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मुझे ‘सचिन’ का संन्यास चाहिए

विश्व क्रिकेट में जब भी सचिन तेंदुलकर का नाम लिया जाता है. दिमाग में अपने आप उनके द्वारा सेट किए गए रिकोर्ड झलकने लगते हैं, लेकिन आजकल ऐसा नहीं है. आज जब भी सचिन का नाम लिया जाता है उनके संन्यास की चर्चा पहले की जानी लगती है. यह संन्यास की खबरे पिछले एक साल से चली आ रही है. इसी दबाव की बदौलत सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट को छोड़कर क्रिकेट के सभी फॉर्मेट्स को अलविदा कह चुके हैं.


अब सवाल उठता है कि आखिर सचिन के आलोचक और भारतीय मीडिया ऐसा क्यों चाहते हैं कि मास्टर ब्लास्टर जल्द से जल्द संन्यास लें. ऐसा माना जा रहा है कि सचिन नवंबर में वेस्टइंडीज के साथ होने वाले दो टेस्ट मैचों की सिरीज में अपना 200वां टेस्ट मैच पूरे होने के बाद वह बचे हुए टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास ले लेंगे. अभी क्रिकेट के इतिहास में सचिन सबसे ज्यादा 198 टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी बने हुए हैं.


पूरी तरह से महौल ऐसा बनाया जा रहा है जैसे सचिन की अब उम्र हो चुकी है और उनके बल्ले से रन भी नहीं बन रहे हैं इसलिए उन्हें युवाओं को मौका देने के लिए संन्यास ले लेना चाहिए. उनके आलोचक मानते हैं कि सचिन में वह बात नहीं जो पहले हुआ करती थी. उन्होंने टेस्ट में अपने बल्ले से आखिर बार करीब ढाई साल पहले जनवरी 2011 में शतक लगाया था. उसके बाद उन्होंने 38 पारियों से शतक का स्वाद नहीं चखा.


एक बार को मान भी ले कि सचिन का प्रदर्शन उनकी महानता के हिसाब से मन मुताबिक नहीं है और उनकी उम्र भी काफी हो चुकी है तो इसका मतलब यह तो नहीं कि सचिन से उनका अधिकार भी छिन लिया जाए. एक खिलाड़ी को संन्यास कब लेना चाहिए इसका फैसला केवल खिलाड़ी पर ही छोड़ देना चाहिए. सचिन से पहले भी सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड और वीवीएस लक्ष्मण पर भी इसी तरह का दबाव बनाया गया था.


सचिन के रिकॉर्ड

  • 463 वनडे में 18,426 रन, 49 शतक और 96 अर्धशतक. वनडे में बल्लेबाजी औसत 44.83 सर्वाधिक 200 रन नाबाद.
  • 198 टेस्ट मैचों में 15,837 रन, 51 शतक और 67 अर्धशतक. टेस्ट में बल्लेबाजी औसत 53.86 सर्वाधिक 248 रन नाबाद.
  • वनडे में 154 विकेट और टेस्ट में 45 विकेट.

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