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विख्यात, तेजतर्रार, पूरी तरह से ठंडे दिमाग वाले – एक कप्तान के लिए आवश्यक वे सभी गुण जो अपनी टीम को दबाव की स्थिति में भी संभाल सके। भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने वर्ष २००३ में बांगलादेश के खिलाफ अपने कैरियर की शुरुआत की, तब से अब तक वे भारतीय क्रिकेट में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। अब जब इस विश्वकप में भी, अपना पहला मैच १९ फरवरी को, बांगलादेश के खिलाफ ही शुरुआत कर रहे हैं, उनके प्रशंसको उम्मीद है कि २ अप्रैल को कप उनके हाथों में हो। कपिल के टीम के १९८३ में विश्वकप जीतने के चौथाई दशक के बाद, धोनी से यह अपेक्षा रहेगी कि वे विश्वकप को वापस भारत में लाएं।
धोनी के पास एक जुझारु, मेहनती तथा अकेले ही किसी भी मैच का परिणाम बदलने की क्षमता रखने वाले खिलाड़ियों की पूरी फौज है। और सोने पर सुहागा यह कि अनुकूल घरेलू वातावरण तथा परिस्थितियां, उनको प्रोत्साहित करते हुए लोगों से भरे हुए स्टेडियम, उनके लिए काफी मददगार होगा। यह सब किसी भी टीम के आत्मविश्वास को दूसरी टीमों की अपेक्षा ऊंचा रखता है।
एक बेहतरीन टीम तथा उनके अच्छे फार्म के साथ, क्रिकेट प्रशंसकों की उनके विश्वकप जीतने की उम्मीदों पर – क्या माही खरा उतरेंगे, गणेशजी इसका जवाब वैदिक ज्योतिष के अनुसार प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
वर्तमान में केतु का उनके जन्म के सूर्य पर पारगमन, जन्म के शनि पर से शनि का पारगमन – सूर्य के साथ एक वर्ग बनाता है। पारगमन राहू जन्म के सूर्य के सातवें घर से गुजरता हुआ शनि के साथ एक वर्ग बना रहा है। इस कठिन पारगमन के कारण, २०११ के विश्व कप में माही का प्रदर्शन औसत हो जाएगा। सूर्य के तथा गुरु के अनुकूल पारगमन के कारण, गणेशजी को यह महसूस होता है कि, विश्वकप में भारत के पहले मैच बांगलादेश के खिलाफ तथा आयरलैंड के खिलाफ तीसरे मैच कै दौरान उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहेगा और उनसे एक विशाल स्कोर की उम्मीद की जा सकती है। इसके अलावा प्रथम चक्र के अन्य सभी मैचों में उनका प्रदर्शन सामान्य रहेगा। वे क्वार्टर फाइनल तथा सेमी फाइनल मैचों में अच्छी शुरुआत को एक बड़े स्कोर में बदलने में सक्षम नहीं रहेंगे। गणेशजी को यह लग रहा है कि भारत यदि फाइनल में जाता है तो वे काफी उपयोगी रनों का योगदान करेंगे।
गणेशजी के आशिर्वाद के साथ हम उनके लिए शुभकामना करते हैं।
साभार: गणेशा स्पीक्स डॉट कॉम
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