Menu
blogid : 7002 postid : 708786

सुना है ! पाकिस्तान अमन और चैन की जिंदगी जीना चाहता है

सुना है आतंकवादियों का संरक्षक देश पाकिस्तान अपने मुल्क में शांति और अमन चाहता है. इस खबर से विश्व का तो पता नहीं लेकिन भारत काफी गदगद महसूस करेगा. जिस देश ने अपने पड़ोसी मुल्क भारत में दहशत और आतंक फैलाने की कसम खाई हो वह देश अगर शांति चाहता है तो यह खबर सच में हैरान करने वाली है, लेकिन जरा रुकिए सर…. ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है. अगर आप सोच रहे हैं कि पाकिस्तान अपनी पारंपरिक सोच बदलकर भारत के साथ मधुर रिश्ते बनाने के लिए बेताब दिख रहा है तो आप कहीं ना कहीं गलत सोच रहे हैं.


Del393764पाकिस्तान की ऐसी कोई रणनीति नहीं है. वह तो खुद अपने देश में फैल रही दहशतगर्दी से परेशान है. इसलिए उसने शांति और स्थिरता का प्रस्ताव भारत के सामने नहीं बल्कि कुख्यात आतंकवादी संगठन तालिबान के सामने रखा है. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि पाकिस्तान ने तालिबान के सामने जो प्रस्ताव रखा है वह प्रस्ताव तो भारत और पाकिस्तान की शांति वार्ता के लिए हमेशा से अहम जरिया रहा है. दरअसल पाकिस्तान के गृहमंत्री चौधरी निसार अली खान ने रावलपिंडी में शांति वार्ता शुरू करने के प्रयास में तालिबान को क्रिकेट मैच खेलने का न्यौता दिया है. हालांकि तालिबान ने उनके प्रस्ताव को ठोकर मार दिया. शायद उन्हें लगा होगा कि पाकिस्तान उन्हें क्रिकेट के जरिए इमोशनली ब्लैकमैल करना चाहता है.


Read: तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को कुचल दिया जाएगा !


आपको बताते चलें कि क्रिकेट हमेशा से दो देशों की बीच कूटनीति का एक अहम जरिया रहा है और भारत में इसकी शुरुआत तब हुई जब 1987 में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच देखने के लिए तब के पाकिस्तानी राष्ट्रपति जिआ-उल-हक जयपुर आए थे. इसके बाद कई बार ऐसे मौके आए जब दोनों देशों ने इस तरह के प्रयास किए.


वर्ष 2005 में भारत ने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट डिप्लोमेसी की शुरुआत की थी. इसके तहत पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में भारत और पाकिस्तान का फाइनल मैच देखने आए थे. इसके बाद 2011 के विश्व कप में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी मोहाली में भारत और पाकिस्तान के बीच सेमीफाइनल देखने के लिए भारत आए थे.


अब यहां सवाल उठता है कि आखिर पाकिस्तान को अपने देश में अमन की चिंता क्यों सताने लगी. तो नीचे दिए आंकड़े इस बात की गवाही देते नजर आ रहे हैं:


1. वैश्विक आतंकवाद जोखिम सूचकांक (Global Terrorism Risk Index) के मुताबिक आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान अफ्रीकी देश सोमालिया के बाद दूसरे स्थान पर है.


2. पाकिस्तान में 2001 से 2008 के बीच आतंकवादी हमलों में मरने वालों की संख्या 24000 रही. इसमें पाकिस्तानी नागरिक और सैनिक शामिल हैं.


3. पाकिस्तान में पिछले पांच सालों में तालिबान के खिलाफ अमरीकी सैनिक कार्यवाही में 25 हजार लोगों की जान गई.


Read more:

कैंसर पालिए आईपीएल जाइए

भारत रत्न से क्यों चुका हॉकी का “जादूगर”

मिला खुश रहने का फार्मूला


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh