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प्रिय पाठकों,
प्रतियोगिता को सफल बनाने के लिए सभी सदस्यों का हार्दिक आभार
आम मान्यता है कि प्रेम की अनुभूतियों को किसी उद्गार की जरूरत नहीं होती। शब्दों के बंधन से परे इस भावना को न तो जबरन पनपा सकते हैं और न ही जबर्दस्ती मिटा सकते हैं। यह वह भावना है जो आत्मा की तरह अजर और अमर है, जो संसार में आत्मा के साथ-साथ स्वत: ही चर-अचर चलती रहती है।
प्रेम की इसी भावना को समर्पित फरवरी माह में आयोजित ‘प्रणयोत्सव पर्व प्रतियोगिता’ गत 28 फरवरी को समाप्त हो चुकी है। हमेशा की तरह पाठकों की उत्साहपूर्ण प्रतिक्रियाएं मिलीं। हालांकि प्रेम भाव हमेशा ही उद्गार से परे माना गया है। जरूरी नहीं कि अगर भावनाओं को शब्द नहीं दिए गए या शब्द देने में कोई अक्षम है तो वह भावना गलत या बेमानी हो जाती है लेकिन हां, अभिव्यक्ति उस भावना को मजबूत बनाती है, उसको मंजिल देती है। अव्यक्त भावनाएं कहीं-न-कहीं टीस बनकर हमेशा मानस पटल पर रहती हैं। इस प्रतियोगिता का आशय भी यही था कि कई बार अपनी जिन प्रेम-भावनाओं को किसी कारणवश आप व्यक्त न कर सके हों उसे यहां शब्दों में बयां कर सकें। भावनाओं को हमेशा ऊंचा दर्जा प्राप्त है और इसे छोटा-बड़ा, श्रेष्ठ-निम्न से आंका नहीं जा सकता पर क्योंकि इस प्रतियोगिता का भाव यही आंकलन है इसलिए यह औपचारिकता पूरी करते हुए सभी चारो श्रेणियों के परिणाम घोषित किए जा रहे हैं:
मंच की ओर से चुनी गई बारह श्रेष्ठ प्रविष्टियां इस प्रकार हैं
1.यादों के लम्हों से प्रेमाभिव्यक्ति
अनिरुद्ध शर्मा
अशोक शुक्ला
मोह पाश: उस अधूरे प्रेम पत्र को पूरा करें
डॉ. श्याम गुप्ता
सुमुखि अब तो प्रणय का वरदान देदो
2.दिल से जुड़ी जो कहानी
विवेक सचान
रंजना गुप्ता
डॉ. श्याम गुप्ता
3.प्रणय काव्य
आचार्य विजय गुंजन
जे.एल. सिंह
रूपसी, तुम पूर्णिमा की ज्योति पुंज!
आदित्य उपाध्याय
4.समभाव अभिव्यक्ति
यमुना पाठक
प्रेम, प्यार, इश्क़, मोहब्बत में एक ‘अधूरे’ वर्ण की पहेली
रंजना गुप्ता
आदि युगल तत्व व प्रेम की उत्पत्ति
शोभा भारद्वाज
धन्यवाद
जागरण जंक्शन
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