पहले तीन टेस्ट मैचों में शिकस्त के साथ पहले ही सीरीज गंवा चुकी भारतीय टीम आज से चौथे और अंतिम क्रिकेट टेस्ट में आस्ट्रेलिया को वाइटवॉश से रोकने और अपना सम्मान बचाने के इरादे के साथ उतरी है.
पिछले हफ्ते वाका में पारी और 37 रन की शर्मनाक हार के साथ भारत पहले ही बार्डर-गावस्कर ट्राफी गंवा चुका है और टीम के शीर्ष खिलाड़ियों की क्षमता पर सवालिया निशान लग गया है. टीम इंडिया अब अंतिम टेस्ट में अपने खोए गौरव को दोबारा हासिल करने के लक्ष्य के साथ उतरी है. गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग की सलामी जोड़ी अब तक नई गेंद के खिलाफ प्रभावी तकनीक दिखाने में नाकाम रही है और बड़ा स्कोर भी नहीं बना पाई है. गंभीर ने कड़ी मेहनत की है और वह आफ स्टंप के बाहर जाती गेंद को छोड़ने के लिए तैयार भी दिख रहे हैं लेकिन पुरानी आदत के कारण कई बार बाहर जाती गेंदों पर बल्ला अड़ा रहे हैं जिसके कारण वह विकेट के पीछे कैच थमा रहे हैं. सहवाग ऑफ स्टंप से बाहर की ओर सीम होती गेंद का शिकार हुए हैं और अधिकांश बार उन्होंने भी विकेट के पीछे ही कैच थमाया है.
खेल पर हावी उम्र
टीम के सीनियर खिलाड़ियों ने भी इस सीरीज में बहुत औसत प्रदर्शन किया है. द्रविड़ मौजूदा सीरीज की छह पारियों में पांच बार बोल्ड हुए हैं जो संभवत: इस बात का संकेत है कि 163 टेस्ट खेलने वाले इस 39 वर्षीय बल्लेबाज पर उम्र हावी होने लगी है. भारत की ओर से अब तक सचिन तेंदुलकर ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है लेकिन पर्थ के वाका की उछाल भरी पिच ने उन्हें भी काफी परेशान किया. वीवीएस लक्ष्मण अपना कॅरियर बचाने के लिए खेल रहे हैं.
भारतीय गेंदबाजों का भी प्रदर्शन ऊपर नीचे ही रहा है. जहीर खान, ईशांत शर्मा जैसे अनुभवी गेंदबाज कोई प्रभाव छोड़ने में असफल रहे हैं.
दूसरी तरफ आस्ट्रेलिया को उम्मीद है कि एडिलेड की बल्लेबाजी की अनुकूल पिच खराब फार्म से जूझ रहे उसके कुछ बल्लेबाजों को लय में लौटने का मौका देगी. मौजूदा सीरीज में शान मार्श और विकेटकीपर ब्रेड हैडिन बल्ले से जूझते रहे हैं और दोनों के पास टीम के अपने स्थान को सही साबित करने का एक और मौका है. एडिलेड में रिकार्ड भी भारत के पक्ष में हैं जहां पिछले 12 साल में उसने कोई टेस्ट नहीं गंवाया है. वर्ष 2003-2004 की सीरीज में आस्ट्रेलिया के पहली पारी में 556 रन बनाने के बावजूद टीम इंडिया चार विकेट से जीत दर्ज करने में सफल रही थी.
सिर्फ कुछ मैच हारे हैं, हिम्मत नहीं
टेस्ट सीरीज भले ही हाथ से निकल गई है लेकिन भारतीय सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने कहा कि इस निराशाजनक शिकस्त ने उनकी टीम के मनोबल को प्रभावित नहीं किया है और टीम इंडिया आस्ट्रेलिया के खिलाफ वाइटवाश से बचने के लिए चौथे और अंतिम टेस्ट में जीत दर्ज करने पर ध्यान लगाए हुए है. वहीं उन्होंने टीम इंडिया के बल्लेबाजों की तकनीक पर उठ रहे सवालों पर भी कंगारुओं को ललकार दे डाली.
यह कथन इस बल्लेबाज की मानसिकता दिखलाती है. ऐसे बयानों से साफ होता है कि भारतीय टीम जरूर हार रही हो पर उसके बल्लेबाजों में अभी भी जान बाकी है. अब देखना है कि क्या जो गंभीर ने बोला है उसकी वह लाज रख पाते हैं या नहीं.
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