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टीम इंडिया में दरार: एक कड़वी सच्चाई

Rift between sehwag and dhoni out in middle

भारतीय टीम के लिए आस्ट्रेलियाई दौरा बद से बदत्तर होता जा रहा है. हार और अंत: कलह ने टीम इंडिया के मनोबल को पूरी तरह तोड़ दिया है. कुछ साल पहले जो हाल सौरव गांगुली के समय था कुछ-कुछ माहौल वैसा ही बन रहा है. धोनी यंग इंडिया को अपनी टीम में जगह देकर सीनियर प्लेयर्स को अलग कर रहे हैं तो वहीं सहवाग भी अपने अंदाज में ही टीम के बीच की दूरी को खाई बनाने में लगे हैं. और इन दोनों महारथियों की लड़ाई से नुकसान हो रहा है टीम इंडिया को.


अपने व्यक्तिगत रायों और विचारों की वजह से इन दोनों खिलाड़ियों ने एक बार फिर टीम इंडिया को दो हिस्सों में बांट दिया है. टीम इंडिया में चल रही कलह उभर कर सामने आ गई है. खिलाड़ी तो खिलाड़ी उनके घरवाले भी मैदान-ए-जंग में कूद पड़े हैं. कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की पत्नी साक्षी ने धोनी विरोधियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इसके लिए उन्होंने सबसे बेहतर प्लेटफार्म यानी सोशल नेटवर्किग साइट का सहारा लिया. साक्षी ने ट्वीट कर कहा कि कुछ लोग धोनी को नीचे धकेलने की कोशिश में लगे हुए हैं.


Dhoni&Sehwagक्या है मामला

धोनी ने इस आधार पर टीम में तीन शीर्ष बल्लेबाजों को रोटेट करने की प्रणाली का बचाव किया था कि वे क्षेत्ररक्षण में धीमे हैं, लेकिन मंगलवार को श्रीलंका के खिलाफ मैच हारने के बाद सहवाग ने यह कहकर इस मुद्दे को नया मोड़ दे दिया कि सीनियर खिलाड़ियों को कभी नहीं बताया गया कि क्षेत्ररक्षण इसका कारण था. इससे पहले गंभीर ने भी मैच जल्दी खत्म नहीं करने और इसे अंतिम ओवर तक ले जाने के लिए धोनी की आलोचना की थी.


सचिन क्यों हैं चुप?

धोनी की रोटेशन नीति को चुपचाप स्वीकार करने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को अब अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए. वह भी तब जबकि खुद उनके वनडे करियर पर सवाल उठाए जाने लगे हैं.


सहवाग ने मंगलवार को जो कहा, वह चौंकाने वाला बयान है. उनके मुताबिक धोनी या टीम प्रबंधन ने उनके अलावा सचिन और गंभीर को भी रोटेशन का कारण यह बताया था कि तीन साल बाद आस्ट्रेलिया में होने वाले विश्व कप के लिहाज से युवाओं को आस्ट्रेलियाई सरजमीं से वाकिफ होने का मौका देने के मकसद से ऐसा किया जा रहा है. ऐसे में सचिन ही सामने आकर साफ कर सकते हैं कि माजरा आखिर क्या है. रोटेशन को लेकर उनसे क्या कहा गया था. टीम में मतभेद हैं या नहीं, यह भी लोग उनके मुंह से सुनना चाहते हैं. सभी को भरोसा है कि वे सच ही बोलेंगे. उन्हें अब बोलना चाहिए. यह टीम के हित में भी होगा. नहीं तो बहुत देर हो जाएगी. मौजूदा हालात में यदि टीम तिकोनी सीरीज में बेइज्जत हो स्वदेश लौटती है, तो उसके बाद तिनकों में बिखर जाएगी. यदि सचिन नहीं बोलते हैं तो धोनी खुद स्थिति स्पष्ट करें. उनके यह बोल देने से कि वे कभी भी कप्तानी छोड़ने के लिए तैयार हैं, स्थिति साफ नहीं हो जाती.


एक्सपर्ट कमेंटस

सौरव गांगुली : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के नेतृत्व की आलोचना करते हुए मंगलवार को खेल की अलग-अलग विधाओं के लिए अलग-अलग कप्तान नियुक्त किए जाने की वकालत की.


कपिल देव : भारतीय टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव ने बुधवार को यह मानने से इनकार कर दिया कि आस्ट्रेलिया में भारतीय टीम के अंदर कोई मतभेद हैं लेकिन कहा कि बीसीसीआई को नजरिए में अंतर के मुद्दे को निपटाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए.


सुनील गावस्कर : चार साल पहले भारत ने ब्रिसबेन के इसी गाबा मैदान पर ऑस्ट्रेलिया को बेस्ट ऑफ थ्री फाइनल्स में हराकर तिकोनी सीरीज अपने नाम की थी. लेकिन इस बार यह मैदान भारत के लिए दो बड़ी हार का गवाह बना. श्रीलंका के खिलाफ मैच में भारत को धौनी की कमी खली. कप्तान के तौर पर भी और फॉर्म में चल रहे बल्लेबाज के तौर पर भी. वहीं सहवाग दोनों ही मामलों में फ्लॉप रहे.


(साभार: जागरण)

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