1999-2000 का वर्ष क्रिकेट इतिहास के लिए एक काला अध्याय है. इस वर्ष मैच फिक्सिंग के खुलासे ने विश्व क्रिकेट को हिलाकर रख दिया था. फिक्सिंग में कई खिलाड़ियों का नाम सामने आया जिसमें भारतीय खिलाड़ी भी थे. इस मामले में जिस खिलाड़ी को लेकर सबसे ज्यादा हैरानी हुई वह भारतीय क्रिकेट के स्मालिंग प्रिंस अजय जड़ेजा थे.
अजय जड़ेजा टीम के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जो मैच के हर परिस्थितियों में न तो घबाराते थे और न ही किसी गेंदबाज से ड़रते थे. टीम चाहे जितनी भी दबाव में हो उनके चेहरे पर किसी भी तरह का कोई तनाव नहीं होता था. वह जव भी मैदान पर होते सदा उनके चेहरे पर मुस्कान ही होती थी. जिस दौर में अजय जड़ेजा पर फिक्सिंग का आरोप लगा उस दौर में वह क्रिकेट के एक बेहतरीन खिलाड़ी थे. वह ना केवल एक बेहतर बल्लेबाज थे बल्कि क्षेत्ररक्षण में भी एक अच्छे खिलाड़ी माने जाते रहे हैं.
मैच फिक्सिंग के चलते जड़ेजा पर लगे पांच वर्ष के प्रतिबंध को 2003 में अदालत ने खत्म कर उन्हें घरेलू क्रिकेट में खेलने की छूट दे दी थी. अदालत से राहत मिलने के बाद जड़ेजा घरेलू मैच तो खेले लेकिन राष्ट्रीय टीम के लिए उनके लिए दरवाजे बंद हो गए थे.
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