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क्रांति का उद्घोष…

Ankit Pandey
Ankit Pandey
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एक नई क्राँति का उद्घोष हमारे पूज्यनीय स्वामी रामदेव जी महाराज के मार्गदर्शन मेँ_______________

दिल मेँ जो आग है
धधकती रहे अंगारे बनकर

चिंगारी भी बन जाती है ज्वालामुखी इतना दर्द सहकर

माना लौ की तपन बुरी होती है

मगर तप के ही हर चीज खरी होती है

बिना तप के ना ज्ञान मिला
ना मिली रोटी
तपनकर ही हुआ सोना खरा
बिना तप के हर वस्तु है खोटी

इस आग मेँ ही जले थे आजाद और भगतसिँह

इन ज्वालाओँ मेँ ही पले थे बिस्मिल और ऊधमसिँह

किन किन को गिनाऊँ
इस क्राँति ने ही तो शहीदोँ को बनाया है

किस किस को याद करुँ इस आग ने तो सभी को जलाया है

ये क्राँति की आग है हर हर सीने मेँ जलनी चाहिये

मशालेँ जलाओ मोमबत्तियोँ की कायरता हमेँ नहीँ चाहिये…-“

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