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अगर आपको वर्ल्ड कप जीतना है तो आपको लगभग सभी टीमों को हराना होगा, ‘क्या ऑस्ट्रेलिया और क्या दक्षिण अफ्रीका, अब तो खेलना है, जीतना है और कप घर लाना है.”
अब तो सचिन तेंदुलकर ने भी अपने बयान में कह दिया है कि उन्होंने अपने कैरियर में बहुत रन बनाए, बहुत शतक ठोंके और बहुत से ट्रॉफियां जीतीं लेकिन अगर वह इस बार वर्ल्ड कप नहीं जीत पाते तो इसका मलाल उन्हें जिंदगी भर रहेगा आखिर ऐसा हो भी क्यों न, क्रिकेट में वर्ल्ड कप जीतने से बड़ा कोई ख़िताब नहीं है. लेकिन क्या चार बार की विश्व कप विजेता ऑस्ट्रलियाई टीम से पार पाना इतना आसान होगा?
मैच से पहले पलड़ा भारत का भारी है, इसका मुख्य कारण ऑस्ट्रेलिया का गिरता ग्राफ है. वर्ल्ड कप में भी ऑस्ट्रेलिया जिस तरह से पाकिस्तान से हारा वह पूरी कहानी बयान करता है. लेकिन भारत के गेंदबाजों ने भी हमें निराश किया है. परन्तु घरेलू परिस्थितियां हमारे साथ हैं और ऐसे में अगर मोटेरा की पिच पर स्पिन गेंदबाजों को मदद मिलती है तो फायदा हमें ही होने वाला है.
बल्लेबाजों और गेंदबाजों की लड़ाई
क्वार्टर फाइनल की लड़ाई भारतीय बल्लेबाजों और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के बीच होगी. अगर धोनी टॉस करते हैं तो उन्हें पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय करना होगा और फिर दो बल्लेबाजों को बड़ा स्कोर भी करना होगा. एक बार हम बड़ा स्कोर बना लें तो दबाव में ऑस्ट्रेलियाई टीम बिखर सकती है. परन्तु अगर हम पहले गेंदबाज़ी करते हैं तो डगर कठिन हो सकती है क्योंकि बाद में खेलते हुए हमारे बल्लेबाज़ दबाव में खेलते हैं, वहीं ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ छोटे से भी छोटे स्कोर की रक्षा करने का माद्दा रखते हैं. पाकिस्तान के खिलाफ़ भी हमने यही देखा. 184 रन के स्कोर का पीछा करते हुए पाकिस्तानी टीम ने 6 विकेट गंवा दिए. सीधे अर्थों में यह लड़ाई है विश्व की सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ी और विश्व के सबसे तेज़ गेंदबाजी सेना के बीच.
कमज़ोर कड़ी
भारत: इस वर्ल्ड कप में भारत की कमज़ोर कड़ी उसके गेंदबाज़ हैं, खासकर हरभजन का विकेट न लेना साफ़ दर्शाता है कि हमारी गेंदबाज़ी 10 विकेट लेने के लिए सक्षम नहीं है. सभी जानते हैं कि भज्जी का तोड़ नहीं लेकिन कहने और करने में अंतर होता है और भज्जी विकेट लेते हैं तो अकेले पड़े ज़हीर खान को आत्मबल मिलेगा. इसके अलावा टीम के दूसरे गेंदबाजों को भी आज अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देना होगा. भारत का इस वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा दुश्मन बैटिंग पॉवर प्ले है. इसके आते ही हमारे बल्लेबाज़ भूल जाते हैं कि इन पांच ओवर में बल्लेबाज़ी कैसे करनी चाहिए. धोनी की टीम का मानना है कि इस दौरान लगभग 60 रन तो बनने चाहिए, परन्तु अभी तक ऐसा नहीं हुआ है इसके विपरीत हमने इस दौरान सिर्फ विकेट खोए हैं और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ हार का यही सबसे बड़ा कारण रहा है. हमें बैटिंग पॉवर की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा.
ऑस्ट्रेलिया: कप्तान पोंटिंग का फॉर्म, मध्यम पंक्ति का रन न बनाना, तेज़ गेंदबाजों का कभी अच्छा तो कभी खराब प्रदर्शन करना और टीम में अच्छे स्पिन गेंदबाज़ की कमी. ऑस्ट्रेलिया के पास कमज़ोर कड़ी तो बहुत हैं लेकिन फिर भी वर्ल्ड नंबर देखते हुए उन्हें कम नहीं आंका जा सकता.
आज बहुत महत्वपूर्ण लड़ाई है. अगर हम हारे तो बाहर और ऐसा होता है तो शायद यह सचिन रमेश तेंदुलकर का आखिरी वर्ल्ड कप मैच भी हो सकता है.
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