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क्रिकेट के ऐसे 5 नियम, जो IPL की शुरुआत के बाद बने

टेक्‍नोलॉजी और खिलाड़ियों की सुविधा के कारण क्रिकेट मैच के नियम बदलते रहते हैं। एक समय था, जब क्रिकेट मैच के दौरान अंपायर का निर्णय ही सर्वमान्‍य होता था। मगर जैसे-जैसे तकनीक बढ़ी, तो अंपायर के निर्णय की भी जांच करने की सुविधा मिलने लगी। क्रिकेट में समय-समय पर नियमों में बदलाव और नए नियम शामिल होते रहे हैं। खिलाड़ियों की सुविधा और खेल के स्‍तर को बेहतर बनाने के लिए ऐसा होता है। इस समय क्रिकेट के जो नियम हैं, उनमें कुछ बहुत पुराने हैं, तो कुछ नए हैं। IPL की शुरुआत के बाद क्रिकेट जेंटलमैन की जगह आक्रामक गेम बन गया। आईपीएल की शुरुआत के बाद भी क्रिकेट के कई नियम बदले। आइये आपको क्रिकेट ऐसे पांच नियमों के बारे में बताते हैं, जो आईपीएल के बाद बने।


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रेड कार्ड


Cricket red card


मार्च 2017 में आईसीसी ने फील्ड अंपायर को यह इजाजत दी कि अगर कोई खिलाड़ी मैदान में बेहद बुरा व्यवहार करता है, तो उसे मैदान से बाहर किया जा सकता है। इस नियम के बारे में कहा गया कि इससे मैदान में अनुशासन को बरकरार रखने में मदद मिलेगी। इस नियम की वजह से खिलाड़ियों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है और उनमें रेड कार्ड का खौफ बना रहता है।


वनडे में पॉवर प्ले


power play


आईसीसी ने साल 2011 में 16वें और 40वें ओवर में बॉलिंग और बैटिंग पाॅवर प्ले के नियम को लागू किया था। हालांकि, इस नियम की वजह से बल्लेबाजों को ज्‍यादा रन बनाने में मदद मिल रही थी। ऐसे में आईसीसी ने इस नियम में परिवर्तन किया था। पहले 10 ओवर तक 30 यार्ड के घेरे में सिर्फ 2 फील्‍डर ही मौजूद रहते थे। गेंदबाजों को मदद पहुंचाने के लिए आखिरी 10 ओवर में बाउंड्री पर 5 फील्‍डर लगाने का नियम बनाया गया है।


डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS)


DRS


डीआरएस का सबसे पहले इस्तेमाल साल 2008 में भारत और श्रीलंका के बीच हुए टेस्ट सीरीज में किया गया था। 2009 में आईसीसी ने इसे आधिकारिक रूप से लॉन्‍च किया। इस नियम ने क्रिकेट की दुनिया में क्रांति पैदा कर दी है। इस नियम के बाद कैमरे की नजर से बच पाना नामुमकिन होता है।


दोनों छोर से 2 अलग-अलग सफेद गेंद का इस्तेमाल


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क्रिकेट में रोमांच पैदा करने के लिए आईसीसी ने वनडे में दोनों छोर से 2 अलग-अलग सफेद गेंद का इस्तेमाल करने की अनुमति दी। हालांकि, वर्ल्ड कप 1992 में ऐसा किया गया था, लेकिन 2011 में इस नियम को दोबारा क्रिकेट में शामिल किया गया। अब गेंदबाजों को पारंपरिक स्विंग गेंदबाजी करने के लिए 2 अलग-अलग गेंदों का इस्तेमाल करना होता है।


रनर खत्म


Dhoni running


लगभग 200 साल तक क्रिकेट में किसी मैच के दौरान बल्लेबाज के चोटिल होने पर एक रनर को दौड़ने के लिए पिच पर लाया जाता था। साल 2011 में इस नियम को खत्म कर दिया गया, क्योंकि कई खिलाड़ी चोट का बहाना बनाकर इस नियम का फायदा उठा लेते थे…Next


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