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वो सदर बाजार का समां
वो नारायण की चाट ,
वो Top n Town की ice cream,
वाह उसमे थी कुछ बात .
वो शर्मा sweet की मिठाई ,
वो वंदना का Burger,
वो शिल्पी की दाल फ्राई
और ब्रिजवासी का समोसा
.
वो मिनीडोर का सफ़र
वो University की हवा ,
वो रानी लक्ष्मी बाई पार्क की रौनक
और किले का समां .
वो January की कड़ाके की सर्दी ,
वो बारिशों के महीने ,
वो गर्मी के दिन ,
जब छूटते
थे पसीने .
वो होली की मस्ती ,
वो दोस्तों की टोली ,
वो दिवाली के पटाखे और
जन्माष्टमी की रोली
वो शहर की गलियां ,
वो बीबीसी की लड़कियां .
वो नंदिनी की बालकोनी और वो
डमरू का sound,
वो झाँसी की life और वो College
की ज़िन्दगी ,
वो University की कुडियां और
उनकी जोड़ियाँ ,
हमने भी बस देखे ही थे वो
सारे खेल .
वो चौराहे ,
वो रेलवे स्टेशन ………
इतना सब कह दिया पर दिल कहता है
और भी कुछ कहूं
वो शहर है मेरा अपना ,
जिसका नाम है झाँसी
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