सालों-साल से भारत में क्रिकेट को एक धर्म की तरह पूजा जाता है. इसमें खिलाड़ियों को आराध्य का दर्जा दिया गया है जिनके भक्त बनकर क्रिक्रेट प्रेमी इनकी अराधना करते हैं. लेकिन हाल के दिनों में अगर देखें तो लोगों के इस भक्ति भाव में कहीं न कहीं कमी आई है. इसके पीछे की वजह साफ है निरंतर हो रहा क्रिकेट में अनैतिक बदलाव और भ्रष्टाचार. हद तो तब हो जाती है जब कुछ लोग इस बदलाव को सही ठहराने लगते हैं.
कुदरत के तांडव के लिए कौन है जिम्मेदार
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के छठे संस्करण में सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तार और फिर जमानत पर रिहा किए गए अभिनेता विंदु दारा सिंह ने कहा कि क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी वैधता मिलनी चाहिए. विंदु की मानें तो “भारत में क्रिकेट को धर्म का दर्जा प्राप्त है. आईपीएल होगा तो सट्टेबाजी होगी ही.”
दादा सिंह के सुपुत्र विंदु जिन्हें चार जून को जमानत पर रिहा किया गया, ने कहा कि सरकार को क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैध ठहराने के बारे में सोचना चाहिए. विंदु ने कहा कि मेरी समझ से सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देनी चाहिए.
दर-दर की ठोकरें खाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
वैसे केवल बिंदु ही नहीं हैं जिन्होंने सट्टेबाजी को वैध बनाने के लिए हवा दी है. इससे पहले भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया, इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (फिक्की) और इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ज्यॉफ बॉयकाट ने क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैध करने की पैरवी की है. इन लोगों का मानना है कि यदि क्रिकेट में भ्रष्टाचार और स्पॉट फिक्सिंग को खत्म करना है तो सट्टेबाजी वैध करना होगा. केंद्रीय नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने भी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन का बचाव करते हुए कहा था कि क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैध बना दिया जाना चाहिए.
जिस तरह लोग सट्टेबाजी को बढ़ावा देने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं उससे तो यह नहीं कहा जा सकता कि क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग और भ्रष्टाचार समाप्त होगा या नहीं लेकिन हां, इससे क्रिकेट के चाहने वालों की उम्मीदों को जरूर धक्का लगेगा जो अपने पसंदीदा खेल को पारदर्शिता के साथ देखना चाहते हैं.
Comment on: “क्या क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता दिया जाना सही होगा?”
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