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साहित्य सरताज प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य उत्कृष्ट श्रेणी के साहित्यकारों और साहित्य अध्येताओं को जागरण जंक्शन मंच द्वारा सम्मानित किया जाना था। इसके अतिरिक्त विशाल क्षमतायुक्त साहित्य सेवियों के माध्यम से हिन्दी साहित्याकाश में चमकते तारों के बारे में दुनिया को रूबरू कराना भी था। आज इस परिणाम की उद्घोषणा के साथ ही हमें इस तथ्य पर हार्दिक हर्ष का अनुभव हो रहा है कि हिन्दी साहित्य जगत में मूर्धन्य विद्वानों की अनुभवशील पीढ़ी के साथ ही एक बेहद सशक्त और हिन्दी की गरिमा को समझने वाली जागरुक नई पीढ़ी भी समानांतर रूप से मौजूद है।
यह बेहद खुशी की बात है कि साहित्य सरताज प्रतियोगिता में ये साहित्यकार मुखर होकर मंच पर सामने आए हैं। प्रस्तुत है हमारे विजेता साहित्यकारों की साहित्यिक शैली का एक संक्षिप्त परिचय :
परिष्कृत एवं अत्यंत उच्च कोटि की रचनाकार। गद्य-पद्य संभवत: हर विधा में सिद्धहस्त इनकी रचनाओं की विशेषता उच्च कोटि की भाषा के साथ तथ्यों का सटीक और प्रभावशाली विश्लेषण होता है। कहावत और मुहावरों की बहुत अच्छी समझ और उसे अपनी रचनाओं में प्रभावकारी तरीके से उपयोग करने में इनका कोई सानी नहीं।
गद्य विधा में अत्यंत उच्च कोटि के साहित्यकार संतलाल करुण की प्रशंसा में बोल कुछ उसी प्रकार होगा जैसे सूरज को दिया दिखाना। गद्य की हर विधा में तथ्यों के सटीक तथा प्रभावशाली भावपूर्ण विश्लेषण के साथ अत्यंत उच्च कोटि की भाषा इनकी लेखनी की विशेषता है। शब्दों के ज्ञान के साथ रचनाओं में उसका प्रयोग इनकी रचनाओं को बोझिल न बनाकर भव्यता प्रदान करती है। वस्तुत: वर्तमान में इस मंच पर यह एकमात्र संतलाल करुण जी की विशेषता है।
जागरण जंक्शन मंच की एक नई ब्लॉगर किंतु साहित्य की दुनिया से संभवत: इनका पुराना परिचय है। भावों को शब्दों में उकेरना इनकी एक महत्वपूर्ण विशेषता है। हिंदी गद्य पर अच्छी पकड़।
साहित्याकाश में उदित इस बेहद सशक्त रचनाकार की क्षमता अप्रतिम तथा संभावनाओं से भरी हुई है। गद्य-पद्य दोनों विधाओं में सिद्धहस्त। जितनी सधी हुई और ओजपूर्ण इनकी काव्य शैली है उतनी ही उत्कृष्टता इनके गद्यों में भी है। विवरणात्मक शैली में महारत प्राप्त रंजना गुप्ता ने अपनी उत्कृष्टता का सतत् प्रदर्शन किया है।
उच्च कोटि के कवि। साहित्य के क्लिष्ट शब्दों को भी काव्यों में रोचक ढंग से पिरोना इनकी विशेषता है किंतु क्लिष्टता में भावों को रोचकता देने के मूल में तथ्यों का प्रभाव कभी कम नहीं होने पाता। संभावनाशील रचनाकार।
मूल रूप से कवियित्री निर्मला जी के काव्य भावों से परिपूर्ण होते हैं। दिल को छू लेने वाली इनकी काव्यात्मकता निःसंदेह प्रशंसनीय है।
फिरदौस खान को युवा शायर कहा जाना मुफीद होगा। किंतु जितनी रचनात्मकता इनके द्वारा उर्दू के बेहतरीन लफ्जों को शायरी में पिरोने में दिखती है उतनी ही भावपूर्ण और प्रभावोत्पादकता इनके हिंदी काव्य में भी है। प्रेम भाव इनकी शायरी और काव्यों की विशेषता है।
सरोज जी की रचनाओं में सामान्य जीवन की खुशी और खूबसूरती अनायास ही ध्यान खींचते हैं। बड़े ही भावपूर्ण अंदाज में गद्य और पद्य दोनों ही विधाओं में इनकी लेखनी प्रशंसनीय है।
गद्य और पद्य दोनों विधाओं में समान पकड़ रखने वाले वैद्य जी की रचनाओं में ज्ञान और प्रेरणा का समायोजन स्वत: ध्यान खींचते हैं। मकर संक्रांति जैसे विषय को काव्य शैली में अत्यंत रुचिकर स्वरूप में प्रस्तुत करना, उसकी विशेषताएं और महत्व समझाना एक मंझा हुआ साहित्यकार ही कर सकता है।
शालिनी कौशिक की रचनाओं की विशेषता है सामाजिक दृष्टि से प्रभावोत्पादक इनकी रचनात्मक प्रस्तुति। गद्य तथा पद्य दोनों विधाओं में समान रूप से इनका यह भाव देखा जा सकता है।
सामाजिक एवं राजनीतिक विषयों पर लेखनी में अच्छी पकड़। साहित्य की क्लिष्ट भाषा के साथ सामान्य भाषा का प्रयोग भी इनकी रचनाओं की विशेषता है।
विषय की समझ के साथ प्रभावोत्पादक लेखनी इनकी विशेषता है। सामाजिक तथा राजनीतिक चेतनाजन्य विषयों पर इनका विशेष प्रभाव है।
सामान्य भाषा में सामाजिक विषयों पर संजय जी की लेखनी बेहद सटीक कही जा सकती है। रोजमर्रा के सामाजिक उदाहरण देते हुए इनकी रचनाओं से पाठक स्वत: ही जुड़ जाते हैं।
साहित्य की विधा को सामाजिकता से जोड़ने की झलक अलका गुप्ता जी की लेखनी में देखी जा सकती है। बड़े ही प्रभावपूर्ण रचनात्मक अंदाज में इनकी लेखनी तथ्यात्मक होती है तथा साहित्य की दृष्टि से भी उच्च कोटि की होती है।
सामाजिक, राजनीतिक विषयों पर लेखनी में सिद्धहस्त जे एल सिंह की विशेषता सामान्य से लगने वाले तथ्यों को मनोरंजक रूप से शब्दों में पिरोकर प्रस्तुत करना है। तथ्यों की समझ अच्छी।
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