आस्ट्रेलियाई क्रिकेटर रिक्की पॉन्टिंग ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान पॉन्टिंग ने गुरुवार को कहा कि दक्षिण अफीका के विरुद्ध शुक्रवार से शुरू हो रहा तीसरा टेस्ट उनका अंतिम मैच होगा. अपनी प्रेस कांफ्रेंस में रिकी ने यह भी कहा कि वह पिछले कुछ समय से ऐसा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं जिसकी वह इच्छा रखते थे इसलिए वह संन्यास लेने का फैसला कर रहे हैं. पिछले साल पॉन्टिंग वन-डे और ट्वेंटी-20 क्रिकेट से पहले ही संन्यास ले चुके हैं. पर्थ में हो रहे मैच में खेलने के साथ ही पॉन्टिंग स्टीव वॉ के 168 टेस्ट मैचों के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर कर चुकें हैं. एक सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के तौर पर रिक्की पॉन्टिंग ने 17 साल तक अपनी टीम को सेवा दी.
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रिकी पॉन्टिंग का जीवन
रिकी पॉन्टिंग का जन्म 19 दिसंबर 1974 को हुआ. उनका पूरा नाम रिक्की थॉमस पॉन्टिंग है. वह अपने परिवार में सबसे बड़े बेटे हैं. 1989 से 1990 तक ऑस्ट्रेलिया के लिए खेल चुके ग्रेग चैपल उनके अंकल हैं. ऑस्ट्रेलिया का यह पूर्व कप्तान टीम में ‘पंटर’ के नाम से भी जाना जाता है. पॉन्टिंग ने जून 2002 में रायना केंटोर से शादी की. जिनसे दो बच्चे भी हैं. उनका क्रिकेट के प्रति रुझान उनके पिता ग्रीम और अंकल ग्रेग चैपल की वजह से हुआ. पॉन्टिंग ने नवंबर 1992 में 17 साल की उम्र में टासमानिया के लिए फर्स्ट क्रिकेट खेला. उन्होंने पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच 1995 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला. इसी साल उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ पर्थ टेस्ट मे पदार्पण किया जहां उन्होंने 96 रन बनाए थे. एकदिवसीय मैचों के लिए वह 2002 में ऑस्ट्रेलिया टीम के कप्तान बनें जबकि 2004 में उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम की कमान संभाली.
रिकी पॉन्टिंग के वनडे और टेस्ट रिकॉर्ड
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एक बेमिशाल कप्तान
रिक्की पॉन्टिंग न केवल एक शानदार बल्लेबाज हैं बल्कि उन्होंने कप्तानी में भी एक नया मुकाम हासिल किया. इतिहास में जब भी क्रिकेट में सफल कप्तानों का नाम लिया जाएगा वहा ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिक्की पॉन्टिंग का नाम सबसे ऊपर होगा. उन्होंने अपनी कप्तानी से न केवल अपनी टीम के खिलाड़ियों को लड़ना सिखाया बल्कि अंत में कैसे मैच को अपने पक्ष में किया जाता है इसके भी गुर सिखाए. उनकी कप्तानी में ऐसा बहुत ही कम बार हुआ है कि वह अंत तक लड़े और उनकी टीम मैच न जीते. अपनी टीम के स्टैंडर्ड को हाई करने में उनकी एक बड़ी भूमिका थी. जब तक वह टीम के कप्तान रहें उनकी टीम टेस्ट और वनडे दोनों में नंबर वन के पायदान पर डटी रही. यह बात अलग है कि पॉन्टिंग को अपनी टीम के लिए कप्तानी करने का मौका उस समय मिला जब टीम के पास गिलक्रिस्ट, मैग्रा, हेडन और शेन वॉर्न जैसे खिलाड़ी रहें.
कप्तान के तौर पर पॉन्टिंग की उपलब्धि
इस समय पॉन्टिंग भले ही बुरे दौर से गुजर रहे हो लेकिन उनके रिकॉर्ड ही बता रहे हैं कि वह कितने महान खिलाड़ी हैं. उनका महान होने का अंदाजा इसी बात से लगया जा सकता है कि आस्ट्रेलिया में डॉन ब्रेडमैन के बाद सबसे महान बल्लेबाज का अगर किसी का नाम आता है तो वह रिकी पॉन्टिंग. पॉन्टिंग को 2006 और 2007 में आईसीसी प्लेयर आफ द ईयर अवार्ड से नवाजा गया. पोंटिंग को 2004, 2005 और 2006 में आईसीसी टेस्ट प्लेयर आफ द ईयर भी चुना गया था. पोंटिंग को वर्ष 2004, 2006, 2007 और 2009 में एलेन बार्डर मेडल भी दिया गया.
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