Ankit Pandey
- 14 Posts
- 6 Comments
एक नई क्राँति का उद्घोष हमारे पूज्यनीय स्वामी रामदेव जी महाराज के मार्गदर्शन मेँ_______________
दिल मेँ जो आग है
धधकती रहे अंगारे बनकर
चिंगारी भी बन जाती है ज्वालामुखी इतना दर्द सहकर
माना लौ की तपन बुरी होती है
मगर तप के ही हर चीज खरी होती है
बिना तप के ना ज्ञान मिला
ना मिली रोटी
तपनकर ही हुआ सोना खरा
बिना तप के हर वस्तु है खोटी
इस आग मेँ ही जले थे आजाद और भगतसिँह
इन ज्वालाओँ मेँ ही पले थे बिस्मिल और ऊधमसिँह
किन किन को गिनाऊँ
इस क्राँति ने ही तो शहीदोँ को बनाया है
किस किस को याद करुँ इस आग ने तो सभी को जलाया है
ये क्राँति की आग है हर हर सीने मेँ जलनी चाहिये
मशालेँ जलाओ मोमबत्तियोँ की कायरता हमेँ नहीँ चाहिये…-“
Read Comments