किसी भी क्रिकेटर के जीवन में फिटनेस सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। मगर जरा सोचिये कि यदि आपके पास एक पैर या हाथ न हो, या फिर कुछ अंगुलियां न हों, तब भी क्या आप वैसे ही खेल सकते हैं, जैसे पूरी तरह सक्षम रहने पर खेलेंगे। आपका जवाब शायद ‘नहीं’ होगा। किसी भी शारीरिक रूप से अक्षम क्रिकेटर के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने की चुनौतियों को शायद ही इमैजिन किया जा सके। मगर दुनिया में ऐसे क्रिकेटर्स भी हुए हैं, जिन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता को ताकत बनाया। उनकी शारीरिक अक्षमता ने कभी भी उनके खेल को प्रभावित नहीं किया। आइये आपको बताते हैं दुनिया के उन पांच क्रिकेटरों के बारे में, जो शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद एक शानदार खिलाड़ी बने। खास बात यह है कि इस लिस्ट में भारत के दो बड़े खिलाड़ी शामिल हैं।
टोनी ग्रेग
साढ़े छह फीट लंबे इंग्लैंड के शानदार ऑलराउंडर रहे टोनी के बारे में कम लोग ही जानते हैं कि वे मिर्गी के रोगी थे। टोनी एक क्रिकेटर के साथ ब्रॉडकास्ट कमेंट्रेटर भी थे। उनका जन्म साउथ अफ्रीका में हुआ था, लेकिन उन्होंने इंग्लैंड की टीम से खेला। वे बचपन में मिर्गी से ग्रसित थे, बावजूद इसके अपने नाम 8 शतक दर्ज करते हुए एक शानदार ऑलराउंडर बने। वे 1975 से 1977 तक इग्लैंड की टेस्ट टीम के कप्तान भी थे।
लेन हट्टन
आज की जनरेशन में बहुत कम लोग ऐसे होंगे, जो इंग्लैंड के इस लीजेंड के बारे में जानते हों। इनका एक हाथ, दूसरे हाथ से करीब दो इंच छोटा था। दरअसल, एक ट्रेनिंग के दौरान उन्हें चोट लगी थी। उसके बाद सर्जरी हुई, जिसमें उनका एक हाथ छोटा करना पड़ा। बावजूद इसके उनका क्रिकेट खेलने का जुनून कम नहीं हुआ और ना ही इसका असर उनकी परफॉर्मेंस पर पड़ा। एक हाथ छोटा होने के बावजूद उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 364 रन का व्यक्तिगत स्कोर बनाकर बता दिया कि जुनून के आगे शारीरिक अक्षमता बहुत छोटी हो जाती है। हट्टन ने 79 टेस्ट मैचों में 19 शतक लगाए थे, जो बताता है कि वे कितने शानदार क्रिकेटर थे।
मार्टिन गुप्टिल
मार्टिन को आज के दौर का लगभग हर क्रिकेटप्रेमी जानता होगा। मगर शायद ही किसी को इसकी जानकारी हो कि गुप्टिल के बाएं पैर में सिर्फ दो अंगुलियां हैं। जी हां, 13 साल की उम्र में एक एक्सीडेंट में गाड़ी ने उनके पैर को कुचल दिया था। हालांकि, मार्टिन की शानदार बल्लेबाजी देखकर किसी को नहीं लग सकता कि उनके एक पैर में सिर्फ दो अंगुलियां हैं। न्यूजीलैंड का यह धाकड़ बल्लेबाज आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब के लिए खेलता है।
मंसूर अली खान पटौदी
मंसूर अली खान पटौदी के शानदार लुक की वजह से लड़कियां उनकी दीवानी होती थीं। 1961 में उनका कार एक्सीडेंट हुआ, जिसमें दाहिनी आंख में कांच का एक टुकड़ा लगने से उस आंख की रोशनी चली गई। एक आंख की रोशनी जाने के बावजूद उन्होंने क्रिकेट को प्यार करना कम नहीं किया। मंसूर ने एक आंख की रोशनी से ही क्रिकेट खेलना जारी रखा। एक आंख ने उनके खेल को कभी प्रभावित नहीं किया। 1968 में न्यूजीलैंड में हुई टेस्ट सीरीज में उन्होंने भारतीय टीम का नेतृत्व किया और सीरीज जीती। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में डबल सेंचुरी ठोकी। इसी जज्बे की वजह से मंसूर को टाइगर कहा जाता था।
भागवत चंद्रशेखर
भारत के शानदार लेग स्पिनरों में से एक चंद्रशेखर के बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा कि वे पोलियोमाइलाइटिस से पीड़ित थे। पोलियोमाइलाइटिस एक संक्रामक रोग है, जो पोलियो वायरस के कारण होता है। यह रीढ़ की हड्डी पर बुरा असर डालता है। बताते हैं कि जब चंद्रशेखर करीब 6 साल के थे, तब इस रोग के कारण उनका दाहिना हाथ पोलियोग्रस्त हो गया था। हालांकि, बाद में काफी हद तक रिकवर हो गया था। चंद्रशेखर ने उस समय में मात्र 58 मैचों में 242 विकेट के साथ अपना कॅरियर समाप्त किया। मैसूर में जन्मे चंद्रशेखर भारत के महान स्पिनरों में से एक हैं…Next
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