम्प्यूटर की समझ होनी चाहिए। यदि उसे ग्राफिक्स व म्यूजिक की अच्छी समझ है, तो और अच्छा है।

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