क्रिकेट में ऐसा बहुत कम ही होता है जब किसी खिलाड़ी के लगातार ढुलमुल प्रदर्शन के बावजूद उसे टीम में बने रहने के लिए बार-बार मौके दिए जाएं. यहां हम बात कर रहे हैं मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की. खराब प्रदर्शन से जूझ रहें सचिन को कोलकाता में इंग्लैंड के खिलाफ खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट मैच के लिए एक बार फिर टीम इंडिया में शामिल कर लिया गया है. ऐसा माना जा रहा था कि सचिन बचे हुए टेस्ट मैच में शायद नहीं खेलेंगे लेकिन बीसीसीआई और चयनकर्ताओं ने एक बार फिर उन भरोसा जताया.
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अब सवाल यह कि क्रिकेट को गली-मौहल्ले तक पहुंचाने वाले सचिन के भारतीय क्रिकेट टीम में बने रहने को लेकर अभी तक संशय क्यों बना हुआ है? इसका जवाब यह है कि लगभग 30 हजार से अधिक रन बनाने वाले और इसी साल सौ शतक की उंचाई छुने वाले सचिन आज एक-एक रन के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं. जो गेंदबाज उन्हें आउट करने के सपने देखता था आज वही गेंदबाज सीना तानकर सचिन को बोल्ड कर रहा है. अपने कॅरियर में बड़े-बड़े गेंदबाजों के छ्क्के छुड़ाने वाले सचिन आज इन्ही गेंदबाजों के आगे असहाय और मजबूर दिखाई दे रहे हैं.
अगर बात करें सचिन के आकड़ों की तो यह स्टार बल्लेबाज भले ही 54.60 रन प्रति पारी का औसत रखता हो लेकिन पिछले दो सालों में किसी भी समय 40 के औसत के पार भी नहीं पहुंचा. तेंदुलकर ने नवंबर 2010 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अहमदाबाद में खेले गए टेस्ट मैच से लेकर इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई टेस्ट मैच तक 21 मैच की 37 पारियां खेली हैं जिनमें उन्होंने 37.71 की औसत से 1322 रन बनाए हैं जिसमें दो शतक और सात अर्धशतक शामिल हैं. क्रिकेट की धड़कन बन चुके सचिन से इस तरह की प्रदर्शन की अपेक्षा नहीं की जा सकती.
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सचिन के लगातार खराब प्रदर्शन के बावजूद बीसीसीआई और चयनकर्ता एक भी मैच के लिए सचिन को बाहर करने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. अब तक जब भी सचिन टीम से बाहर हुए हैं अपने फैसले से हुए हैं. इन फैसलों पर न तो बीसीसीआई का दवाब है और न ही खराब प्रदर्शन का. एक तरफ जहां बीसीसीआई सचिन की लोकप्रियता और रिकॉर्ड को सर आंखो पर लेती है वहीं दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड में ऐसा कुछ नहीं है. आज ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिक्की पोंटिग टीम में बने रहने के लिए जुझ रहे हैं. वह सचिन की तरह इस बात के लिए आश्वस्त नहीं हैं कि लगातार खराब प्रदर्शन के बावजूद भी वह टीम में बने रहेंगे. ऑस्ट्रेलिआई क्रिकेट बोर्ड किसी खिलाड़ी की लोकप्रियता और रिकॉर्ड न देखकर उसके प्रदर्शन को टीम में चयन का आधार मानती है.
एक बात और, भारत के इस महान बल्लेबाज ने अब तक अपने 20 साल के कॅरियर में बीसीआई के लिए जो भी किया है वह शायद ही कोई खिलाड़ी कर पाएगा. बीसीसीआई यह समझता है कि भारतीय क्रिकेट में सचिन की क्या भूमिका है. लोग तो सचिन को पहले ही क्रिकेट के भगवान का दर्जा दे चुके हैं. वह सचिन को एक पल के लिए अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहते. अगर बीसीसीआई मैदान पर हजारों की भीड़ जुटाने में कामयाब हो जाती है तो इसका अधिकांश श्रेय सचिन को ही जाता है. अब ऐसे में बीसीसीआई भला क्यों चाहेगी कि जिस खिलाड़ी की वजह से स्टेडियम खचाखच भर जाता हो और जिसकी वजह से अधिकारियों को करोड़ों रुपए का मुनाफा होता हो वह क्रिकेट से दूर हो.
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