‘सौ सही काम कर लो, कोई याद नहीं रखता, एक गलत इल्जाम और सबने भुला दिया’
मशहूर पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन पर बनी बॉयोपिक फिल्म ‘अजहर’ फिल्म रिलीज से पहले ही चर्चा में दिख रही है. पर्दे पर आने से पहले ही आए दिन फिल्मों से विवाद जुड़ता दिखाई दे रहा है. मोहम्मद अजहरुद्दीन के कॅरियर में साल 2000 एक तूफान लेकर आया. इसी साल उनपर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा और बीसीसीआई उनके क्रिकेट खेलने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया.
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हालांकि 8 नवंबर 2012 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने अजहर के लगे आजीवन प्रतिबंध को खारिज कर दिया. लेकिन तब तक अजहर अपना क्रिकेट कॅरियर समाप्त कर चुके थे. फिल्म ‘अजहर’ भी मैच फिक्सिंग के उसी स्याह पन्ने के इर्द-गिर्द घूमती है. देखा जाए तो आज भी ज्यादातर लोगों को मोहम्मद अजहरुद्दीन और बाकी स्टार क्रिकेटरों से जुड़े फिक्सिंग के तारों के बारे में नहीं पता. चलिए, हम आपको बताते हैं किस तरह अजहरुद्दीन ने अर्श से फर्श तक का सफर तय किया.
साल 2000 को विश्व क्रिकेट का सबसे काला अध्याय माना जाता है. इसी साल भारत ने दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध घरेलू मैच खेला था. जिसके खत्म होने के कुछ समय बाद ही दिल्ली पुलिस द्वारा भारतीय दिग्गज क्रिकेटरों के मैच फिक्सिंग में जुड़े होने की बात सबके सामने आई. उस समय दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन कैप्टन हैंसी क्रोनिए पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा था.
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इसमेंं कई मशहूर भारतीय क्रिकेटरों का नाम भी सामने आया था. इस खुलासे के कुछ दिनों बाद ही क्रोनिए को कप्तानी से हटा दिया गया. जून, 2000 में क्रोनिए ने मैच फिक्सरों से अपने संबंध की बात कबूलते हुए उस समय भारतीय टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन पर भी मैच फिक्स का आरोप लगाया. क्रोनिए ने आरोप लगाया कि 1996 में कानपुर टेस्ट मैच के दौरान अजहर ने उन्हें मुकेश गुप्ता नाम के फिक्सर से मिलवाया था. उन्होंने अजहर के अलावा भारतीय बल्लेबाज अजय जडेजा और पाकिस्तान के सलीम मलिक का नाम भी लिया.
अक्टूबर, 2000 में क्रोनिए पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया. हांलाकि, 2002 में एक प्लेन क्रैश हादसे में उनकी मौत हो गई. वहीं दूसरी तरफ फिक्सिंग के ये तार भारतीय क्रिकेट टीम के कुछ स्टार खिलाड़ियों से भी जुड़े. भारतीय टीम के पूर्व आलराउंडर मनोज प्रभाकर ने कपिल देव, मोहम्मद अजहरुद्दीन, सुनील गावस्कर आदि क्रिकेटर्स के नाम फिक्सिंग के आरोपियों के रूप में बताए थे.
इस मामले में उनकी जांच भी हुई थी. जांच के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने प्रभाकर पर भी पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही मोहम्मद अजहरुद्दीन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था. हांलाकि, नवंबर 2012 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अजहरुद्दीन पर लगे आजीवन प्रतिबंध को गलत करार दिया लेकिन तब तक उनका क्रिकेट कॅरियर खत्म हो चुका था.
वहीं कपिल देव पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगने के बाद उन्हें भारतीय टीम के कोच पद से इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि, मैच फिक्सिंग की जांच करने वाले एक अधिकारी ने अनुसार मनोज प्रभाकर ने कपिल देव पर जो ‘रिश्वत” देने के आरोप लगाए थे वे सभी जांच के दौरान बेबुनियाद पाए गए. इस तरह अजहरुद्दीन क्रिकेट के चमकते सितारे से एक फिक्सिंग के आरोप के चलते कहीं गुमनामी में खो गए…Next
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