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जीत और जज्बे का मेल: कपिल देव

भारतीय क्रिकेट में जब भी जुनून और जज्बे की बात आती है तो जहन में पहला नाम एक ऐसे शख्स का आता है जिसने कभी भारतीय क्रिकेट टीम को कामयाबी और शोहरत की ऊंचाइयों पर पहुंचाया था और वह शख्स कोई और नहीं बल्कि कपिल देव हैं. कपिल देव एक ऐसे क्रिकेटर हैं जो ना सिर्फ क्रिकेट के मैदान पर बल्कि मैदान से भी बाहर भी अपनी जीत के लिए जी-जान लगा देते हैं. कपिल देव के लिए उनका आत्म-सम्मान सबसे ऊपर है और यही वजह है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से मतभेद होने के बाद भी कपिल देव टूटे नहीं बल्कि वह काम किया जो शायद दुनिया की बड़ी से बड़ी क्रिकेट बोर्ड भी ना कर सके. कपिल देव ने आईपीएल के समकक्ष आईसीएल खोल कर साबित कर दिया कि वह सिर्फ क्रिकेट से प्रेम करते हैं और जो चाहे परिस्थिति कैसी भी हो वह अपने प्रेम को छोड़ नहीं सकते.


कपिल देव को अगर आप समकालीन सौरव गांगुली के साथ देखें तो दोनों में काफी समानता नजर आएगी. कभी ना झुकने का विश्वास, अपनी जीत के लिए लड़ जाना और अपने साथियों का साथ देना कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो कपिल देव को एक महान खिलाड़ी बनाती हैं.


kapil Devकपिल देव का जीवन

कपिल देव का जन्म 6 जनवरी, 1959 को हरियाणा में हुआ था. एक साधारण से घर में जन्मे कपिल देव के सपने बहुत बड़े थे.


कपिल देव का कॅरियर

कपिल देव ने सन 1975 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में प्रवेश किया. इस मैच में उन्होंने 6 विकेट लेकर सबको चौंका दिया. इसके बाद वह तेजी से भारतीय क्रिकेट में एक सितारे की तरह चमके. सिर्फ गेंदबाजी ही नहीं बल्कि बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण में भी वह बहुत बेहतरीन थे. अपने बेहतरीन खेल की बदौलत कपिल देव को 18 अक्‍टूबर, 1978 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय मैच में खेलने का मौका मिला.


भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने पाकिस्‍तान के खिलाफ फैसलाबाद में 18 अक्‍टूबर, 1978 से अपने टेस्ट कॅरियर की शुरूआत की. इस मैच में कपिल ने अपने टेस्‍ट कॅरियर का पहला विकेट सादिक मोहम्‍मद के रूप में लिया. हालांकि तीन मैचों की सीरीज में कपिल देव सिर्फ सात विकेट ही ले सके. पर इसके बाद जो समय आया वह पूरी तरह कपिल देव का था. उन्होंने वर्ष 1979 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 22 विकेट लिए और इसके बाद पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सीरीज़ में 32 विकेट लिए. सिर्फ़ 21 वर्ष और 27 दिन की आयु में कपिल देव 1000 रन और 100 टेस्ट विकेट लेने वाले दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने. उन्होंने 2000 रन और 200 विकेट का डबल भी सबसे कम उम्र में पूरा किया. अपने कॅरियर के आख़िर तक आते-आते कपिल देव सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बन गए थे. उन्होंने टेस्ट मैचों में 434 विकेट लिए हैं.


माना जाता है कि अगर कपिल देव इमरान खांन, सर रिचर्ड हेडली और इयान बाथम के समय में नहीं खेले होते तो शायद आज विश्‍व के सबसे श्रेष्‍ठ ऑलरांउर के रूप में जाने जाते.


