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सिंगापुरके अलावा शायद ही कोई दूसरा स्थान हो, जहां पूर्व और पश्चिम दोनों की संस्कृतियों का समावेश देखने को मिले। कई सभ्यताओं और संस्कृतियों की छाप रखने वाला यह देश फाइनेंस, बिजनेस और एजूकेशन सभी क्षेत्रों में लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। जहां तरह-तरह की विविधता हो, वहां सीखने के अवसर भी अधिक होते हैं। ये चीज सीख ली, चलो अब कुछ और सीखते हैं, ऐसी मानसिकता सिंगापुर के आम निवासियों की है। इस सोच के कारण ही सिंगापुर विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति के नए मुकाम हासिल करता जा रहा है। वहां पढ़ने जाने वाले विद्यार्थी भी इस आदत को जल्द ही अपना लेते हैं। यह आदत जीवन के हर पल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
भारतीयों की संख्या
सिंगापुर दक्षिण-पूर्व एशिया का एजूकेशन हब है और यह लगातार वैश्विक व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र भी बनता जा रहा है। यहां के अधिकतर विश्वविद्यालयों में एशियाई एवं पश्चिमी शिक्षण पद्यति का समावेश दिखाई देता है। शिक्षा के इस अनोखे समन्वय से आकर्षित होकर प्रतिवर्ष तकरीबन 80 हजार से अधिक विद्यार्थी विभिन्न विषयों का अध्ययन करने के लिए दूसरे देशों से आते हैं। सिंगापुर में मलय, मंदारिन, तमिल और अंग्रेजी भाषाएं प्रमुख रूप से बोली जाती हैं। भारतीय तमिलों की संख्या भी बहुत अधिक है। भारतीयों की यह मौजूदगी सिंगापुर में भारत की झलक के दर्शन भी कराती रहती है।
शिक्षा पर खर्च
सिंगापुर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एजूकेशन हब के रूप में स्थापित करने के लिए वहां की सरकार शिक्षण-संस्थाओं को हर संभव सुविधा प्रदान करती है। इस काम में धन की कमी को बाधा नहीं बनने दिया जाता है। प्रतिवर्ष शिक्षा पर खर्च किया जाने वाला धन वहां के आम बजट का लगभग पांचवा हिस्सा है। यहां टयूशन फीस और रहने का खर्च बहुत अधिक नहीं है। प्राइवेट विश्वविद्यालयों में सरकारी की तुलना में शुल्क अधिक है।
कम खर्च, बेहतर सुविधा
सिंगापुर में उच्चस्तरीय वैश्विक शिक्षा, यूरोपीय देशों की तुलना में कम ही है। इसके बाद भी शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में यहां कोई समझौता नहीं किया जाता है। परिवहन और खाने-पीने की चीजों के दाम भी मुनासिब ही हैं। बहुत सी चीजों में स्टूडेंट आईकार्ड दिखाने पर कुछ छूट भी मिल जाती है। भारतीय विद्यार्थियों के लिए सिंगापुर इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है ,क्योंकि वहां से प्रमुख भारतीय शहरों में आने-जाने के साधन को लेकर कोई समस्या नहीं है। वहां से दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता आदि स्थानों के लिए अच्छी वायुसेवा आसानी से उपलब्ध है।
स्कॉलरशिप
अन्य प्रमुख देशों की तरह सिंगापुर में भी स्कॉलरशिप की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं। इन स्कॉलरशिप से मिलने वाला धन टयूशन फीस के बोझ को काफी हद तक कम कर देता है। इसके अलावा विभिन्न योजनाओं के तहत विद्यार्थियों को चिकित्सा सेवाओं में भी भारी छूट मिल जाती है। वहां जाने वाले विदेशी विद्यार्थी इस तरह की सहायता योजनाओं के लिए सिंगापुर मिनिस्ट्री ऑफ एजूकेशन में आवेदन कर सकते हैं।
वीजा प्रक्रिया
सिंगापुर में शक्षिक सत्र का प्रारंभ अमूमन सितंबर माह में होता है। विद्यार्थियों को स्टूडेंट वीजा बिना किसी खास परेशानी के निर्धारित प्रक्रिया के बाद मिल जाता है। स्टूडेंट वीजा के आवेदन के साथ यह भी देखा जाता है कि आपकी अंग्रेजी भाषा में पकड़ कैसी है। कहने का आशय यह है कि यदि अंग्रेजी अच्छी है, तो वहां रहने में कोई असुविधा नहीं रहेगी।
फैक्टशीट
सन 2010 में सिंगापुर की साक्षरता दर 96 प्रतिशत थी। सिंगापुर में 9 प्रतिशत से अधिक भारतीय हैं। इनमें से तकरीबन 4 प्रतिशत तमिल भाषा बोलते हैं। वहां भारतीयों की साक्षरता दर लगभग शतप्रतिशत है।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर
नानयांग यूनिवर्सिटी
नानयांग टेकनेलॉजिकल यूनिवर्सिटी
सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी
सिंगापुर इंस्ट्ीटयूट ऑफ टेकनेलॉजी
एसआईएम यूनिवर्सिटी
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