दर्शक, घरेलू पीच का कंडीसन और घरेलू माहौल ये कुछ ऐसी चीज है जो किसी भी टीम और खिलाड़ी को सबका चहेता बना देती है. हम समझने लगते हैं कि टीम अच्छी कर रही है या खिलाड़ी अच्छा कर रहा है. दो महीने पहले जब भारतीय क्रिकेट टीम अपनी घरेलू पिचों पर जीत का स्वाद चख रही थी तो हर तरफ से आवाज उठ रही थी कि धोनी के ये नए युवा ब्रिग्रेड भारतीय क्रिकेट को एक नई उंचाई पर ले जाएंगे. इस तरह की चर्चा सुनकर क्रिकेट प्रशंसक भी समझने लगा कि भारतीय खिलाड़ी अगर इसी तरह का प्रदर्शन करते रहे तो 2015 का विश्व कप दूर नहीं है.
खैर 2015 का विश्व कप भारतीय क्रिकेट टीम के पास होगा या फिर कोई और टीम इसकी सोभा बढ़ाएगी, यह तो बाद की बात है. फिलहाल तो स्थिति यह है कि घर के शेर विदेशी जमीनों पर लगातार ढ़ेर हो रहे हैं. पिछले साल दक्षिण अफ्रीका में मेजबान टीम के साथ टेस्ट और वनडे मैच हारने के बाद कहा जा रहा था कि भारतीय टीम नए साल में नए जोश के साथ शुरुआत करेगी, लेकिन परिणाम निकला ढाक के तीन पात.
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वर्तमान में न्यूजीलैंड की जमीन पर भारत और कीवियो के बीच वनडे मैच खेला जा रहा है. दोनों टीमों के बीच अब तक दो मैच खेले जा चुके हैं. दोनों मैचों में भारत को हार नसीब हुई है. आईसीसी वनडे में नंबर वन टीम होने के बावजूद भारतीय टीम नंबर नौ की रैकिंग रखने वाली न्यूजीलैंड टीम से हो रही हार को ना तो क्रिकेट विशेषज्ञ पचा पा रहे हैं और ना ही प्रशंसक.
जिन खिलाड़ियों के बारे में कहा जाता था कि बहुत दिनों बाद टीम को अच्छे बल्लेबाज और गेंदबाज मिले है वह बिलकुल ही असफल साबित हो रहे हैं. टीम में फिलहाल मैनेजमैंट, प्लानिंग और कोर्डिनेशन की भारी कमी दिखाई दे रही है. मैनेजमैंट और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को पता ही नहीं है कि किस खिलाड़ी को कब खिलाना चाहिए. विदेशी जमीन पर ईशांत शर्मा, रोहित शर्मा, सुरेश रैना और शिखर धवन फेल हो रहे हैं लेकिन कप्तान धोनी उन्हें लगातार खिलाए जा रहे हैं. टीम को इस समय पुजारा जैसे बल्लेबाज की जरूरत है जो उछल भरी गेंदों को बहुत ही आसानी से खेलते हैं, उन्हें भारत बैठाया गया है.
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टॉस मैच में एक अहम भूमिका अदा करता है वहां भी कप्तान असमजस में दिखाई दे रहे हैं. सीरिज शुरु होने से छ्ह दिन पहले ही भारतीय टीम न्यूजीलैंड के लिए रवाना हो चुकी थी. इतना दिन पिच का मिजाज और स्थानीय माहौल समझने के लिए काफी था, लेकिन टीम ने इसका 10 फीसदी भी फायदा नहीं उठाया.
भारतीय टीम को यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस उछाल भरी पिच पर आज वह खेलने में असमर्थ साबित हो रहे हैं उन्हीं पीचों पर 2015 में विश्व कप मैच होने वाले है जिसके के लिए समय बहुत ही कम रह गया है. ऐसे में अगर बीसीसीआई ने जल्दी ही कुछ कदम नहीं उठाए तो टॉप पर पहुंची हुई टीम फिसड्डी भी साबित हो सकती है.
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