Kapil Dev1983 का विश्व कप

1983 के विश्व कप में भारत की कमान कपिल देव के हाथ में थी. अपने करिश्माई खेल से उन्होंने पूरी सीरीज में भारतीय टीम का सफल नेतृत्व किया. जिम्बावे के खिलाफ नाटकीय ढंग से भारत की हार को जीत में बदला. इस मैच में कपिल देव ने मात्र 138 गेंदों पर 175 रनों का स्कोर खड़ा किया. यह उस समय का सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर था. इस मैच में उन्होंने नवें नंबर के बल्लेबाज सैयद किरमानी के साथ भी 126 रनों की भागीदारी निभाई थी जिसमें से सैयद किरमानी ने सिर्फ 22 रन बनाए थे. उनकी इस पारी को विसडन ने सदी की टॉप 10 बल्लेबाजी प्रदर्शन में रखा था. इस मैच में सिर्फ उनके बदौलत ही भारत मैच जीत पाया था.


kapil-dev-cricket-playerइसके बाद इंग्लैड को सेमीफाइनल में हराकर भारत ने फाइनल में जगह बनाई. इस मैच में भी उन्होंने 3 विकेट लिए थे. फिर आया वह ऐतिहासिक फाइनल मैच जिसने भारतीय क्रिकेट को बदल कर रख दिया. वेस्टइंडीज के साथ खिताबी जंग में भारतीय टीम 183 रनों पर ही ढेर हो गई. तब ऐसा लगा शायद वेस्टइंडीज लगातार तीसरी बार विश्व कप जीत जाए पर ऐसा हो ना सका.


लेकिन जैसे ही मदन लाल की गेंद पर कपिल देव ने सर विव रिचर्डस का बीस यार्ड पीछे दौड़कर एक बेहतरीन कैच लिया सारा माजरा बदल गया. इस एक कैच ने मैच की सारी कहानी ही बदल दी. भारतीय टीम में अजब का जोश दौड़ गया और टीम ने जीत के लिए जी जान लगा दी. वेस्टइंडीज की पूरी टीम मात्र 140 पर ही सिमट गई और विश्व कप की ट्राफी कपिल देव और भारतीय क्रिकेट टीम की झोली में आ गिरी. 1983 के विश्व कप में उन्होंने 303 रनों और 12 विकेट के साथ बेहतरीन ऑलराउंडर पर्फॉर्मेंस दी.


कपिल जब तक क्रिकेट खेलते रहे, तब तक उन्‍होंने भारतीय टीम को अपना पूरा योगदान दिया, लेकिन संन्‍यास लेने के बाद भी वे भारतीय क्रिकेट के लिए कार्य करते रहे. उन्‍होंने 1999 में भारतीय टीम के कोच का पद संभाला और सन् 2000 तक टीम से जुड़े रहे.


कपिल ने बीसीसीआई से अलग इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) की स्‍थापना भी की, जिसमें उन्‍होंने उन खिलाड़ियों को खेलने का मौका दिया जो अपने देश की अंतरराष्‍ट्रीय टीम में ज्‍यादा समय त‍क नहीं खेल पाए. इस लीग को बागी क्रिकेट लीग का नाम भी दिया गया लेकिन इसने क्रिकेट के एक और संस्‍करण टी-20 को दुनिया के सामने एक नए रूप में प्रस्‍तुत किया, जिसका बहुत कुछ श्रेय कपिल को जाता है.


इसके अलावा कपिल के योगदान को देखते हुए उन्हें 24 सितंबर, 2008 को भारतीय सेना में लेफ्टीनेंट कर्नल का दर्जा दिया गया.


कपिल देव की उपलब्धियां

131 टेस्ट मैचों में

बल्लेबाजी : 5248 रन, 08 शतक और 27 अर्धशतक. (31.05 के औसत से)

गेंदबाजी: 434 विकेट, पारी में 05 विकेट 23 बार


एकदिवसीय रिकॉर्ड

225 एकदिवसीय मैच में

बल्लेबाजी : 3783 रन, एक शतक, 14 अर्धशतक

गेंदबाजी: 253 विकेट, 1 बार पांच विकेट


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