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श्रीनिवासन को कोई नहीं रोक पाया

आईपीएल-6 में स्पॉट फिक्सिंग के चलते जिस तरह से भारतीय क्रिकेट की फजीहत हुई थी उससे संबंधित एक मामले में एन श्रीनिवासन को राहत दी गई है. मंगलवार को आई एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एन श्रीनिवासन को बीसीसीआई अध्यक्ष का कामकाज संभालने की इजाजत दे दी है लेकिन साथ ही यह भी निर्देश भी दिया हैं कि वो स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच से दूर रहें. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आइपीएल-6 में संट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग के आरोपी की जांच के लिए पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करने का आदेश दिया.


अब सवाल उठ रहा है कि क्या एन श्रीनिवासन पदभार संभालने के बाद स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच में सहयोग करेंगे या नहीं.


क्या है पूरा मामला

1.आइपीएल-6 में चेन्नई सुपरकिंग्स के पूर्व शीर्ष अधिकारी और अपने दामाद गुरुनाथ मयप्पन के संट्टेबाजी में फंसने के बाद श्रीनिवासन ने खुद को कुछ समय के लिए अध्यक्ष पद से अलग कर लिया था, लेकिन श्रीनिवासन लगातार यह दावा करते रहे थे कि मयप्पन मामले से उनका कुछ लेना देना नहीं है.

2. बीसीसीआई के बनाए जांच पैनल (हाईकोर्ट जज टी जयराम छोटा और आर बालासुब्रह्मण्यम) की रिपोर्ट में श्रीनिवासन को क्लीन चिट देते हुए कहा गया था कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया.

3. इसके बाद क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में श्रीनिवासन के खिलाफ याचिका दायर की. क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार को बीसीसीआई से मान्यता हासिल नहीं है. इसी दौरान एन. श्रीनिवासन ने एक समझौते के तहत बीसीसीआई अध्यक्ष पद से जांच होने तक खुद को किनारा कर लिया था. जगमोहन डालमिया को बीसीसीआई का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया.

4. बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीसीसीआई द्वारा बनाए गए जांच पैनल को गैरकानूनी करार दिया था. जिसके बाद बीसीसीआई ने अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें कोर्ट ने बोर्ड द्वारा आईपीएल मामले की जांच के लिए गठित दो सदस्यीय समिति को ‘अवैध और असंवैधानिक’ करार दिया था.

5. इसके बाद क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार ने सुप्रीम कोर्ट में श्रीनिवासन के खिलाफ फ्रेश याचिका दायर की. यह याचिका श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से रोकने के लिए था, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन से साफ कर दिया कि वे बीसीसीआई के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन अगर वे जीत भी जाएंगे तो भी तुरंत पदभार ग्रहण नहीं कर सकेंगे.

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