किसी भी क्रिकेट टीम में विकेटकीपर की भूमिका काफी अहम होती है। स्टंप के पीछे अगर तेजतर्रार कीपर खड़ा है, तो वह अपनी टीम की बॉलिंग और फील्डिंग में काफी मदद करता है। आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि जिस टीम के पास बेहतरीन कीपर है, वह टीम कई बार मुश्किल मुकाबलों को भी जीत लेती है। इसके उदाहरण के रूप में हम ऑस्ट्रेलिया के पूर्व विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट और भारत के महेंद्र सिंह धोनी को देख सकते हैं। भारतीय टीम में बेहतरीन बल्लेबाजों की लिस्ट लंबी है, लेकिन भारत को अच्छे विकेटकीपर मुश्किल से मिलते हैं। आइये आपको ऐसे ही पांच भारतीय विकेटकीपर्स के बारे में बताते हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपनी प्रतिभा से एक अलग पहचान बनाई।
ऋद्धिमान साहा
भारतीय क्रिकेट टीम में ऋद्धिमान साहा ने विकेटकीपर के तौर पर पहचान बनाई है, जो बल्ले से भी कमाल दिखाने में माहिर हैं। साहा को टेस्ट क्रिकेट में एमएस धोनी के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है। टीम में साहा की उपस्थिति न सिर्फ निचले क्रम की बल्लेबाजी में मजबूत बनाती है, बल्कि स्टंप्स के पीछे भी अपनी छाप छोड़ती है। अपने असाधारण कौशल और फुर्ती के कारण धोनी की सेवानिवृत्ति के बाद से साहा भारत के विकेटकीपर के रूप में पहली पसंद बने हुए हैं। साहा ने अपने 8 साल के लंबे करियर में अभी तक 32 टेस्ट मैच खेले हैं। स्टंप के पीछे शानदार खेल दिखाते हुए साहा ने 75 कैच पकड़े हैं और 10 स्टम्पिंग्स भी की हैं, यानी साहा ने विकेटकीपर के रूप में अभी तक कुल 85 शिकार किए हैं।
नयन मोंगिया
मोंगिया भारत के बेहतरीन विकेटकीपर्स में से एक माने जाते हैं। उनके संन्यास लेने के बाद भारत को 4 साल तक टीम में स्थायी विकेटकीपर की तलाश करनी पड़ी। 1994 में किरण मोरे के बाद अगले 6 सालों तक मोंगिया भारत के विकेटकीपर के रूप में पहली पसंद थे। निचले क्रम की उनकी बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग में उनके शानदार रखरखाव की तकनीक उन्हें टीम का एक अहम सदस्य बनाती थी। अपने करियर के दौरान खेले गए 44 टेस्ट मैचों की 77 पारियों में मोंगिया ने 8 स्टंपिंग की और 99 कैच पकड़े। इस तरह उन्होंने 107 विकेट लिए।
किरण मोरे
किरण मोरे स्टंप के पीछे एक असाधारण खिलाड़ी थे। भारतीय टेस्ट क्रिकेट में किरण मोरे 7 सालों से भी ज्यादा समय तक भारत के विकेटकीपर के तौर पर पहली पसंद थे। मोरे 49 टेस्ट मैचों की 90 पारियों में 130 शिकार किए, जिनमें 110 कैच और 20 स्टंपिंग शामिल हैं। अभी भी एक मैच में सबसे ज्यादा 6 और एक पारी में सबसे ज्यादा 5 स्टंपिंग करने का रिकॉर्ड उनके नाम है। मोरे ने 1989 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में यह रिकॉर्ड बनाया था।
सैयद किरमानी
1980 की शुरुआत में विश्व क्रिकेट में असाधारण स्टंपर्स भरे हुए थे, जिनमें भारतीय टीम के सैयद किरमानी भी शामिल थे। किरमानी लगभग 10 वर्षों के लिए भारत के स्थायी विकेटकीपर रहे। उन्होंने भारतीय बल्लेबाजी में भी अहम योगदान दिया है। किरमानी ने 88 टेस्ट मैचों की 151 पारियों में बतौर विकेटीकीपर 198 शिकार किए। इनमें 160 स्टंप्स के पीछे कैच और 38 स्टंपिंग की। किरमानी पहले भारतीय रहे, जिन्होंने एक पारी में 6 विकेट लिए। यह रिकॉर्ड उन्होंने 1976 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए मुकाबले में बनाए, जिनमें 5 कैच और 1 शामिल है।
महेंद्र सिंह धोनी
भारतीय क्रिकेट टीम में महेंद्र सिंह धोनी का आना बेहद खास रहा। उन्होंने अपने खेल से भारतीय टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। धोनी के आने से स्थायी विकेटकीपर के रूप में भारत की तीन साल की खोज समाप्त हुई और टीम को एक नया मैच फिनिशर खिलाड़ी भी मिल गया। विकेट के पीछे धोनी की फुर्ती के सभी कायल हैं। उन्होंने भारतीय टीम के लिए 90 टेस्ट मैच खेले और 166 पारियों में विकेट हासिल किए। एक भारतीय विकेटकीपर ने रूप में उन्होंने सबसे ज्यादा 294 शिकार किए। धोनी के नाम व्यक्तिगत रूप से सर्वाधिक कैच और स्टंपिंग के रिकॉर्ड भी दर्ज हैं। उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 256 कैच और 38 स्टपिंग की…Next
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