पुलवामा आतंकी हमले के बाद से पूरा देश सदमे और आक्रोश में है। कश्मीर सुरक्षाबलों पर हुआ यह सबसे घातक हमला था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए और बहुत से घायल हुए। इस हमले के मद्देनजर सोशल मीडिया पर शोक और संवेदनाओं का तूफान आ गया है। सितंबर 2016 में उरी हमले के बाद इसे सबसे खतरनाक हमला बताया जा रहा है। उरी में तकरीबन 18 जवान शहीद हुए थे और कई घायल हो गए थे। ऐसे में अब एक बार फिर से पाक- भारत के क्रिकेट को लेकर सवाल उठन लगे हैं औऱ लोगों का कहना है की भारत को विश्व कप में पाक के खिलाफ नहीं खेलना चाहिए हैं। तो चलिए जानते हैं आखिर क्या कभी क्रिकेट में ऐसा हुआ है और किसकी कैसी है प्रतिक्रिया।
भारत विश्व कप में पाकिस्तान से नहीं खेले
भारत के अनुभवी ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का मानना है कि भारत को पुलवामा आतंकवादी हमले के मद्देनजर आगामी विश्व कप में पाकिस्तान से नहीं खेलना चाहिये। ‘भारत को विश्व कप में पाकिस्तान से नहीं खेलना चाहिये। भारतीय टीम इतनी मजबूत है कि पाकिस्तान से खेले बिना भी विश्व कप जीत सकती है।’ हरभजन ने कहा, ‘यह कठिन समय है। हमला हुआ है, यह अविश्वसनीय है और बहुत गलत है। सरकार जरूर कड़ी कार्रवाई करेगी। जहां तक क्रिकेट का सवाल है तो मुझे नहीं लगता कि हमें उनके साथ कोई भी संबंध रखना चाहिये वरना ऐसा चलता रहेगा।’ उन्होंने कहा, ‘हमें देश के साथ खड़े होना चाहिये। क्रिकेट या हॉकी या किसी भी खेल में हमें उनके साथ नहीं खेलना चाहिये।’ गौरतलब है कि इससे पहले भी कई क्रिकेटर व खेल जगत की हस्तियां सीआरपीएफ जवानों पर पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर अपना गुस्सा जाहिर किया है।
दोनों ने द्विपक्षीय सीरीज 11 साल से नहीं खेली है
भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट संबंधों की बात करें तो दोनों ने द्विपक्षीय सीरीज 11 साल से नहीं खेली है। हालांकि, ये दोनों देश उन टूर्नामेंट में एकसाथ हिस्सा लेते हैं, जिसका आयोजक आईसीसी या एसीसी (एशियन क्रिकेट काउंसिल) हों। इंग्लैंड में 30 मई से होने वाले विश्व कप का आयोजक भी आईसीसी (ICC) ही है। इसलिए पहली नजर में माना जा रहा है कि भारत इस टूर्नामेंट से पाकिस्तान के खिलाफ खेलेगा। विश्व कप में दोनों टीमों का मैच 16 जून को होना है।
जब इऩ देशों ने खेलने से किया इंकार –
1. जब भारत ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को वॉकओवर दे दिया
भारत ने पाकिस्तान का अब तक किसी बड़े इवेंट में बायकॉट नहीं किया है, लेकिन उसने दिखाया है कि वह अपने सिद्धातों और नीतियों से समझौता नहीं करता है। बात 1974 की है, भारत उस साल डेविस कप (टेनिस) के फाइनल में पहुंचा। वह पहली बार इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा था। दूसरी ओर से दक्षिण अफ्रीका ने फाइनल में प्रवेश किया। भारत ने उस वक्त रंगभेद नीति के विरोधस्वरूप दक्षिण अफ्रीका से संबंध तोड़ रखे थे। भारत ने अपनी इस नीति को खेल के मैदान पर भी उतारा और दक्षिण अफ्रीका से नहीं खेलने का फैसला लिया। उसने दक्षिण अफ्रीका को वॉकओवर दे दिया। इस तरह भारत ने टेनिस में अपना सबसे बड़ा खिताब जीतने का मौका सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वह अपनी नीतियों से समझौता नहीं करना चाहता।
2. जब श्रीलंका को ऑस्ट्रेलिया और विंडीज ने किया बायकॉट
साल 1996 में भारत-पाकिस्तान-श्रीलंका की मेजबान में क्रिकेट विश्व कप खेला गया। श्रीलंका में उन दिनों लिट्टे (LTTE) का आतंक था। ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज ने सुरक्षा कारणों से श्रीलंका में खेलने से इनकार कर दिया। हालांकि दोनों देशों ने बाकि श्रीलंका के बाहर हुए मैचों में अपना खेल दिखाया था। साल 1996 में विशव कप श्रीलंका ने ही जीता था।…Next
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