बचपन में जब हम कोई खेल खेलते थे, तो हमारे कुछ साथी ऐसे होते थे, जो जीतने के लिए बेईमानी का सहारा लिया करते थे। उस वक्त दुनिया के बारे में हमें ज्यादा मालूम तो नहीं था लेकिन हम इतना जरूर जानते थे कि खेल के भी कुछ नियम होते हैं, जिन्हें मानते हुए खेल में जीतने का अपना ही मजा होता है लेकिन दूसरी तरफ बेईमानी करने वाले कुछ ऐसे बच्चे होते हैं, जो बड़े होने पर भी नहीं सुधरते और साम,दाम, दंड, भेद की नीति अपनाकर कैसे भी खेल को जीतना चाहते हैं। ऐसा ही मामला क्रिकेट जगत में सामने आया था 1981 में, जिसे क्रिकेट इतिहास में सबसे शर्मनाक दिन के तौर पर जाना जाता है। इस घटना को इतना शर्मनाक माना गया था कि देश के प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस घटना की आलोचना की थी।
इस घटना को ‘अंडरआर्म 1981′ के नाम से जाना जाता है। वहीं कुछ लोग इसे ‘ब्लैक अंडरआर्म’ के नाम से भी जानते हैं क्योंकि इस मैच में क्रिकेट के सारे नियमों को ताक पर रखकर मैच जीता गया। 1981 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन मैचों की वनडे सीरीज हुई थी। इस सीरीज के पहले दो मैचों में से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने एक-एक मैच जीतकर सीरीज में 1-1 से बराबरी कर ली। सीरीज का आखिरी मैच सीरीज का निर्णायक मैच था और दोनों टीमों ने इस मैच में जीत के लिए पूरी जान लगा दी।
‘अंडरआर्म 1981′ क्रिकेट जगत की वो शर्मनाक घटना
मैच के अंतिम पलों में न्यूजीलैंड को मैच को टाई कराने के लिए 1 गेंद में 6 रनों की जरूरत थी। इस ओवर को ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ग्रेग चैपल के भाई ट्रेवर चैपल डाल रहे थे। ग्रेग को यह अंदेशा था कि कहीं ट्रेवर की अंतिम गेंद पर छक्का ना पड़ जाए, इसलिए उन्होंने ट्रेवर को कहा कि वो अंडरआर्म(जमीन में लुढ़कती गेंद) गेंद फेंके। पहले तो ट्रेवर ने इस बात को नैतिकता के खिलाफ बताते हुए इंकार कर दिया लेकिन अंत में उन्हें भाई की बात माननी पड़ी। उन्होंने न्यूजीलैंड खिलाड़ी ब्रायन को अंडरआर्म गेंद फेंकी। ट्रेवर की इस कायरता भरी गेंद ने न्यूजीलैंड टीम को गुस्से से भर दिया, ब्रायन ने मैदान पर बैट पटक दिया।
उस दौर में क्रिकेट में अंडरऑर्म गेंद की मनाही नहीं थी, लेकिन इसे ‘जेंटलमैन गेम’ का हिस्सा भी नहीं माना जाता था। ऑस्ट्रेलिया के इस कायरता भरे खेल की पूरे क्रिकेट जगत में जमकर आलोचना हुई। क्रिकेट मैच के बाद यह भी खबरें सुनने को मिली कि जब ग्रेग ने यह निर्णय लिया तो कमेंट्री कर रहे उनके बड़े भाई इयान चैपल ने ग्रेग से कहा था, ‘नहीं ग्रेग, तुम ऐसा नहीं कर सकते।’ लेकिन शायद ग्रेग के सिर पर जीत का भूत सवार था और वह इस मैच को किसी भी कीमत पर गंवाना नहीं चाहते थे और इसलिए चैपल ने ये शर्मनाक नीति अपनाई।
उस समय रॉबर्ट मूल्डून न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री थे। वो क्रिकेट के शौकीन माने जाते थे। माना जाता है कि प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलियन टीम की इस हरकत से इस कदर नाराज थे कि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस हरकत को खेल भावना के विरूद्ध बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की। वहीं ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री माल्कॉम फ्रेजर ने भी अपने देश के खिलाड़ियों की इस करतूत का बचाव नहीं किया और नाखुशी जाहिर करते हुए इसे सबसे खराब क्रिकेट कहा।
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