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विनायकऔर रमेश गहरे मित्र हैं। दोनों बचपन से साथ पढ़े और बड़े हुए हैं। दोनों ने बीटेक किया। हालांकि इसके बाद दोनों ने दिशा बदल ली। विनायक ने जहां एमबीए करके एक मल्टीनेशनल कंपनी में भारी-भरकम पैकेज पर एग्जीक्यूटिव की जॉब ज्वाइन कर ली, वहीं रमेश सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गया। दो साल की तैयारी के बाद पहले अटेम्प्ट में ही उसने पीटी और मेन्स तो क्लीयर कर लिया, पर इंटरव्यू में रह गया। हालांकि अगले ही साल उसने न सिर्फ अपनी कमजोरी दूर कर ली, बल्कि टॉप 50 में स्थान बनाकर प्रॉपर आईएएस चुन लिया गया। आज वह बड़े राज्य के बड़े जिले में बतौर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी डीएम तैनात है और अपनी उपलब्धियों और कार्यो के कारण पूरे देश में मशहूर है। यह कहानी इसलिए क्योंकि आज भले ही मल्टीनेशनल कंपनियां युवाओं को आकर्षक पैकेज से लुभा रही हों, लेकिन सच तो यह है कि आज भी ग्रेजुएट युवाओं के बीच आईएएस का क्रेज बरकरार है। अगर आप भी आईएएस, आईपीएस, आईएफएस या इसके समकक्ष अन्य क्लास वन नौकरियों के लिए क्रेजी हैं तो अभी से कमर कस लें।
क्रेज क्यों
डीएम किसी जिले का सबसे बडा सरकारी अधिकारी होता है। मल्टीनेशनल व कॉर्पोरेट कंपनियों में ग्लैरमस कॅरियर के बावजूद अधिकांश ग्रेजुएट आज भी आईएएस, आईपीएस, आईएफएस या समकक्ष अधिकारी बनने का ख्वाब देखते हैं, क्योंकि डीएम (आईएएस) की लाल बत्ती वाली कार और एसएसपी-एसपी (आईपीएस) की थ्री-स्टार वाली खाकी वर्दी का रौब उन्हें ही खूब लुभाता है। खास बात यह है कि यही अधिकारी जिले से प्रोग्रेस करते हुए राज्य और केंद्र में टॉप ऑफिसर भी बनते हैं। राज्यों की राजधानियों और केंद्र में विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव प्राय: सीनियर आईएएस ही होते हैं।
कैसे बनें
डीएम यानी आईएएस (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस), एसएसपी यानी आईपीएस (इंडियन पुलिस सर्विस), आईएफएस (इंडियन फॉरेन सर्विस)और इसके समकक्ष अन्य सरकारी पदों तक पहुंचने के लिए संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है।
बजा बिगुल
अभी से जोरदार तैयारी इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से आप सेवा में चमकदार कॅरियर बना सकते हैं। यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के लिए अन्य योग्यताएं इस प्रकार हैं:
शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification): आवेदकों को किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय या समकक्ष संस्थान से स्नातक होना चाहिए। ग्रेजुएशन कर रहे अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी भी इस परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते कि मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरने से पहले वे ग्रेजुएशन कम्प्लीट कर लें।
उम्र सीमा(Age Limit): आवेदक की उम्र 21 वर्ष से कम और 30 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति/जनजाति के आवेदकों के लिए ऊपरी आयु सीमा में 5 वर्ष की तथा अन्य पिछडा वर्ग के आवेदकों के लिए 3 वर्ष की छूट का प्रावधान है।
