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राजनीतिक परिवार से हैं शूटर श्रेयसी सिंह, देश को दिलाया गोल्ड मेडल

विश्व खेल के इतिहास में भारतवर्ष के लिए खासकर बिहार के लिए बुधवार का दिन गौरवशाली साबित हुआ है। ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में चल रहे 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स के डबल ट्रैप शूटिंग स्पर्धा में बिहार की बेटी श्रेयसी सिंह ने स्वर्ण पदक पर जीता है। भारत की झोली में 12वां स्वर्ण पदक डालने वाली श्रेयसी ने नया इतिहास भी रचा है। वह पहली ऐसी महिला निशानेबाज हैं, जिन्होंने डबल ट्रैप स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता है। इससे पहले, 2006 में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पुरुष डबल ट्रैप स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था।

 

 

कई बार मेडल जीत चुकी हैंश्रेयसी

2014 के ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेलों में उन्होंने रजत पदक जीता था। दिल्ली कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में ही साल 2010 में भी उन्होंने रजत पदक हासिल किया था। श्रेयसी ने साल 2017 में आयोजित एशियन शॉटगन चैंपियनशिप में उन्होंने कीनन चेनाई के साथ मिलकर कांस्य पदक और इसी साल ब्रिस्बेन में रजत पदक अपने नाम किया था। 2018 में उनकी झोली में गोल्ड मेडल आ गया।

 

 

बिहार की रहने वाली हैं श्रेयसी

श्रेयसी मूल रूप से बिहार के जमुई जिला के गिद्धौर की रहने वाली हैं। हालांक उऩकी पढ़ाई दिल्ली के हंस राज कॉलेज से हुई है। उनके पिता दिग्विजय सिं बिहार के बांका से सांसद रह चुके हैं। श्रेयसी की मां पुतुल कुमारी भी बांकी से पूर्व सांसद रह चुक हैं। श्रेयसी यहां आती रहती हैं और उन्हें यहां से बहद लगवा भी है। उनकी जीत के बाद भागलपुर बांका के लोग उनकी शानदार सफलता से फुले नहीं समा रहे है।

 

 

सांसद रह चुके हैं पिता

तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा से सांसद रहे दिग्विजय सिंह केंद्र में कई सरकारों में मंत्री पद पर रहे थे। चंद्रशेखर के नेतृत्व में वर्ष 1991 में बनी सरकार में भी वे मंत्री रहे। वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी राजग सरकार में वे विदेश राज्यमंत्री थे। पूर्व में समता पार्टी और बाद में जदयू के वरिष्ठ नेता जॉर्ज फर्नांडीस के बेहद करीबी रहे दिग्विजय सिंह का वर्ष 2010 में दिमाग की नस फटने के कारण लंदन में निधन हो गया था।

 

 

बचपन में पिता देते थे ट्रेनिग

अपनी जीत का श्रेय देने के बारे में श्रेयसी ने कहा, “मुझे मेरे परिवार, कोचों मानशेर सिंह और मार्सेलो ड्राडी से काफी समर्थन मिला है। मैं इन सभी को अपनी जीत का श्रेय देना चाहूंगी।” श्रेयसी अपने पिता को ही अपना हीरो मानती हैं, उनके पिता ने ही उन्हें निशानेबाजी में शुरुआती दिनों में प्रशिक्षण दिया। ऐसे में पिता और दादा के साथ प्रशिक्षण के बारे में उन्होंने कहा, “मैं बचपन से इस खेल में किसी न किसी तरह जुड़ी रही हूं। मेरे पिता और दादा दोनों एनआईएआई के अध्यक्ष थे। इसलिए, मैं हमेशा निशानेबाजी की प्रतियोगिताओं और निशानेबाजों से घिरी रहती थी।”

 

 

पिता का सपना किया पूरा

श्रेयसी की इस जीत से पूरे बिहार के लोग बेहद खुश हैं, खासतौर से भागलपुर बांका एवं जमुई जिले में हर्ष और उत्सव का माहौल है। श्रेयसी की इस जीत पर उनकी मां पूर्व सांसद पुतुल कुमारी ने कहा कि आज श्रेयसी ने अपने पिता स्वर्गीय दिग्विजय सिंह का सपना पूरा कर दिया।

 

 

पिता और दादा थे एनआरएआई के अध्यक्ष

श्रेयसी के पिता दिग्विजय सिंह 1999 से अपनी मृत्यु (2010) तक राष्ट्रीय राइफल महासंघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष थे। वहीं उनके दादा सुरेंद्र भी एनआरएआई के अध्यक्ष रह चुके थे। दादा का सपना था कि उनके परिवार से कोई इस खेल में महारथ हासिल करे, जिसे श्रेयसी बखूबी निभा रही हैं।Next

 

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