निदहास ट्रॉफी के फाइनल में मारे गए एक छक्के ने दिनेश कार्तिक को मौजूदा दौर का सबसे बड़ा हीरो बना दिया है, एक ऐसा हीरो जिसकी शान में हर कोई कसीदे गढ़ रहा है। कोई उनकी उस आतिशी पारी को याद कर रहा है जिसमें उन्होंने 8 गेंद में 29 रन बनाकर भारत के खाते में ऐसी खिताबी जीत डाल दी जिसका जश्न देश लंबे समय तक मनाएगा। इस जीत के बाद लोग एक बार फिर दिनेश कार्तिक की प्रतिभा का आंकलन कर रहे हैं, आंकडों के द्वारा बताया जा रहा है कि कैसे दिनेश कार्तिक तमाम प्रतिभा के बावजूद क्रिकेट में वो मुकाम हासिल नहीं कर सके जो उनके समकालीन खिलाड़ियों ने हासिल किया। खैर, इस मामले में दिनेश कार्तिक ही अकेले बदकिस्मत नहीं हैं देश में ऐसे खिलाड़ियों की लंबी फेहरिस्त है जो जबरदस्त प्रतिभा के बावजूद भी बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर सके, जबकि पूरी दुनिया की निगाहें उन पर टिकी थी।
1. रॉबिन उथप्पा
विकेटकीपर बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा को एक दौर में उभरता खिलाड़ी माना गया था। विस्फोटक बल्लेबाज उथप्पा ने 2007 के क्रिकेट वर्ल्डकप में भारतीय टीम के लिए ओपनिंग भी की, लेकिन उसके बाद वह टीम में आते जाते रहे और अपनी जगह पक्की नहीं रख सके। अपनी विस्फोटक शैली के चलते उथप्पा को वनडे का विशेषज्ञ बल्लेबाज माना जाता था लेकिन टीम में लगातार अंदर बाहर होते रहने के कारण वह 46 मैचों में मात्र 934 रन ही बना सके टेस्ट में उन्हें मौका ही नहीं मिल सका। हालांकि इससे इतर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 136 मैचों में नौ हजार से ज्यादा रन बनाए।
2. पीयूष चावला
जिस दौर में महान स्पिनर अनिल कुंबले संन्यास की ओर बढ़ रहे थे तब क्रिकेट प्रशंसकों और चयनकर्ताओं की निगाहें यूपी के युवा स्पिनर पीयूष चावला पर टिकी हुई थीं। महान सुनील गावस्कर ने तो उन्हें अनिल कुंबले का बेहतर विकल्प बताया था। चयनकर्ताओं ने भी पीयूष को कम उम्र में ही टीम में मौके देने शुरू कर दिए थे लेकिन वह भी अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर सके और आईपीएल और प्रथम श्रेणी तक सिमटकर रह गए। उनकी प्रतिभा का ऐसा अंत हुआ कि मात्र तीन टेस्टों में सात विकेट ही ले सके। वनडे में भी उनके खाते में मात्र 25 मैच ही आ पाए।
3. पार्थिव पटेल
रॉबिन और कार्तिक की तरह ही एक और विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल को भी काफी टैलेंटेड माना गया था लेकिन धोनी के प्रभुत्व के चलते वह भी उस मुकाम को हासिल नहीं कर सके जिसकी उनमें संभावनाएं बताई गई थीं। पार्थिव को तो सचिन ने भी आने वाले वक्त का सितारा बताया था लेकिन वह भी चयनकर्ताओं की प्रयोगशाला में फंसकर रह गए। कभी उन्हें ओपनिंग पर उतारा जाता तो कभी मिडिल ऑर्डर की जिम्मेदारी दे दी जाती, इन्हीं प्रयोगों में पार्थिव उलझकर रह गए।
4. वेणुगोपाल राव
एक दौर में वेगुणोपाल राव को भारतीय क्रिकेट का सबसे उभरता सितारा माना गया था। उस समय सुरेश रैना के साथ राव ने भी भारतीय क्रिकेट में दस्तक दी थी, लेकिन वह भी ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिक सके। जूनियर क्रिकेट में धूम मचाने वाले वेणुगोपाल राव को साल 2005 में भारतीय वनडे टीम में मौका मिला था लेकिन उनकी पारी ज्यादा लंबी नहीं चल सकी। कई सालों तक वह टीम से अंदर बाहर होते रहे और मात्र 16 वनडे ही खेल सके। हालांकि फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने जरूर 121 मैच खेलकर सात हजार से ज्यादा रन बनाए।
5. फैज फैजल
एक दौर में विदर्भ के बल्लेबाज फैज फैजल को भारत का दूसरा सचिन कहा जाता था। एक सत्र में उन्होंने जूनियर क्रिकेट में धड़ाधड़ कई शतक जड़कर चयनकर्ताओं के साथ ही तमाम क्रिकेट प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींचा था
लेकिन वह भी एक बुलबुले की तरह आकर ठहर गए। फैज को मात्र एक वनडे ही नसीब हो सका जिसमें उन्होंने 55 रन बनाए और दोबारा कभी टीम में लौटकर नहीं आए। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने जरूर 99 मैचों में 16 शतकों की मदद से सात हजार रन बनाए हैं।…Next
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