): सामान्य श्रेणी के आवेदक इस परीक्षा में चार बार शामिल हो सकते हैं। एससी/एसटी के आवेदकों के लिए अवसरों की कोई सीमा नहीं है, जबकि ओबीसी आवेदक सात बार इस परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं। ध्यान रखें, प्रारंभिक परीक्षा के एक पेपर में भी शामिल होने को एक अवसर के रूप में गिना जाता है, इसलिए अवसरों का उपयोग सोच-समझकर और पूरी तैयारी हो जाने पर ही करें।
आवेदन प्रक्रिया(Application Process): अभ्यर्थियों को यूपीएससी द्वारा निर्धारित फॉर्म में आवेदन करना होगा। ये ऐप्लिकेशन फॉर्म देश के निर्धारित मुख्य डाकघरों से 20 रुपये नकद देकर प्राप्त किए जा सकते हैं। इन्हें पूरी तरह से भर कर 50 रुपये के सेंट्रल रिक्रूटमेंट फी स्टैंप के साथ संघ लोक सेवा आयोग के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय धौलपुर हाउस भेजना होता है। इस बारे में विस्तृत जानकारी यूपीएससी की वेबसाइट upsc.gov.in से प्राप्त की जा सकती है।
परीक्षा का स्वरूप (Examination Format)
यूपीएससी द्वारा हर वर्ष आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में कुल तीन चरण होते हैं-प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार या पर्सनैल्टी टेस्ट। इन तीनों चरणों को अलग-अलग क्वालिफाई करना होता है। आइए जानते हैं इन तीनों के स्वरूप के बारे में:
प्रारंभिक परीक्षा(Preliminary Examination): आवेदकों को सबसे पहले प्रारंभिक परीक्षा के लिए आवेदन करना होता है। यह एक तरह से स्क्रीनिंग टेस्ट है, जिसका मकसद अगंभीर आवेदकों की छंटनी करना है। इसमें उत्तीर्ण होने वाले आवेदकों को मुख्य परीक्षा के लिए अलग से फॉर्म भरना होता है। प्रारंभिक परीक्षा के अंक मेरिट लिस्ट बनाते समय नहीं जोडे जाते।
यह परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रश्नों (Objective Questions) पर आधारित होती है, जिसमें दो प्रश्नपत्र होते हैं-पहला सामान्य अध्ययन (जीएस) का अनिवार्य प्रश्नपत्र, जिसके लिए 150 अंक निर्धारित होते हैं और दूसरा यूपीएससी की निर्धारित सूची से आवेदक द्वारा चुना गया कोई एक ऐच्छिक विषय, जो 300 अंक का होता है। जीएस के पेपर में कुल 150 प्रश्न तथा ऐच्छिक विषय के पेपर में कुल 120 प्रश्न होते हैं। इन दोनों प्रश्नपत्रों में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट बनाई जाती है। निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जाता है और उन्हें आयोग द्वारा भेजे गए फार्मेट में मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन करना होता है। चूंकि वर्ष 2007 की प्रारंभिक परीक्षा से निगॅटिव मार्किंग का नियम लागू हो गया है, इसलिए अभ्यर्थियों को उत्तर देते समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। अनुमान के आधार पर उत्तर कतई न दें, क्योंकि उत्तर गलत होने पर आपके सही उत्तर के अंक भी कट जाएंगे।
मुख्य परीक्षा(Main Examination): सिविल सेवा के लिए यही असली परीक्षा होती है, जिसका स्वरूप निबंधात्मक होता है। इसमें अनिवार्य और ऐच्छिक सहित कई प्रश्नपत्र होते हैं। अनिवार्य प्रश्नपत्रों में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किसी भारतीय भाषा या हिन्दी और अंग्रेजी (दोनों 300-300 अंक के) का प्रश्नपत्र शामिल हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन दोनों प्रश्नपत्रों में न्यूनतम अर्हता अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों के ही शेष प्रश्नपत्रों के उत्तर पत्रकों की जांच की जाएगी।
