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रूस की क्वालिटी मेडिकल एजूकेशन से आकर्षित होकर बडी संख्या में भारतीय छात्र वहां जाने का निर्णय ले रहे हैं।
उच्च साक्षरता दर
क्षेत्रफल के आधार पर विश्व के सबसे बड़े इस देश की साक्षरता दर 99 प्रतिशत से अधिक है। माना जाता है कि रूस में उच्च शिक्षा की शुरुआत 18वीं शताब्दी से हो गई थी। आज वहां तकरीबन 50 प्रतिशत से अधिक लोग स्नातक की योग्यता रखते हैं।
बदलाव की ओर
उच्च शिक्षा को आधुनिक रूप देने में रूस किसी से पीछे नहीं है। वहां की उच्च शिक्षा व्यवस्था प्रारंभिक चरण में जर्मनी की उच्च शिक्षा व्यवस्था से मेल खाती थी। सोवियत संघ के समय से ही की शिक्षा व्यवस्था में समय-समय पर बदलाव किए जाते रहे। रूस के अलग अस्तित्व में आने के बाद ये बदलाव और भी तेजी से शुरू हो गए। इसका सार्थक परिणाम सामने आ गया है। विदेशी छात्रों की बढ़ती संख्या इस बात की पुष्टि कर रही है।
मेडिकल और इंजीनियरिंग
मुख्यत: विदेशी विद्यार्थी रूस में मेडिकल और इंजीनियरिंग कोर्सो में प्रवेश के लिए आवेदन करते हैं। मेडिकल एजूकेशन के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या अधिक रहती है। गौरतलब है कि मेडिकल शिक्षा के मामले में रूस (विघटन से पूर्व सोवियत संघ )प्रारंभ से ही अग्रणीय देश रहा है।
मेडिकल है नं-1
रूस की अत्याधुनिक मेडिकल शिक्षा एवं इस क्षेत्र में शोधकायरें के लिए दी जाने वाली सुविधाओं से आकर्षित होकर विद्यार्थी रूस की ओर रुख करते हैं। वहां मेडिकल पाठयक्रमों की फीस शिक्षा की क्वालिटी को देखते हुए कम मानी जाती है। सरकार इस बात पर नजर रखती है कि छात्रों को हर हाल में नई से नई तकनीक एवं उससे संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराई जाएं।
अंतरराष्ट्रीय मान्यता
वहां की मेडिकल शिक्षा को अधिकतर अंतरराष्ट्रीय संगठन मान्यता देते हैं। विश्वस्तर पर यूनिवर्सिटियों की शीर्ष वरीयता सूची में भी यहां के मेडिकल विश्वविद्यालयों का अच्छा स्थान है। रूस से मेडिकल शिक्षा लेकर आने वाले भारतीय विद्यार्थी एक आसान प्रक्रिया के बाद भारत में प्रैक्टिस कर सकते हैं।
रशियन और अंग्रेजी भाषा
वहां के विश्वविद्यालयों में चलाए जा रहे कोर्सो की भाषा रशियन और अंग्रेजी दोनों ही है। अधिकतर अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी शिक्षा के लिए अंग्रेजी भाषा का ही चयन करते हैं लेकिन कई विद्यार्थी ऐसे भी हैं जो रशियन भाषा का कोर्स करने के बाद मेडिकल या इंजीनियरिंग के कोर्सो में प्रवेश लेते हैं।
व्यक्तित्व विकास
वहां के अध्यापकों का पूरा प्रयास रहता है कि छात्रों के पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों तरह के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाए। अध्यापक और छात्रों के बीच बेहतर सामंजस्य के लिए इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कक्षा में छात्रों की संख्या किसी भी सूरत में अधिक नहीं हो। छात्रों से निकटता के लिए कई यूरोपीय देश इस नीति को अपना रहे हैं।
भारतीय छात्र
एक अनुमान के अनुसार इस समय जितने भी विदेशी छात्र रूस में हैं, उनमें से तकरीबन 10 प्रतिशत भारतीय हैं। माना जा रहा है कि इस समय तकरीबन पांच हजार भारतीय छात्र वहां उच्च शिक्षा ले रहे हैं, जिनमें 99 प्रतिशत मेडिकल के विद्यार्थी हैं। रूस की राजधानी मॉस्को इन छात्रों की पहली पसन्द है। भारत के रूस के साथ दीर्घकाल से मित्रतापूर्ण संबंध हैं और भारतीय निवासियों को वहां के नागरिकों का भरपूर सहयोग मिलता है। सांस्कृतिक रूप से दोनों देशों को करीब लाने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर भी एक दूसरे देश के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहते हैं।
विकसित होती दूरस्थ शिक्षा
आज अधिकतर देशों में दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। रूसी विश्वविद्यालय भी ऐसे अल्प एवं दीर्घ अवधि कोर्स चला रहे हैं। इन कोर्सो में मुख्यत: रशियन भाषा के ही कोर्स हैं। दूरस्थ शिक्षा में कुछ समय पूर्व तक रूस को समतुल्य यूरोपीय देशों की तुलना में कमजोर माना जाता था, लेकिन इधर चार-पांच सालों में इस क्षेत्र में भी उसने अच्छी पकड़ बना ली है।
वीजा
अगर आप रूस में पढ़ना चाहते हैं तो रशियन एजूकेशन इंस्टीटयूट के आमंत्रण पर आप को स्टूडेंट वीजा आसानी से मिल सकता है। इस वीजा में कोर्स के अनुसार बाद में परिवर्तन भी संभव है। स्टूडेंट वीजा के लिए आपके पास वैध पासपोर्ट, हाल में खिचाई गई फोटोग्राफ, समस्त शक्षिक योग्यताओं के प्रमाणपत्र, जनरल हेल्थ सर्टिफिकेट, एचआईवी टेस्ट सर्टिफिकेट आदि होना जरूरी है।
प्रमुख विश्वविद्यालय
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