एक तरफ जहां भारतीय क्रिकेट अपनी बुलंदिया छू रहा है. यहां के क्रिकेट बोर्ड के पास पैसा इतना है कि खेल को बढ़ावा देने के लिए नए-नए आयाम तलाशे जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ एक देश ऐसा भी है जो बिगड़ती हालात की वजह से क्रिकेट को बचाने में असमर्थ दिखाई दे रहा है.
एक दौर था जब पाकिस्तान क्रिकेट टीम विश्व की बेहतरीन टीम हुआ करती थी. इनकी बल्लेबाजी तो खास होती ही थी गेंदबाजी में इन्होंने ऐसे स्टार पैदा किए जो आज भी कई खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं. लेकिन हाल में जिस तरह से पाकिस्तान क्रिकेट की हालत हुई है उससे कभी नहीं कहा जा सकता कि यह टीम कभी बुलंदियों पर थी.
इस बात का एहसास अपने जमाने के स्टार गेंदबाज रहे पाकिस्तानी खिलाड़ी शोएब अख्तर को भी है. उनका मानना है कि पाकिस्तान क्रिकेट अभी ‘अंधकार युग’ से गुजर रहा है. अख्तर ने चैंपियंस ट्रॉफी में टीम के लचर प्रदर्शन के बाद यह कड़ी टिप्पणी की है. अख्तर ने देश की क्रिकेट व्यवस्था के खिलाफ कड़ा रवैया जारी रखते हुए कहा कि राष्ट्रीय टीम के अधिकतर खिलाड़ी मानसिक रूप से परेशान हैं. उनके मुताबिक अधिकतर खिलाड़ी मैदान पर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. वह डरे हुए हैं. उनका इशारा इंग्लैंड में चल रही चैंपियंस ट्रॉफी से है जहां पाकिस्तानी टीम प्रतियोगिता से बाहर हो चुकी है.
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के दौरान कई बार विवादों में रहे पूर्व गेंदबाज शोएब अख्तर पहले भी पाकिस्तान की क्रिकेट व्यवस्था पर आवाज उठा चुके हैं. फिक्सिंग में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के लिप्त होने के जवाब में पिछले साल शोएब अख्तर ने कहा था कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड से खिलाडि़यों को कोई समर्थन नहीं मिलता है. इसके अलावा उन्हें खेल से कम पैसे ही मिलते हैं, जिसके कारण पाकिस्तानी खिलाड़ी फिक्सिंग में लिप्त हो जाते हैं. अख्तर ने कहा था कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में कुछ भ्रष्ट लोगों के होने के कारण खिलाडि़यों में असुरक्षा की भावना रहती है. खिलाडि़यों के पास अवसरों की भी कमी रहती है.
वैसे पाकिस्तान क्रिकेट की जर्जर हालत को लेकर कई कारण बताए जाते हैं लेकिन जो मुख्य कारण है वह पाकिस्तान में बढ़ता आतंकवाद और अराजकता है. यह आतंकवाद ही है जिसकी वजह से किसी भी देश का कोई भी खिलाड़ी पाकिस्तान में खेलने से मना करता है. देश में मैच न होने की वजह से पाक बोर्ड को पैसे की किल्लत का सामना करना पड़ता है जिसका असर खिलाड़ियों पर भी देखने को मिलता है.
पाकिस्तान के ज्यादातर क्रिकेटर गरीब परिवारों से आते हैं. बोर्ड के पास पैसा न होने की वजह से वह दूसरी तरफ मुंह मारते फिरते हैं. जिससे वह फिक्सिंग जैसी गलतियां कर बैठते हैं. खिलाड़ियों को लगता है कि इसके जरिए वह पैसा बनाकर अपने भविष्य को सुधार सकते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं लगता कि उनकी एक गलती क्रिकेट और उनकी देश की छवि को कितना नुकसान पहुंचा सकती है.
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