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मां का सपना पूरा करने के लिए क्रिकेटर बने चेतेश्वर पुजारा, इन मुश्किलों से गुजरकर हासिल किया लक्ष्य

टीम इंडिया के नए वॉल चेतेश्वर पुजारा ने अपनी शानदार बल्लेबाजी से कई बार भारतीय टीम के जीत दिलाई है। चेतेश्वर पुजारा आज अपना 31वां जन्मदिन मना रहे हैं। 25 जनवरी, 1988 को गुजरात के राजकोट में चेतेश्वर पुजारा का जन्म हुआ था। पिता अरविंद पुजारा और मां रीमा पुजारा ने बेटे के पांव पालने में ही देख लिए थे। चेतेश्वर की प्रतिभा पहचानते हुए पिता अरविंद और मां रीमा ने उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। तो चलिए जानते हैं आखिर कैसे बने पुजारा भारत के दूसरे वॉल के नाम से जाने जाते हैं।

Shilpi Singh
Shilpi Singh25 Jan, 2019

 

 

विरासत में मिला क्रिकेट के प्रति रुझान
25 जनवरी, 1988 को गुजरात के राजकोट में जन्मे पुजारा की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात से ही हुई। पुजारा बीबीए की पढ़ाई कर चुके हैं. बचपन में ही क्रिकेट के प्रति उनके रुझान को देखते हुए चेतेश्वर पुजारा के माता पिता ने उन्हें इस खेल के लिए प्रोत्साहित किया। क्रिकेट के शुरुआती गुर चेतेश्वर को पिता अरविंद पुजारा से सीखने को मिले जो सौराष्ट्र के लिए रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं। चेतेश्वर के चाचा बिपिन पुजारा भी सौराष्ट्र के लिए रणजी खेल चुके हैं।

 

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मां की दुआएं

पुजारा की इस सफलता के पीछे जितनी उनकी मेहनत हैं उससे कहीं ज्यादा उनकी मां रीना की दुआएं हैं। पुजारा ने एक बार कहा था कि मां मुझे देश के लिए खेलते देखना चाहती थीं, लेकिन जिस दिन मुझे ये मौका मिला, उस दिन अफसोस मेरी मां मेरे साथ नहीं थीं। बता दें कि रानी पुजारा को कैंसर था और जब 2005 में अंडर-19 का मैच खेल कर लौटे तो उन्हें पता चला कि मां अब इस दुनिया में नहीं हैं। बस उसके बाद से ही पुजारा की लाइफ का एक ही मकसद था, मां के सपने को पूरा करना और वो सपना मां की मौत के बाद पांच साल बाद पूरा हुआ। इसलिए पुजारा के लिए क्रिकेट केवल एक खेल नहीं बल्कि एक पूजा है।

 

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पिता बेहद अनुशासित और सख्त कोच

पुजारा ने कहा था कि मेरे पिता अरविंद पुजारा बेहद अनुशासित और सख्त कोच हैं, हम आज भी फोन पर खेल के तकनीकी पक्षों की चर्चा करते हैं, सच कहूं तो वो ही मेरे गुरू और मेंटर हैं।

 

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ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2010 की घरेलू सीरीज

टेस्ट क्रिकेट में पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2010 की घरेलू सीरीज के दूसरे क्रिकेट टेस्ट मैच में पदार्पण किया। घायल वी वी एस लक्ष्मण के स्थान पर शामिल पुजारा पहली पारी में केवल तीन गेंदों का सामना कर एक चौके की सहायता से चार रन बनाकर आउट हो गये थे।

 

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पुजारा के पास कमाल की टेक्निक है

अगस्त 2012 में पुजारा ने न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद में खेले गए टेस्ट मैच में 159 रन बनाकर अपना पहला टेस्ट शतक बनाया था। पुजारा आज भारतीय क्रिकेट टीम के टॉप प्लेयर्स में से एक हैं। कमाल की टेक्निक और शांत स्वभाव उन्हें अलग पहचान दिलाती है। पुजारा ऐसे पांचवें भारतीय बल्लेबाज़ हैं जिसने अपनी पहले ही मैच में चौथी पारी में अर्द्धशतक बनाया।

 

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टेस्ट प्रारूप में बनाया अपना अलग मुकाम
यह चेतेश्वर की गहरी लगन का ही नतीजा है कि आज जब क्रिकेटर्स फटाफट क्रिकेट के ओर जा रहे हैं, उन्होंने टेस्ट टीम इंडिया में ऐसा स्थान बना लिया है कि उनके बिना टीम की कल्पना करना ही मुश्किल है। हालांकि, इसके बावजूद वे आईपीएल में किसी भी फ्रेंजाइजी की पसंद नहीं बन सके। 2018 में टीम इंडिया के भरोसे के खिलाड़ी होने के बाद भी वे आईपीएल में खरीदे नहीं गए। वहीं टीम इंडिया के लिए उन्होंने आखिरी वनडे मैच साल 2014 में खेला था।

 

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पिता और चाचा के नाम पर क्रिकेट अकादमी

चेतेश्वर पुजारा, उनके पिता अरविंद पुजारा और चाचा बिपिन पुजारा ने राजकोट में चेतेश्वर पुजारा के नाम से एक क्रिकेट अकादमी भी खोली है। राजकोट से लगभग 16 किलोमीटर दूर इस अकादमी में युवा खिलाड़ियों को निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है।…Next

 

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