अनिवार्य प्रश्नपत्रों में निबंध (300 अंक) और सामान्य अध्ययन के दो प्रश्नपत्र (दोनों 300-300 अंक के) भी शामिल हैं। इसके अलावा अभ्यर्थी द्वारा चुने गए दो ऐच्छिक विषयों (जिनका उल्लेख मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरते समय करना होता है) के दो-दो प्रश्नपत्र भी होते हैं, जिनके लिए 300-300 अंक निर्धारित हैं। इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों का सर्वाधिक योगदान होता है। इसमें सफल अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए कॉल किया जाता है।
इंटरव्यू(Interview): इसके लिए कुल 300 अंक निर्धारित हैं। इंटरव्यू यानी साक्षात्कार आयोग के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय धौलपुर हाउस में आयोजित किया जाता है। इंटरव्यू एक बोर्ड द्वारा लिया जाता है, जिसका अध्यक्ष आयोग का सदस्य होता है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। इंटरव्यू बोर्ड द्वारा अभ्यर्थी से उसकी शैक्षिक पृष्ठभूमि तथा समसामयिक मुद्दों पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके माध्यम से अभ्यर्थी की एक भावी अधिकारी के रूप में समझ-बूझ की परख की जाती है।
अंतिम चयन(Final Selection): मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू में प्राप्त अंकों के आधार पर अंतिम मेरिट लिस्ट बनाई जाती है और रिक्तियों के अनुपात में सफल अभ्यर्थियों के नामों की घोषणा कर ही जाती है।
(वर्ष 2006 में टॉप टेन में शामिल जुहेर बिन सगीर से बातचीत पर आधारित)
चुनें स्कोरिंग विषय
श्रीराम आईएएस के डायरेक्टर श्रीरंगम श्रीराम से बातचीत
सिविल सेवा परीक्षा के लिए ऐच्छिक विषय चुनते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है? ऐच्छिक विषय के लिए वही विषय चुनें, जिसमें आपके माध्यम (खासकर हिन्दी) में पर्याप्त पुस्तकें उपलब्ध हों। साथ ही, उस विषय में आपकी रुचि हो और वह सिविल सेवा परीक्षा की दृष्टि से स्कोरिंग हो। वैसे आप ग्रेजुएशन के दौरान पढ़े गए विषय भी ले सकते हैं, बशर्ते कि वह इस परीक्षा के पाठ्यक्रम के अनुरूप हो। मित्रों की देखा-देखी विषय का चयन न करें।
परीक्षा की बेहतर तैयारी के लिए क्या करना चाहिए?
सफलता के लिए एक वर्ष पूर्व से मुख्य परीक्षा की तैयारी आरंभ कर देनी चाहिए। यदि प्रारंभिक परीक्षा के लिए आवेदन करने के बाद पहले इसकी तैयारी करते हैं और इसमें सफल रहते हैं, तो इसके बाद मुख्य परीक्षा के लिए मात्र 2 से 3 महीने का समय ही मिल पाता है, जो पर्याप्त नहीं है। प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ मुख्य परीक्षा की तैयारी करते रहनी चाहिए।
तैयारी के लिए मार्गदर्शन कहां से हासिल करें?
यदि आपके आस-पास कोई ऐसा मित्र या परिचित है, जो इस परीक्षा में पहले सफलता हासिल कर चुका है, तो उससे मशविरा लेकर अपनी तैयारी की स्ट्रेटेजी बनाना लाभप्रद हो सकता है।
कोचिंग क्लासेज से कितनी मदद मिल सकती है?
अच्छी तैयारी के लिए किसी अच्छे कोचिंग संस्थान के टच में रहने से तैयारी बेहतर हो सकती है। इससे आपको अपने कमजोर पहलुओं को जानने और उन्हें दूर करने में मदद मिलेगी।
निगॅटिव मार्किग से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
वर्ष 2007 की प्रारंभिक परीक्षा से निगेटिव मार्किग शुरू हो गई है। इससे बचने के लिए परीक्षा भवन में सिर्फ अनुमान से उत्तर बिल्कुल न दें। प्रश्न के उत्तर के प्रति आप कॉन्फिडेंट हैं, केवल उसी का जवाब दें।
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