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ऐ दोस्त..
यूँ दूर जाया न करो फेसबुक से
हमारी साँसेँ चलती हैँ फेसबुक से
हमारी तन्हाई कटती है फेसबुक से
हमने एक शहर बना लिया है फेसबुक से
न कोई लाइक न कोई कमेँट
बहुत दिनोँ से नहीँ दिखी कोई पोस्ट
देखता हूँ जब वॉल तुम्हारी
तो याद आ जाती है वो चैट हमारी
वो किसी ग्रुप पर मिलना
एक दूसरे के कमेँट लाईक करना
वो कॉपी मारकर पोस्ट डालना
वो लड़कियोँ के कमेँन्ट्स का इंतजार..!!
वो LOL हाहाहाहा
वो फेसबुक का बुखार
1 अनरीड मैसेज देखकर खुशी से उछलना:)
लेकिन अगले ही पल फिल होम पर आ जाना
नॉटीफिकेशन मेँ जब भी तुम्हारा कोई टैग मिलता था*
मैँ झट से वहाँ पहुँचकर कुछ न कुछ फालतू बकता था:)
फिर भी तुम लाइक कर देते थे
शायद इसे तुम फर्ज समझ लेते थे ???
अब भी बहुत कुछ लिखता हूँ मैँ
लेकिन तेरे बगैर कुछ खोया खोया सा रहता हूँ मैँ..!!!
..बहुत लाइक मिलते हैँ
..बहुत कमेँट आते हैँ
बस कुछ अलग सा महसूस होता है अब.!!!
लगता है शायद कोई चीज छूट रही है..
क्या ये दोस्ती टूट रही है
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