कहते हैं अवसर के बिना प्रतिभा को कोई पहचान नहीं मिलती. जैसे, आप कितना भी अच्छा गाते हो लेकिन जब तक आपको अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए कोई मंच या कोई मौका न मिले, तब तक आपको कोई नहीं जान सकता.
क्रिकेट में भी ये बात बिल्कुल सटीक बैठती है. जब तक किसी खिलाड़ी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहला मौका नहीं दिया जाए, उसके चौके-छक्के गली क्रिकेट के नाम से ही जाने जाते हैं. अनिश्चिताओं के इस खेल में कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें दूसरे खिलाड़ियों की बुरी किस्मत का फायदा मिला यानि किसी चोट या किसी अन्य वजह से टीम से बाहर किए पुराने खिलाड़ियों के बदले, इन नए खिलाड़ियों को जब पहला मौका मिला, तो उन्होंने मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
आइए, जानते हैं ऐसे ही क्रिकेटर्स के बारे में
राहुल द्रविड़
संजय मांजरेकर ने लगातार 37 टेस्ट बिना किसी चोट के खेले लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ साल 1996 में दूसरे टेस्ट मैच के पहले मांजरेकर को चोट लग गई. मांजरेकर की चोट की वजह से उस समय टीम इंडिया में आए नए खिलाड़ी राहुल द्रविड़ को मौका मिल गया और द्रविड़ ने लॉर्डस की पिच में नंबर सात पर बल्लेबाजी करते हुए 95 रन बना दिए. मांजरेकर की चोट ने राहुल को हीरो बना दिया.
विराट कोहली
भारतीय अंडर- 19 टीम को विश्व कप जितवाने के एक साल बाद विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ एक द्विपक्षीय श्रृंखला के दांबुला में खेले गए मैच में वनडे डेब्यू किया था. हालांकि, वह पहले मैच में खेलने वाले नहीं थे लेकिन दांबुला मैच के एक दिन पहले फॉर्म में चल रहे ओपनिंग बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग चोटिल हो गए और इस तरह विराट कोहली के डेब्यू करने के दरवाजे खुल गए. इस बाद तो विराट ने हर मैच में अपनी प्रतिभा सबको दिखाई. हालांकि, अपने पहले मैच के बाद विराट कुछ मैचों में चल नहीं पाए और टीम से बाहर कर दिए गए लेकिन 2009 में उन्हें एक बार फिर से गौतम गंभीर के चोटिल होने की वजह से मौका मिला और फिर उनके विजयरथ को कोई रोक नहीं पाया.
चेतेश्वर पुजारा
साल 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली टेस्ट मैच में मैच जिताई पारी खेलने वाले वीवीएस लक्ष्मण चोटिल हो गए, इसलिए वो दूसरे टेस्ट में नहीं खेल पाए. अब इस टेस्ट मैच में वीवीएस की जगह चेतेश्वर पुजारा को टीम में शामिल किया गया. पुजारा ने इस मौके का पूरा इस्तेमाल करते हुए 89 गेंदों में 72 रन ठोकतें हुए टीम इंडिया व धोनी का दिल जीत लिया.
माइकल हसी
माइकल हसी को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू करने के करीब 11 साल बाद साल 2005 में ऑस्ट्रेलिया की ओर से खेलने का मौका मिला. साल 2005 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच के पहले जस्टिन लैंगर चोटिल हो गए थे, उन्हीं की जगह हसी को खिलाया गया. हसी ने अपने दूसरे टेस्ट मैच में ही 137 रन बनाकर अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी का सुबूत पेश कर दिया.
क्रिस गेल
क्रिस गेल के लिए शुरू से आईपीएल टूर्नामेंट बहुत अच्छा नहीं रहा. साल 2010 तक वह केकेआर की ओर से खेले और टूर्नामेंट में पूरी तरह से फ्लॉप रहे. साल 2011 में उन्होंने केकेआर को छोड़ दिया और बैंगलुरू टीम से जुड़े, लेकिन उन्हें ज्यादातर मैचों में बाहर ही रखा गया. इसी बीच एक मैच में जब आरसीबी का तेज गेंदबाज डिर्क नेनस घायल हो गए तो क्रिस गेल को मौका दिया गया. इसके बाद गेल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और सीजन में 600 रन बटोरे …Next
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