आज आईपीएल और अन्य दूसरे बाजारों ने क्रिकेट पर इस तरह से कब्जा कर रखा है कि लोगों के लिए यह खेल कम तीन खंटे की तड़कती-भड़कती फिल्म नजर आ रही है. इसके लिए हर साल आईपीएल की मंडी में क्रिकेट खिलाड़ियों की नीलामी की जाती है. कौन खिलाड़ी कितने में बिका मीडियाकर्मियों के लिए खबर बन जाती है. खिलाड़ियों की इस नीलामी में एक तरफ जहां क्रिकेटरों पर पैसे की बारिश होती है वहीं दूसरी तरफ क्रिकेट प्रेमियों के भरोसे को भी दांव पर लगाया जाता है.
लोकप्रियता के श्रेणी में विश्व में फुटबॉल के बाद क्रिकेट को जो दर्जा भारत में मिला हुआ है वैसा पूरी दुनिया में देखने को नहीं मिलता. यही वजह है कि यहां क्रिकेट को धर्म और खिलाड़ियों को भगवान की तरह पूजा जाता है. इसकी मिसाल आप गांव-कस्बों, गली-मोहल्लों और मैदानों में खेल रहे उन बच्चों और युवाओं के दिलों में देख सकते हैं, जो खुद को एक बेहतर क्रिकेटर बनने का सपना देख रहे हैं. क्योंकि वह जानते हैं कि जिस तरह का जुनून और रोमांच क्रिकेट में है वह और किसी खेल में नहीं है.
भारत में क्रिकेट ने यह भरोसा कोई एक दिन या महीनों में हासिल नहीं किया बल्कि इसका जुड़ाव आजादी से पहले का है. तब अंग्रेज खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए भारतीय नौजवानों के साथ मैच खेला करते थे. विदेशी खेल होने की वजह से शुरुआत में तो भारत ने इसका विरोध किया लेकिन जब बात मान-सम्मान की आई तब उन्होंने इस खेल को अपनाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे यह खेल भारत के कोने-कोने में लोकप्रिय हो गया तथा अपनी सहजता और सरलता की वजह से खास से आमजन के लिए भी सबसे ज्यादा प्रिय खेल बन गया.
इसकी लोकप्रियता में इजाफा और अधिक देखने को मिला जब भारतीय टीम देश-विदेश में विरोधी टीमों को पटखनी देने लगी. इस बीच भारतीय क्रिकेट को खिलाड़ी के रूप में ऐसे क्रिकेटर भी मिले जिन्होंने ना केवल क्रिकेट के प्रति लोगों में भरोसे की भावना को बढ़ाया बल्कि अपने प्रदर्शन से क्रिकेट को एक नई ऊंचाई भी दी. उनमें सबसे ज्यादा योगदान महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर का माना जाता है. यह लोगों का भरोसा ही तो है जिसकी वजह से सचिन खेल में भारत रत्न पाने वाले पहले खिलाड़ी बने.
जब तक सचिन को पूरी दुनिया में नाम मिला तब तक बाजार भी क्रिकेट में अपनी जड़ें जमा चुका था. क्रिकेटर टीम के लिए कम और पैसे के लिए ज्यादा खेलते हैं, इस तरह के आरोप टीम के खिलाड़ियों पर लगने लगे. क्रिकेटरों की और अधिक फजीहत तब हुई जब आईपीएल ने एक बड़े बाजार के रूप में दस्तक दी. आज आईपीएल और अन्य दूसरे बाजारों ने क्रिकेट पर इस तरह से कब्जा कर रखा है कि लोगों के लिए खेल कम तीन खंटे की तड़कती-भड़कती फिल्म नजर आ रही है. इसके लिए हर साल आईपीएल की मंडी में क्रिकेट खिलाड़ियों की नीलामी की जाती है. कौन खिलाड़ी कितने में बिका मीडियाकर्मियों के लिए खबर बन जाता है. बाजार के मुताबिक बोली करोड़ों में होती है. इसमें प्रदर्शन करने वाले क्रिकेटरों के साथ-साथ नामी क्रिकेटरों को खास तौर पर तव्वजो दी जाती है.
खिलाड़ियों की इस नीलामी में एक तरफ जहां क्रिकेटरों पर पैसे की बारिश होती है वहीं दूसरी तरफ क्रिकेट प्रेमियों के भरोसे को भी दांव पर लगाया जाता है. पिछले कुछ सालों से जिस तरह से आईपीएल के रहनुमाओं ने अपने फायदे के लिए नियम और कानून को ठेंगा दिखाया उससे ना केवल क्रिकेट प्रेमियों का भरोसा डगमगाया है बल्कि क्रिकेट के प्रति वास्तविक श्रद्धा भी कम हुई है.
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