Menu
blogid : 7002 postid : 723939

जानिए क्रिकेट की बर्बादी पर क्यों चुप हैं मास्टर ब्लास्टर

यहां बात महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की हो रही है जिन्होंने अपने जीवन के 24 साल क्रिकेट को समर्पित किए, अंतरराष्ट्रीय मैचों में 30 हजार से भी ज्यादा रन बनाए, शतकों का शतक बनाने वाले इकलौते क्रिकेटर बने. इस दौरान उन्होंने नाम, पैसा, शोहरत और राजनीति में अच्छी पोजीशन भी हासिल की. हिंदुस्तान में क्या विश्व में भी ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं है जो सचिन की महानता के आगे अपनी महानता पर इतराने की कोशिश भी करे.


sachin


सचिन महानतम खिलाड़ी हैं इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन क्या उनकी महानता केवल उनके द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड और कमाए गए नाम तक ही सीमित है. इतने बड़े खिलाड़ी होने के बावजूद क्या उनका फर्ज नहीं बनता कि भारतीय खेल में बढ़ रही गंदगी को साफ करने में अपना योगदान दें, उसमें सुधार के लिए नए-नए प्रस्ताव लाएं? दुःखद आश्चर्य कि भारतीय खेल तो दूर सचिन अपने ही खेल क्रिकेट को बचाने में ही कोई रुचि लेते नहीं दिखते.


Read:  ‘टच’ के बाद अब और क्या?


srinivasan


आज भारतीय क्रिकेट में भूचाल आया हुआ है. मुठ्ठीभर स्वार्थी और लालची व्यक्तियों ने क्रिकेट को गर्त में पहुंचाने की कसम खा रखी है. इनकी मेहरबानी की वजह से आज क्रिकेट खेल कम व्यापार ज्यादा लगने लगा है, जहां व्यापारी अपनी बढ़ती लालच को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चला जाता है. वह तो भला हो हमारे सर्वोच्च न्यायलय का जिसने लाखों-करोड़ो लोगों की क्रिकेट भक्ति को समझा और क्रिकेट को बर्बाद करने वाले इन व्यापारियों पर लगाम कसनी शुरू की. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कब तक सुप्रीम कोर्ट खेल की गंदगी को साफ करने के लिए कदम उठाता रहेगा. यहां जरूरत है कि सचिन जैसे महान खिलाड़ी स्वयं आवाज बुलंद करें.

Read: हर रात नरभक्षियों के साथ क्यों गुजारता है ये परिवार


IPLक्या क्रिकेट में बढ़ते व्यापारीकरण को रोकने के लिए सचिन तेंदुलकर को आगे नहीं आना चाहिए? अब तो वह क्रिकेट को अलविदा भी कह चुके हैं तथा अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने के लिए उनके पास संसद जैसा मंच भी है, फिर भी वह मूक दर्शक बने क्यों बैठे हैं? क्या अभी भी वह भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अनुबंधों से बंधे हुए हैं या क्रिकेट के व्यापारीकरण से होने वाले संभावित फायदों में उनका भी हित किसी न किसी रूप में जुड़ा हुआ है? जो भी हो आज उन्हें अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से उपर उठना होगा. जिस तरह से उन्होंने अपने खेल की बदौलत भारतीय क्रिकेट को एक नई ऊंचाई दी, उसी तरह आज एक सेनापति के रूप में उन्हें क्रिकेट की गंदगी को साफ करने के लिए हुंकार भरनी चाहिए. देश अपने इस भारत रत्न से यही अपेक्षा रखता है.


Read more:

सचिन के वे पांच अनमोल क्षण

एक ऐसी दास्तां जो बनाती है विराट को सचिन से ज्यादा महान

भारत रत्न से क्यों चुका हॉकी का “जादूगर”

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh