Menu
blogid : 3736 postid : 281

गुरुमंत्र : कैसे जीतें वर्ल्ड कप

वर्ल्ड कप क्रिकेट 2011
वर्ल्ड कप क्रिकेट 2011
  • 78 Posts
  • 18 Comments

Team-Indiaअब तक वर्ल्ड कप में लगभग सभी टीमों ने दो-दो मैच खेल लिए हैं, और जिस तरह से ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान ने अभी तक प्रदर्शन किया है उस लिहाज से फाइनल इन दोनों टीमों के बीच होना चाहिए और अगर फाइनल इन दोनों टीमों के बीच होता है तो उसमें भी ऑस्ट्रेलिया विजेता होगा क्योंकि पाकिस्तान क्षेत्ररक्षण के मामले में ऑस्ट्रेलिया से बहुत पीछे है. श्रीलंका के खिलाफ़ पाकिस्तान ने कैच छोड़े, कामरान ने दो मौकों पर स्टंपिंग के मौके गवाए और फील्डिंग तो उनकी माशाल्लाह है ही.

वर्ल्ड कप के शुरू होने से पहले भारत दूसरे दावेदारों से थोड़ा आगे था, लेकिन गेंदबाजों ने भारत की बढ़त को मटियामेट कर दिया. पहले मैच में जहां बांग्लादेश के बल्लेबाजों ने रन बटोरे वहीं इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने तो हमारे गेंदबाजों की जमकर तुड़ाई की और 338 रन बनाने के बाद भी हम जीत नहीं पाए. क्या इस प्रदर्शन को देख अब भी लगता है कि कप हमारा है? नहीं न, बहुत से लोगों को अब संदेह होने लगा है कि हम वर्ल्ड कप जीत सकते हैं.

ऐसे ही कुछ पल हमारे सामने 2003 के वर्ल्ड कप के दौरान हुए थे, लीग मैच में हम ऑस्ट्रेलिया से हारे, हमारी हार को देख देश की जनता आगबबूला हो गई. कई खिलाड़ियों के घरों के बाहर तोडफोड़ भी हुई, खिलाड़ियों को ज़ोर का झटका लगा जिसका असर उनके प्रदर्शन में दिखा और हम जीतने लगे. खिलाड़ी इस बार शुक्र मनाएं कि इंग्लैंड के खिलाफ़ हम हारे नहीं वरना इस बार का झटका पिछली बार के झटके से भी बड़ा होता. ऐसे में टीम इंडिया को कुछ खास बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है. यह बातें टीम इंडिया के खिलाड़ियों को गुरुमंत्र की तरह अपनानी चाहिए.

जीत का गुरुमंत्र

• भारत और इंग्लैंड के मैच में हमने इंग्लैंड के मुकाबले 32 रन ज़्यादा चौकों-छक्कों से बनाए, लेकिन वहीं निश्चित रूप से यह हमारे लिए सकारात्मक पहलू है, परन्तु इस सकारात्मक पहलू का एक नकारात्मक पहलू भी है. जहां हमने 32 रन ज़्यादा चौकों-छक्कों की मदद से बनाए वहीं इंग्लैंड ने 32 रन ज़्यादा दौड़कर बनाए. मतलब साफ़ है हम रन दौड़कर बनाने की जगह चौकों-छक्कों में ज़्यादा विश्वास करते हैं, इसका मतलब यह भी है कि हम ज़्यादा गेंदे खाते हैं, लेकिन अगर हम चौकों-छक्कों के साथ-साथ एक-दो रनों पर भी ध्यान दें तो शायद हर पारी में हम 20-25 रन ज़्यादा बना सकते हैं और मैच के परिणाम के लिए यह रन बहुत महत्वपूर्ण हो सकते हैं.

• टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह हमेशा कूल रहते हैं. कैसी भी गंभीर स्थिति हो वह अपना आपा कभी नहीं खोते. धोनी के इस दृष्टिकोण से हमें बहुत सी जीतें ज़रुर मिली हैं लेकिन शायद कभी-कभी यह दृष्टिकोण हार का कारण भी बन सकती है. इंग्लैंड के खिलफ मैच में धोनी हमेशा शांत नज़र आए शायद इसी का कारण था कि एक समय मैच भारत की झोली से फिसल गया था. इंग्लैंड के बल्लेबाज़ आसानी से रन बना रहे थे. बीच के खेल में धोनी ने कभी आक्रमण किया ही नहीं और जब किया उस समय हमें सफलता मिली. 338 रन मैच जीतने के लिए बहुत होते हैं परन्तु उसके लिए भी विकेट लेने होते हैं.

• कोच कुछ भी कर ले टीम इंडिया क्षेत्ररक्षण के मामले में हमेशा कमजोर ही रहेगी. कोहली, गंभीर, युवराज, रैना टीम में कुछ खिलाड़ी हैं जो अच्छे फिल्डर भी हैं, ऐसे में ज़रुरी हो जाता है कि इन खिलाड़ियों को ऐसी जगह तैनात किया जाए जहां इनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हो जैसे कि पॉइंट या कवर्स में लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ़ यह खिलाड़ी बाउंड्री में लगे थे वहीं ज़हीर, हरभजन और मुनाफ 30 यार्ड के घेरे के अंदर थे जिसका फायदा इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने खूब उठाया.

• बंगलौर मैच के दौरान दर्शकों का तांता लगा था, शोर इतना था कि गेंदबाजों की अपील नहीं सुनायी देती थी, परन्तु जब हमारी टीम हार रही थी तब सब के मुंह बंद थे. अगर उस समय दर्शकों ने टीम का प्रोत्साहन बढ़ाया होता तो शायद दबाव में आकर इंग्लैंड के खिलाड़ी ऑउट हो जाते.

बल्लेबाजों ने दोनों मैचों में कमाल तो दिखाया है लेकिन गेंदबाजों ने निराशा किया है. भारतीय क्रिकेट टीम के लिए सबसे बढ़िया बात यह है कि युवराज सिंह फॉर्म में आते दिख रहे हैं और ऐसे में अगर हमारे गेंदबाज़ भी फॉर्म में आ जाते हैं तो शायद यह कप हमारा हो सकता है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh