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एक कान से ही सुनते हैं वाशिंगटन सुंदर, नाम के पीछे है इंटरेस्टिंग स्टोरी

भारत ने कोलंबो में बांग्लादेश को चार विकेट से हराकर टी-20 मैचों की निदहास ट्रॉफ़ी अपने नाम कर ली। वैसे तो इस जीत का सेहरा हर कोई कार्तिक को बांध रहा है लेकिन मैच में अहम भूमिका निभाने वाले वाशिंगटन सुंदर भी मैच के हीरे रहे। महज 18 साल के इस युवा को टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया। तमिलनाडु के सुंदर ने निदहास ट्रॉफ़ी में आठ विकेट चटकाए और ऐसा प्रदर्शन करने वाले वो भारत के सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं। वो 18 साल की सबसे कम उम्र में 3 विकेट लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज़ बने थे। सुंदर ने अपनी गेंदबाजी से सबको हैरान कर दिया है लेकिन वो एक कान से सुन नहीं सकते हैं, इसके बावजूद आज वो फिरकी के जादूगर हैं।

 

 

आईपीएल में 3.2 करोड़ में बिके हैं

18 साल के वाशिंगटन सुंदर ने अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में अपनी गेंदबाजी से सबको प्रभावित किया था। IPL 2018 में वाशिंगटन सुंदर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु टीम से खेलते नजर आएंगे। जिसने उन्हें 3.2 करोड़ रुपए में खरीदा है।

 

 

एक कान से नहीं सुन पाते हैं

बीते सीजन वॉशिंगटन सुंदर को आईपीएल में राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स की ओर से खेलने का मौका मिला था। बाएं हाथ से बल्लेबाजी और दाहिने हाथ से गेंदबाजी करने वाला ये क्रिकेटर जब महज 4 साल का था तो परिवार को उनकी परेशानी का पता चला। मां कई डॉक्टरों के पास ले गई। कई अस्पतालों में इलाज हुआ लेकिन फिर पता चला कि ये बीमारी ठीक नहीं हो सकती।

 

 

तमिलनाडु रणजी टीम का रहे हैं हिस्सा

हालांकि सुंदर को भी इसके चलते परेशानी का सामना करना पड़ता था लेकिन उन्होंने कभी अपनी इस कमजोरी को परिस्थितियों पर हावी नहीं होने दिया। वॉशिंगटन सुंदर ने क्रिकेट पर फोकस करना शुरू किया और 2016 में तमिलनाडु रणजी टीम में जगह बना ली। यहां से सुंदर को एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म मिल चुका था। महज एक साल बाद ही आईपीएल में भी सेलेक्शन हो गया।

 

 

फील्डिंग के दौरान होती है परेशानी

सुंदर कहते हैं, ‘उन्हें मालूम है कि फील्डिंग के दौरान साथी खिलाड़ियों को उनसे कॉर्डिनेट करने में दिक्कत होती है लेकिन मेरे साथियों ने कभी इसके चलते मुझसे शिकायत नहीं की है। वो मुझे मेरी कमजोरी को लेकर कभी कुछ नहीं कहते।’

 

 

श्रीलंका में बने मैन ऑफ द सिरीज 

मैन ऑफ़ द सिरीज़ का पुरस्कार लेने के बाद सुंदरराजन ने कहा, ‘मेरे लिए इतनी कम उम्र में ये हासिल करना बहुत अहमियत रखता है। मैं इसके लिए अपने परिवार को शुक्रिया कहना चाहता हूं’। सुंदर की उम्र तब 18 साल 69 दिन थी और उन्होंने तमिलनाडु के लिए सिर्फ़ 12 प्रथम श्रेणी मुक़ाबले ही खेले थे। टीम इंडिया में सबसे कम उम्र में दाखिला लेने वालों में वो सातवें नंबर पर पहुंच गए थे।

 

 

नाम के पीछे भी है इंट्रेस्टिंग स्टोरी

वाशिंगटन सुंदर के पिता एम. सुंदर ने एक बार बताया था कि उन्होंने अपने बेटे का नाम अपने गॉडफादर पीडी. वाशिंगटन के नाम पर रखा है। दरअसल सुंदर के घर के पास एक्स-आर्मी पर्सन पीडी वाशिंगटन रहते थे। वो क्रिकेट के बहुत शौकीन थे, वो हमारा मैच देखने ग्राउंड पर आते थे। वो मेरे खेल में इंटरेस्ट लेने लगे, यहीं से हमारे बीच अच्छी रिलेशनशिप बन गई’। 1999 में वांशिगटन की मृत्यु हो गई और उसके बाद सुंदर का जन्म हुआ, इस तरह एम. सुंदर ने अपने बेटे का नाम वाशिंगटन सुंदर रख दिया।…Next

 

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