Menu
blogid : 7002 postid : 1330746

‘भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम’ ऐसे बनी विश्व विजेता, इतना आसान नहीं ये क्रिकेट

भारत को जोड़ने वाला सबसे बड़ा मजहब क्रिकेट है, ये तो हम सभी जानते हैं. भारत में क्रिकेट में ज्यादातर  भारतीय टीम यानी विराट, धोनी जैसी खिलाड़ियो को ही देखा जाता है. लेकिन महिला क्रिकेटर भी किसी से कम नहीं है और हाल ही भारत को विश्व विजेता बनाने वाले हमारे हीरे ब्लाइंड क्रिकेट यानि दृष्टिबाधित क्रिकेटर भी किसी से कम नहीं है. भले ही उनका क्रिकेट इतना शोर-शराबे वाला न हो लेकिन उन्होंने भी देश का नाम रोशन किया है. लोग हमेशा सोचते हैं कि दृष्टिबाधित होने के बाद भी ये लोग क्रिकेट कैसे खेल लेते हैं. इसीलिए हम लेकर आये हैं ब्लाइंड क्रिकेट के नियम और उनसे जुड़ी जानकारियां.


cover cricket



3 श्रेणी में बांटी जाती है क्रिकेट टीम

ब्लाइंड क्रिकेट टीम में भी सामान्य क्रिकेट की तरह 11 खिलाड़ी ही खेलते हैं. इन खिलाड़ियो को 3 श्रेणियों में बांटा जाता है, पहली श्रेणी बी 1 होती है इस श्रेणी का खिलाड़ी देखने में बिल्कुल असमर्थ होता है. बी 2 श्रेणी का खिलाड़ी 2 से 3 मीटर तक देखने के लिए समर्थ होता है. बी 3 श्रेणी का खिलाड़ी 5 से 6 मीटर देखने में समर्थ होता है.






कैसे बनाई जाती है ‘ब्लाइंड क्रिकेट टीम’

जब 11 खिलाडियों की टीम बनाई जाती है तो उसमें बी 1 श्रेणी के 4 खिलाड़ी होते हैं. बी 2 के भी 4 खिलाड़ी होते है और बी 3 के 3 खिलाड़ी होते है। जब किसी खिलाड़ी का रिप्लेसमेंट करना होता है तो केवल बी 1 और बी 2 के खिलाडियों में बदलाव किया जा सकता है.



Del80827




थोड़ी अलग होती है गेंद

ब्लाइंड क्रिकेट में जिस गेंद का प्रयोग होता है वो प्लास्टिक से बनी होती है और उसके अंदर बॉल बियरिंग लगे होते हैं,​ जिनसे आवाज निकलती है. आवाज सुनकर बल्लेबाज यह अनुमान लगाता है कि बॉल कहा पिच हुई है और किस तरफ मूव कर रही है. लेकिन ब्लाइंड क्रिकेट में पिच की लंबाई, स्टंप और बैट की लेंथ वही होती है जो सामान्य क्रिकेट में होती है.


blind c



थोड़ी अलग हैं गेंदबाजी और रन देने के तरीके

सामान्य क्रिकेट में आप एक रन दौड़ते हैं तो एक ही रन मिलेगा लेकिन ब्लाइंड क्रिकेट में दो रन मिलेंगे. इस क्रिकेट में सलामी जोड़ी के रूप में बी 1 श्रेणी के दो खिलाड़ी नहीं उतर सकते. उदाहरण के लिए बी 1 श्रेणी के एक खिलाड़ी के साथ बी 2 का खिलाड़ी बल्लेबाजी करता है. अगर बी 1 श्रेणी का बल्लेबाज़ एक रन बनाता है तो उसे दो रन दिये जाते हैं. इसी तरह बी 1 श्रेणी के बल्लेबाज को गेंद सीमा रेखा के बाहर पहुंचाने पर 4 की जगह 8 रन मिलते हैं.






गेंदबाजी भी होती है बेहद अलग

जहां आप सामान्य क्रिकेट में तेज, धीमी, स्पिन हर तरह की गेंदबाजी देते है, वहीं, ब्लाइंड क्रिकेट में अंडरआर्म गेंदबाजी की जाती है. इसका मतलब है कि आप अपनी हाथ को पूरा नहीं घूमा सकते हैं, इसके अलावा यॉर्कर और फुलटॉस फेंकने पर भी सख़्त रोक होती है. पिच पर एक लाइन खींची हुई होती है, उसके आगे ही गेंद को टप्पा खिलाना होता है. उसको पहले टप्पा खिलाने पर गेंद को नो बाल दे दिया जाता है.


crickt


क्षेत्ररक्षण भी है थोड़ा-सा अलग

क्षेत्ररक्षण यानि फिल्डिंग करते समय लगभग सारे खिलाड़ी वैसे ही रहते हैं जैसे सामान्य क्रिकेट में रहते हैं, पूर्णरूप से दृष्टिबाधित खिलाड़ियों को बल्लेबाजी की तरह क्षेत्ररक्षण में भी लाभ दिया जाता है. अगर पूर्णरूप से दृष्टिबाधित खिलाड़ी ने एक टप्पे के बाद भी गेंद को कैच कर लिया तो बल्लेबाज को आउट दे दिया जाता है…Next


Read More:

क्रिकेटर्स की पत्नियां भी नहीं है उनसे कम, कोई है बॉक्सर तो कोई डांसर

कभी ऑलराउंडर था ये क्रिकेटर अब करता है ट्रक-बस की सफाई, मिलते हैं 1000 रुपए

इन दमदार क्रिकेटर्स की मैदान पर हो गई थी अनबन! कभी नहीं हो सकी दोस्ती

क्रिकेटर्स की पत्नियां भी नहीं है उनसे कम, कोई है बॉक्सर तो कोई डांसर
कभी ऑलराउंडर था ये क्रिकेटर अब करता है ट्रक-बस की सफाई, मिलते हैं 1000 रुपए
इन दमदार क्रिकेटर्स की मैदान पर हो गई थी अनबन! कभी नहीं हो सकी दोस्ती

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh