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एक जमाना बीत गया जी भरकर रोये हुये…

Ankit Pandey
Ankit Pandey
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एक जमाना बीत गया

…..जी भरकर रोये हुये
आँखोँ को आँसुओँ से धोये हुये

पहले रोते थे हम माँ के आँचल मेँ छुपकर
अब तो रोते हैँ दुनिया से छुपकर

पहले हमारे रोने पर मना लेते थे सब
अब तो कोई पूँछता भी नहीँ कि हम रोये थे कब

वौ दिन भी बड़े अजीब थे
जब हम अपनोँ के करीब थे

रुलाते भी थे हँसाते भी थे
सताते थी थे और मनाते भी थे

अब न कोई रुलाता हो न कोई मनाता है
ये जिन्दगी का सफर बस ऐसे ही चलता जाता है

अब…

हँसाने के लिये तो बहुत मिलेँगे
लेकिन कोई रुलाने वाला नहीँ मिलेगा

friends तो बहुत मिलेँगे
लेकिन कोई दोस्त ना मिलेगा

एक जमाना बीत गया…..

खुद को खिलोँनोँ और कल्पनाओँ से बहलाये हुये
अपनी आँखो को आँसुओँ से सजाये हुये

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