क्रिकेट और बॉलीवुड ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अगर आपकी मेहनत और किस्मत का सिक्का एक साथ चल गया तो लोग रातों-रात स्टार बन जाते हैं. स्टार भी ऐसे हैं कि अगर कभी आप अर्श से फर्श पर भी गिर जाएं, तो भी मीडिया आपकी खबर रखती है. सच तो ये है कि क्रिकेट और बॉलीवुड की हस्तियों की जिंदगी में क्या चल रहा है, ऐसी बातें हर फैन जानना चाहता है.
आज हम आपको बताने जा रहे हैं क्रिकेट जगत के ऐसे स्टार क्रिकेटर के बारे में, जो क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाया. ‘अजीत आगरकर’ करीब 16 सालों तक क्रिकेट का हिस्सा रहें, इस क्रिकेटर को अच्छे प्रदर्शन के बावजूद कभी उतनी सराहना नहीं मिली, जिसके वो हकदार थे. आइए, जानते हैं अजीत की जिंदगी से जुड़े कुछ यादगार पहलू.
बचपन में बस एक शौक हुआ करता था क्रिकेट
आगरकर क्रिकेट जगत में ऐसा नाम हुआ करता था, जिनकी बॉलिंग के आगे अच्छे-अच्छे बल्लेबाज भी परेशानी में पड़ जाते थे, लेकिन अजीत ने शुरुआत में क्रिकेट को संजीदगी से नहीं लिया, ना ही उनका सपना एक सफल क्रिकेटर बनने का था. अजीत आगरकर ने बचपन में शौकिया तौर पर क्रिकेट खेलना शुरू किया था और बचपन में अपनी कॉलोनी में क्रिकेट खेलते हुए वो पड़ोसियों की खिड़कियां तोड़ देते थे. रोज की इस कहानी को देखते हुए घरवालों ने परेशान होकर उन्हें शिवाजी पार्क में कोच रमाकांत आचरेकर के पास ले गए और आचरेकर ने आगरकर को देखते ही कहा ‘क्रिकेट तुम्हारा शौक नहीं, एक दिन जुनून बनेगा.’
बल्लेबाजी से शुरूआत की लेकिन गेंदबाज बन गए
शुरुआत में अपने कोच के साथ अजीत ने बल्लेबाजी की प्रैक्टिस शुरू की, लेकिन वो बैटिंग से अच्छी बॉलिंग किया करते थे. ऐसे में उन्होंने गेंदबाजी पर ही फोकस किया. महज 15 साल की उम्र में अजीत को मुंबई टीम से रणजी क्रिकेट मैच खेलने का मौका मिला. इसके बाद अजीत की गेंदबाजी चमक उठी और उन्हें 1998 में ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के लिए मैदान में उतारा गया.
13 मैचों तक नहीं मिला एक भी विकेट
अजीत को अपने पहले विकेट के लिए 13 मैचों का सफर करना पड़ा, लेकिन उनकी कमाल की गेंदबाजी के साथ शानदार बल्लेबाजी देखकर उन्हें टीम में लगातार जगह मिलती रही.
बल्लेबाज के बाद बने गेंदबाज लेकिन पहचान मिली ‘ऑलरांउडर’ बनकर
भारतीय टीम में उन दिनों ऑलरांउडर खिलाड़ियों की बहुत कमी थी. अजीत के नाम भारत की ओर से सबसे तेज अर्धशतक जड़ने का रिकॉर्ड भी दर्ज हैं. उन्होंने साल 2000 में जिम्बाब्वे के खिलाफ सिर्फ 21 गेंदों में 50 रन बनाए थे. अजीत ने क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स में नंबर 8 पर बैटिंग करते हुए शतक जड़ा था, अजीत आगरकर ने वो कारनामा कर दिखाया, जो सचिन तेंदुलकर जैसा महान बल्लेबाज भी नहीं कर सका.
सबसे कम वनडे मैचों में बनाए सबसे ज्यादा रन
आगरकर के नाम सबसे कम वनडे मैचों में 200 विकेट और 1000 रन बनाने का भी रिकॉर्ड है.
क्रिकेटर मजहर की बहन फातिमा से की लव मैरिज
रणजी मैच में मुंबई की ओर से खेलने वाले क्रिकेटर मजहर की बहन फातिमा घड़ियाल और अजीत के बीच शुरुआत में दोस्ती थी. फातिमा अक्सर अजीत के मैच भी देखने आया करती थीं. दोनों ने 2007 में शादी करने का फैसला लिया, लेकिन दोनों के बीच धर्म की दीवार थी, शुरुआत में दोनों के परिवार में इस बात को लेकर कुछ मतभेद हुए लेकिन मामले को सुलझाते हुए दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थामा और 2007 में शादी कर ली.
क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद भी जारी है जिंदगी का सफर
भारतीय टीम में अजीत ने 2007 तक क्रिकेट खेला था. उसके बाद वो आईपीएल और रणजी मैचों का हिस्सा बनते रहे. साल 2014 में उन्होंने सभी तरह के क्रिकेट से संन्यास ले लिया. उससे पहले अजीत ने रणजी मैच में सौराष्ट्र टीम की कप्तानी करते हुए, करीब 75 साल बाद इस टीम को रणजी में जगह दिलवाने का कारनामा भी कर दिखाया था. क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद अजीत फैमिली बिजनेस में बिजी हैं. उन्हें कई बार कई क्रिकेट इंवेट में भी देखा जाता है. वो अपनी पत्नी और बेटे राज के साथ वर्ली, मुंबई में रहते हैं. उनके बारे में कहा जा रहा है कि वो गोल्फ की दुनिया में अपना नाम बनाना चाहते हैं और उसके लिए वो लगातार गोल्फ खेलने की प्रैक्टिस में लगे हुए हैं …Next
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