रणजी ट्रॉफी फाइनल में गुरुवार को सौराष्ट्र पर 78 रन से जीत हासिल करने के साथ ही विदर्भ की टीम लगातार दूसरी बार यह खिताब जीतने वाली छठी टीम बनीं। विदर्भ ने पिछले साल दिल्ली की टीम को रणजी फाइनल में हराकर खिताब हासिल किया था। आखिरी दिन एक बार फिर से फिरकी गेंदबाज अदित्य सरवटे का जलवा दिखा और टीम को यादगार जीत हासिल हुई। हालांकि इस टीम वो खिलाड़ी भी था जो आजतक रणजी में कभी कोई फाइनल नहीं हारा है। 40 साल की इस उम्र में भी वह एक युवा की तरह बल्लेबाजी करते हुए नजर आते हैं।
लगातार रणजी ट्रॉफी जीतने वाली छठी टीम
विदर्भ की टीम अपने रणजी ट्रॉफी का बचाव करने वाली छठी टीम बन गई है। इससे पहले महज पांच टीमें ही अपने रणजी खिताब का बचाव करने में कामयाब हो पाई थी। विदर्भ से पहले मुंबई, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्टनाटक, राजस्थान की टीम ही लगातार दो बार रणजी ट्रॉफी जीतने का कारनामा कर पाई थी। विदर्भ से पहले लगातार दो रणजी ट्रॉफी जीतने का कारनामा कर्टनाटक की टीम ने किया था। इस टीम ने 2013-14 और फिर 2014-15 में रणजी ट्रॉफी पर कब्जा जमाया था।
खिताब बचाने वाली छठ रणजी टीमें
मुंबई की टीम ने सबसे ज्यादा बार अपने खिताब का बचाव किया है। साल 1934-35 में पहला और उसके बाद 1935-36 में दूसरा खिताब मुंबई ने जीता था। इसके बाद साल 1955-56 और फिर 1956-57 की ट्रॉफी भी मुंबई ने अपने नाम की थी। साल 1958 से लेकर 1978 तक मुंबई की टीम ने लगातार 15 बार इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में जीत हासिल की। इसके बाद कर्नाटक ने मुंबई के जीत का सिलसिला तोड़ा लेकिन साल 1974 से 1977 तक तीन और खिताब मुंबई के नाम रहे।
जाफर ने अब तक दस बार रणजी ट्रॉफी जीती है
जाफर ने अब तक दस बार रणजी ट्रॉफी का फाइनल खेला है और हर बार उनकी टीम ने खिताब जीता है। इसमें आठ बार मुंबई तो दो बार विदर्भ के लिए खिताबी मुकाबला खेला। गुरुवार को विदर्भ को मिली जीत के साथ ही जाफर का परफेक्ट 10 भी पूरा हो गया है। दस बार रणजी चैंपियन का हिस्सा बनकर जाफर ने मनोहर हार्दिकर और दिलीप सरदेसाई के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। हालांकि, सबसे अधिक बार रणजी ट्रॉफी विजेता टीम का हिस्सा होने का रिकॉर्ड अशोक मांकड़ के नाम हैं। वह 12 बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन टीम का हिस्सा रहे, उनके बाद अजीत वाडेर (11) दूसरे नंबर पर हैं।
चोट के बाद विदर्भ टीम में आए जाफर
2016- 2017 में घुटने की चोट के कारण जाफर को घरेलू क्रिकेट से काफी समय तक दूर रहना पड़ा था। जब उन्होंने चोट से वापसी की तो काफी लोग इस 40 वर्षीय अनुभवी बल्लेबाज को अपने राज्य की टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं देना चाहते था। यही नहीं उनकी कंपनी इंडियन ऑयल को भी महूसस होने लगा था कि उनमें अब ज्यादा क्रिकेट नहीं बचा है और वह उन्हें ऑफिस में बैठकर डेस्क पर काम करने की सलाह देने लगे थे। हालांकि जाफर को विदर्भ से खेलने का मौका मिला। जाफर ने मुंबई टीम का साथ छोड़ने के बाद 2015-2016 सीजन में पहली बार विदर्भ से जुड़े थे।…Next
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