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बेस्ट ऑफ चैंपियंस लीग 2011

चैंपियंस लीग 2011 में कई ऐसे मौके आए जब दर्शकों को अपनी अंगुली दांतों तले दबानी पड़ी. कई बार गगनचुंबी छक्कों को देखकर दर्शक खुद को खेल का हिस्सा समझ बैठे तो आखिरी गेंद के रोमांच के क्या कहने. इस बार चैंपियंस लीग में दो बार मुकाबला आखिरी गेंद पर पहुंचा और दोनों ही बार मैच रोमांच की अपनी दहलीज पर था.


चैंपियंस लीग 2011 में रोमांच शुरू हुआ क्वालिफायर मैचों से जहां छह टीमों ने क्वालिफाई करने के लिए अपना दम लगाया. चैंपियंस लीग में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले और दिल जीतने वाले कुछ क्षणों की एक झलक:


David Warnerडेविड वार्नर (सर्वाधिक रन, 328): न्यू साउथ वेल्स के विस्फोटक बल्लेबाज डेविड वार्नर ने अपनी बल्लेबाजी से श्रृंखला में कई बार विस्फोट किए. डेविड वार्नर ने श्रृंखला में 328 रन बनाए जिसमें 20 छक्के भी शामिल थे. वार्नर ने चेन्नई के खिलाफ अहम मैच में शतक ठोंक अपनी टीम को सेमीफाइनल में पहुंचवाया था. वार्नर ने श्रृंखला के आखिरी दोनों ही मैचों में शतक ठोंका था. उन्हें गोल्डन बैट के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.


Chris Gayleक्रिस गेल (सिक्सर किंग, 24 छक्के): गेल आज क्रिकेट में वह नाम बन चुके हैं जो एक तूफान की तरह आते हैं और अपने साथ सब बहाकर ले जाते हैं. क्रिस गेल ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर को फाइनल तक पहुंचाने में अहम रोल निभाया. 257 रन बनाकर वह लीग में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ियों में दूसरे स्थान पर रहे.


रवि रामपॉल (सर्वाधिक विकेट, गोल्डन बॉल विजेता, 12 विकेट): रवि रामपॉल ने टीएंडटी की तरफ से खेलते हुए 6 मैचों में 12 विकेट लिए. हालांकि मुंबई के खिलाफ एक अहम मैच में उन्होंने आखिरी गेंद पर दो रन देकर अपनी टीम का बंटाधार कर दिया.


Lasith Malingaलसिथ मलिंगा (गोल्डन बॉल और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट, 10 विकेट और 68 रन): मुंबई इंडियंस की जीत बिना मलिंगा के अधूरी थी. मलिंगा ने हर मैच में जीत और हार के बीच की एक मुख्य कड़ी के रूप में काम किया. इस श्रृंखला में ना सिर्फ उन्होंने अपनी गेंदों से विरोधियों को परेशान किया बल्कि कई अहम मौकों पर उन्होंने बल्ले से भी सामने वाली टीम के गेंदबाजों के पसीने छुड़ाए.


मलिंगा ने लीग के अहम मैचों और अहम मौकों पर रन बनाकर टीम को जीत दिलाई.


सुपरओवर का जादू (त्रिनिदाद एंड टोबैगो बनाम न्यू साउथ वेल्स): टी-ट्वेंटी का रोमांच तब अपने चरम पर पहुंच जाता है जब बात आ जाए सुपर ओवर की. त्रिनिदाद एंड टोबैगो और न्यू साउथ वेल्स के मुकाबले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. टूर्नामेंट के आठवें मुकाबले के अंतिम ओवर में टीएंडटी के 16 रन देने के कारण टाई हुए मैच का फैसला सुपर ओवर से हुआ जिसमें बाजी पूर्व चैंपियन न्यू साउथ वेल्स के हाथ लगी.

पहले खेलते हुए एनएसडब्ल्यू ने 18 रन बनाए. जवाब में टीएंडटी एक विकेट पर 15 रन ही बना सका.


last ball victoryआखिरी गेंद पर मिली मुंबई को जीत: मुंबई इंडियंस को शायद चैंपियंस लीग 2011 का खिताब उठाते हुए लोग नहीं देख पाते अगर मुंबई इंडियंस और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच एक अहम मुकाबले में आखिरी गेंद पर दो रन बनाकर यजुवेंद्र चहल रातों रात स्टार ना बनते.

एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए टूर्नामेंट के छठवें मुकाबले में त्रिनिदाद और टोबैगो [टीएंडटी] टीम मात्र 16.2 ओवर में 98 रन बनाकर आउट हो गई. लेकिन जवाब में मुंबई को भी जीत के लिए एड़ी चोटी का पसीना बहाना पड़ा. हालात तो ऐसे थे कि अंतिम ओवर में 11 रन की जरूरत पड़ी.

मैच के आखिरी ओवर में जीत के लिए 11 रनों की जरूरत थी और विकेट शेष थे तीन. ऐसे में आखिरी ओवर की दूसरी गेंद पर मलिंगा ने छक्का तो मार दिया पर अगली ही गेंद पर रन आउट हो गए. इसके बाद पांचवीं गेंद पर दो रन चुराने के चक्कर में अंबाती रायडू भी आउट हो गए. अब चाहिए थे एक गेंद पर दो रन और एक ही विकेट बचा था. ऐसे में यजुवेंद्र चहल जिन्हें पहली बार मुंबई की तरफ से खेलने का मौका मिला था उन्होंने दो रन बनाकर मैच जीत लिया.


Royal Challengers Bangalore celebrate their semi-final win over New South Walesअरुण कार्तिक बने जावेद मियांदाद: हर बल्लेबाज का एक सपना होता है कि वह ऐसी परिस्थिति में मैच जिताएं जब आखिरी गेंद पर छह रन की जरूरत हो. अब तक क्रिकेट जगत में सिर्फ पाकिस्तान के जावेद मियांदाद ने ही यह कारनामा किया था पर चैंपियंस लीग के एक अहम मुकाबले में अंतिम गेंद पर छक्का मारकर विकेटकीपर बल्लेबाज अरुण कार्तिक ने अपनी टीम को सेमीफाइनल में पहुंचवा दिया.

साउथ आस्ट्रेलिया रेडबैक्स के खिलाफ रायल चैलेंजर्स बेंगलूर के बल्लेबाज अरुण कार्तिक ने सबकी सांसें अटका दी थी. अंतिम ओवर में 14 रन की दरकार थी लेकिन एक और बल्लेबाज पवेलियन लौट गया. बेंगलूर को जीत के लिए एक गेंद पर छह रन बनाने थे और कार्तिक ने रोमांच से भरे इस मैच में आखिरी गेंद पर छक्का जड़ अपनी टीम को जीत दिला दी.


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